रतन टाटा के 'बेस्ट फ्रेंड' शांतनु नायडू ने लिखा भावुक पोस्ट, जानिए दोनों की पहली मुलाकात से अमेरिका में शर्ट खरीदने तक के किस्से
Ratan Tata’s Friend Shantanu Naidu: दिवंगत रतन टाटा के करीबी दोस्त और सहयोगी शांतनु नायडू ने टाटा के निधन के तीन दिन बाद इंस्टाग्राम पर इमोशनल स्टोरी शेयर की. दोनों की विनम्रता ने ही एक-दूसरे का अजीज दोस्त बनाया. दोनों के बीच के गहरे संबंध की एक दिल को छू लेने वाली झलक पेश करती है.;
Ratan Tata’s Friend Shantanu Naidu: रतन टाटा के निधन पर यूं तो सबकी आंखें नम थी, लेकिन अगर कोई फूट-फूट कर रोया तो वो था उनका सबसे करीबी और अजीज दोस्त- शांतनु नायडू. कुछ ही साल तो हुए थे कि शांतनु को टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा महाप्रबंधक बने हुए, लेकिन कहते हैं ना अगर दिल नेक हो और कर्म के रास्ते एक तो दो इंसान की दोस्ती गहरी होती जाती है और यही हुआ शांतनु नायडू और रतन टाटा के साथ. शांतनु टाटा परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके थे.
रतन टाटा के निधन के तीन दिन बाद शांतनु नायडू ने इंस्टाग्राम पर एक बेहद इमोशनल पोस्ट शेयर की है. इसमें उन्होंने लिखा, 'आखिरकार बैठने और चीजों को महसूस करने का मौका मिल रहा है. अभी भी इस फैक्ट को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा हूं कि मैं उन्हें फिर कभी मुस्कुराते हुए नहीं देख पाऊंगा या उन्हें मुस्कुराने का मौका नहीं दे पाऊंगा.'
शर्ट वाली इमोशनल स्टोरी
रतन टाटा को ब्रूक्स ब्रदर ब्रांड की शर्ट बेहद पसंद थी और ये चिज शांतनु नायडू ने नोटिस कर ली थी. फिर उन्होंने अपने अरबपति मित्र को प्रभावित करने के लिए उन्होंने लग्जरी ब्रांड ब्रूक्स ब्रदर्स की एक शर्ट खरीदी. इसे खरीदने में उन्होंने अपनी एक महीने की आधी सैलरी लगा दी. कुछ दिनों बाद ही जब रतन टाटा ने पाया कि शांतनु से गलती से वो शर्ट फट गया था. रतन टाटा ने अमेरिका के एक स्टोर में वही शर्ट ढूंढी और उन्हें एक नई शर्ट खरीदा. इस दौरान जब शांतनु नायडू ने बिलिंग काउंटर पर बहस करने की कोशिश की तो रतन टाटा ने बड़े विनम्र से पूछा, 'क्या मैं अपने दोस्त को एक शर्ट नहीं दे सकता?' ये किस्से रतन टाटा की विनम्रता की महज छोटी सी कहानी है.
जब 2014 में हुई थी पहली मुलाकात
रतन टाटा और शांतनु नायडू की मुलाकात 2014 में हुई थी, जब शांतनु ने टाटा समूह के लिए काम करना शुरू किया था. यूं नहीं दोनों की देस्ती इतनी गहरी हुई थी. दोनों को कुत्तों के प्रति काफी प्यार था, इस दौरान दोनों काम करते हुए काफी आए. शांतनु ने शुरू में आवारा कुत्तों के लिए अंधेरे में चमकने वाले कॉलर डिजाइन करने के मिशन पर काम शुरू किया था. ताकि वे ड्राइवरों को अधिक दिखाई दें और दुर्घटनाओं को रोका जा सके.
शांतनु के स्टार्टअप से रतन टाटा हुए थे प्रभावित
शांतनु के इस स्टार्टअप से रतन टाटा काफी खुश और प्रभावित हुए. शांतनु को अपने इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिग चाहिए थी और सहायता के लिए रतन टाटा से संपर्क करने का फैसला किया. उन्हें आश्चर्य हुआ कि दो महीने के भीतर ही टाटा ने जवाब दिया और शांतनु को उनके साथ सहयोग करने के लिए मुंबई आमंत्रित किया. जानवरों के प्रति अपने आपसी प्रेम के कारण दोनों एक-दूसरे के करीब आए और शांतनु के स्टार्टअप मोटोपॉज़ को लॉन्च करने के लिए साथ-साथ काम किया. मोटोपॉज़ के अलावा शांतनु ने गुड फ़ेलोज़ की भी स्थापना की, जिसका उद्देश्य बुजुर्ग व्यक्तियों को युवा साथियों से जोड़ना है.