रिसर्च अब और आसान... समुद्रयान मिशन को मिला नया जीवन, वित्त मंत्री ने दिया 600 करोड़ का बजट

भारत के समुद्रयान मिशन को बजट 2024 में 600 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है. यह मिशन वैज्ञानिकों को 6000 मीटर गहराई तक भेजकर समुद्री संसाधनों और जैव विविधता का अध्ययन करेगा. चेन्नई स्थित NIOT इस वर्ष 500 मीटर गहराई तक मानवयुक्त पनडुब्बी भेजेगा, जिसे अगले साल 6000 मीटर तक विस्तारित किया जाएगा.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में समुद्र के अध्ययन के लिए भी पिटारा खोला है. वित्त मंत्री ने भारत के समुद्रयान मिशन के लिए 600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. यह मिशन समुद्र की 6000 मीटर गहराई तक वैज्ञानिकों को भेजकर अध्ययन करने से संबंधित है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को इस बार 3649.81 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है.

समुद्रयान मिशन के तहत वैज्ञानिक समुद्र की गहराइयों की मैपिंग करेंगे और मानवयुक्त पनडुब्बी तकनीक विकसित करेंगे. इस मिशन के जरिए गहरे समुद्र में जैव संसाधनों की खोज, खनन और थर्मल एनर्जी प्लांट के लिए इंजीनियरिंग डिजाइन तैयार किया जाएगा. सरकार ने मौसम पूर्वानुमान क्षमता बढ़ाने के लिए भी 1329 करोड़ रुपये मिशन मौसम के तहत आवंटित किए हैं.

समुद्र तल की खोज और रिसर्च होगी आसान

चेन्नई स्थित राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) इस वर्ष के अंत तक 500 मीटर गहराई तक मानवयुक्त पनडुब्बी भेजने की योजना बना रहा है. अगले साल इस क्षमता को 6000 मीटर तक बढ़ाया जाएगा, जिससे समुद्र तल की खोज और अध्ययन संभव होगा. यह मिशन डीप ओशन मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य गहरे महासागरीय संसाधनों की खोज और नई टेक्नोलॉजी का विकास करना है.

मानव संसाधन का होगा विकास

समुद्रयान मिशन में गहरे समुद्र में खनन, मानवयुक्त पनडुब्बी और अंडरवॉटर रोबोटिक्स का विकास शामिल है. इसके अलावा, समुद्री जैव विविधता की खोज, महासागर से ऊर्जा और ताजे पानी का उत्पादन और एडवांस मरीन स्टेशन का निर्माण भी मिशन का हिस्सा होगा. इससे औद्योगिक अनुसंधान, जैव प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में मानव संसाधन का विकास किया जाएगा.

मिशन मौसम की भी हुई शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जनवरी को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर मिशन मौसम लॉन्च किया था. इस मिशन के तहत एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग कर मौसम पूर्वानुमान को और सटीक बनाया जाएगा. इसमें कृत्रिम बादल निर्माण, रडार की संख्या में 150% की वृद्धि, और सुपर कंप्यूटर व नए उपग्रहों का समावेश किया जाएगा.

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