ट्रंप के टैरिफ के बीच RBI ने घटाई ब्याज दरें, कम होगी EMI; आरबीआई गवर्नर ने किया एलान

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 6% कर दिया है. यह लगातार दूसरी बार कटौती की गई है, जिससे होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की EMI में राहत मिलेगी. यह फैसला मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में लिया गया. इसका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना और आम उपभोक्ताओं पर ऋण का बोझ कम करना है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 9 April 2025 10:28 AM IST

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती का फैसला किया है. यह लगातार दूसरी बार है जब रेपो रेट में कमी की गई है, जिससे यह दर अब 6% पर आ गई है. फरवरी में भी इसी तरह की कटौती हुई थी, जो पांच वर्षों में पहली बार थी. रेपो रेट में यह गिरावट सीधे तौर पर आम जनता को राहत देती है, क्योंकि इससे होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की EMI घट जाती है.

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले की घोषणा करते हुए बताया कि यह नई वित्तीय वर्ष की पहली मौद्रिक नीति बैठक थी, जिसमें व्यापक आर्थिक हालात और महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है और इसमें कटौती का उद्देश्य बाजार में तरलता बढ़ाकर आर्थिक गतिविधियों को गति देना है. इस कदम से छोटे और मध्यम वर्ग के कर्जदारों को सीधा फायदा मिलेगा.

दरों में कटौती पर एकमत नहीं थे अर्थशास्‍त्री

नीतिगत दरों को लेकर अर्थशास्त्रियों के बीच इस बार मतभेद नजर आया. कुछ विशेषज्ञ मांग कर रहे थे कि आर्थिक गति को बनाए रखने के लिए नीतिगत ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती की जाए, जबकि कई जानकारों का मानना था कि महंगाई को देखते हुए RBI कोई बड़ा कदम नहीं उठाएगा और अधिकतम 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती करेगा.

वैश्विक परिदृश्य का असर

दुनियाभर में केंद्रीय बैंक इस समय महंगाई और आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाया है, जिससे भारत सहित कई देशों के लिए नीतिगत फैसले लेना चुनौतीपूर्ण हो गया है.

पिछली MPC का रिपोर्ट कार्ड

गौरतलब है कि फरवरी 2024 की पिछली नीति बैठक में MPC ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6.5% से घटाकर 6.25% किया था. यह मौजूदा दरों में नरमी के सिलसिले की पहली कटौती थी.

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