बिहार में वोटर रिविजन पर 'सुप्रीम फैसले' के बाद खूब चले सियासी तीर, आधार, टाइमिंग और नागरिकता पर पूछे गए तीखे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को जारी रखने की अनुमति दी, लेकिन साथ ही आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मान्य दस्तावेज के रूप में शामिल करने पर विचार करने को कहा. इस फैसले को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है, जहां विपक्ष ने इसे 'शामिल करने की राह' बताया, वहीं एनडीए ने इसे लोकतांत्रिक सुधार की दिशा में कदम कहा. सुप्रीम कोर्ट 28 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई करेगा.;

( Image Source:  Social Media )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 11 July 2025 12:15 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में चल रही विशेष सघन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया को जारी रखने की इजाजत दे दी, लेकिन चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वह आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता पहचान के वैध दस्तावेजों में शामिल करने पर विचार करे. कोर्ट की यह टिप्पणी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई है.

विपक्षी दलों ने फैसले को ‘इन्क्लूजन’ की दिशा में कदम बताया. वहीं, एनडीए नेताओं ने इसे निर्वाचन सुधार की दिशा में अहम माना है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नेताओं ने क्या कहा?

  1. पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बिहार जैसी मतदाता सूची शुद्धिकरण की प्रक्रिया बंगाल में भी शुरू होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल की मतदाता सूची में फर्जी नामों और घुसपैठियों की भरमार है.
  2. टीएमसी नेता जय प्रकाश मजूमदार ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस प्रक्रिया में आम नागरिकों का वोटिंग अधिकार नहीं छिनेगा.
  3. बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और चुनाव आयोग को पूरी सटीकता और पारदर्शिता से यह प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए.
  4. कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कोर्ट की टिप्पणी को लोकतंत्र के लिए राहत बताते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड सभी सत्यापन में गिने जाएं.
  5. एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से 'डिसएन्फ्रेंचाइजमेंट की प्रक्रिया पर ब्रेक' लगा है. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने रोक लगाने की मांग नहीं की थी और कोर्ट ने भी रोक नहीं लगाई, लेकिन तीखे सवाल जरूर पूछे.
  6. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग पर बीजेपी का प्रभाव है और उसने कुछ अनुचित फैसले लिए हैं. उन्होंने कहा कि कोर्ट की निगरानी और टिप्पणियों से विपक्ष को बल मिला है और टीएमसी विरोध जारी रखेगी.
  7. आरजेडी सांसद मनोज झा ने कोर्ट की टिप्पणी को ‘इन्क्लूजन का रास्ता’ बताया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मान्य दस्तावेज मानने का इशारा किया है.
  8. बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने विपक्ष के आरोपों को 'झूठा' बताते हुए कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव से पहले मतदाता सूची में संशोधन करने का संवैधानिक अधिकार है.
  9. शिवसेना (शिंदे गुट) नेता संजय निरुपम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की दिशा को सभी को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि इसका मकसद केवल असली मतदाताओं को सूची में बनाए रखना है.
  10. आप नेता अनुराग ढांडा ने आरोप लगाया कि बीजेपी हर चुनाव से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी करती है और चुनाव आयोग उसका समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वही सवाल उठाए जो विपक्ष लंबे समय से पूछ रहा है.

28 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई है. कोर्ट 28 जुलाई को इस मुद्दे पर अगली सुनवाई करेगा और चुनाव आयोग को 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

Similar News