Republic Day 2025: दो वक्त की रोटी के अलावा, कोलकाता के छात्र चाहते हैं ये मौलिक अधिकार
एक समय था, जब लोगों को मौलिक अधिकारी के तौर पर रोटी, कपड़ा और मकान चाहिए होता है, लेकिन अब धीरे-धीरे दुनिया बदल रही है. अब युवाओं को अपने अधिकारों को में कई नई चीजें चाहिए.;
आज भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. वहीं, दूसरी ओर कोलकाता की यंग जनरेशन अपने जीवन को आकार देने वाले अधिकारों के बारे में गहराई से सोच रही है. हमारे संविधान में आजादी, समानता और न्याय को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है.
लेकिन आज की तेजी से बदली दुनिया में मौलिक अधिकारों के अलावा और भी बहुत कुछ है. मीडिया में छपी एक रिपोर्ट में कोलकाता के स्कूल और कॉलेज के बच्चों से उनके अधिकारों के बारे में पूछा गया. बच्चों के जवाब सुन आपको काफी हैरानी हो सकती है. चलिए जानते हैं इस शहर के युवा लोग कौन से अधिकार चाहते हैं जो उन्हें मिले.
खुश रहने का अधिकार
कोलकात्ता के बच्चों ने कहा कि उन्हें खुश रहने का अधिकार चाहिए. उनका कहना है कि हमें एक ऐसी दुनिया की कल्पना करनी चाहिए, जहां सरकारें सिर्फ संख्याओं के पीछे न भागें, बल्कि हमारी खुशी की भी परवाह करें. केवल फाइनेंशियल स्टेबिलिटी पर ध्यान नहीं देना चाहिए. लोगों की खुशी को भी शासन में शामिल किया जा सकता है. भूटान और न्यूजीलैंड इसका एक बेहतरीन उदाहरण है.
व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
यह कहना गलत नहीं होगा कि औसत भारतीयों का मन विरोधाभासों से भरा हुआ है. हम भारतीय ऐसे समाज में रहते हैं, जहां पुरुष खुले आम टॉयलेट कर सकते हैं, लेकिन एक किस करना लोगों में आक्रोश भर देता है. इतना ही नहीं, सभी के सामने अश्लील भाषा में बात कर सकते हैं, लेकिन एक महिला बिना सवाल किए अपनी पसंद के कपड़े नहीं पहन सकती है. इसलिए हमें बिना किसी के जजमेंट के खुद के फैसले लेने का अधिकार होना चाहिए.
हेल्थ केयर राइट
हेल्थ केयर का राइट बेहद जरूरी है. इसमें इनकम की परवाह किए बगैर सभी लोगों के लिए सस्ती और अच्छी देखभाल होनी चाहिए. साथ ही, इसके जरिए पहुंच और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण अंतर को पाटा जा सकता है. भारत में अभी भी लाखों को बीमारी पर खर्च के कारण तंगी का सामना कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर कई लोग महंगे इलाज और सुविधाओं की कमी के कारण ट्रीटमेंट नहीं करवा पाते हैं.
इंटरनेट तक पहुंच का अधिकार
इस गणतंत्र दिवस कोलकाता के एक छात्र ने कहा कि "मुझे लगता है कि भारत में एक मौलिक अधिकार इंटरनेट एक्सेस का अधिकार होना चाहिए. इसके जरिए गांव के लोगों और और विकसित शहर के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी. इंटरनेट तक पहुंच से वह जान पाएंगे कि वर्तमान में विश्व मामलों, राष्ट्रीय राजनीति, लागू की जा रही नीतियां क्या हैं. साथ ही, वे अधिकार जिनके वे हकदार हैं. यह सूचना के उनके अधिकार की गारंटी देने और सतत विकास को बढ़ावा देने का काम करेगा.