राणा सांगा कौन थे, जिन्हें सपा सांसद ने लोकसभा में बताया ‘गद्दार’?

सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने राजपूत शासक राणा सांगा को गद्दार बताया है. उन्होंने लोकसभा में कहा कि राणा सांगा ने बाबर को इब्राहिम लोदी पर हमला करने के लिए भारत बुलाय था. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर राणा सांगा कौन थे, उनका बाबर से क्या संबंध और उन्होंने क्या सच में बाबर को भारत बुलाया था? आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...;

By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 22 March 2025 7:28 PM IST

Rana Sanga History: समाजवादी पाटी के लोकसभा सांसद रामजी लाल सुमन ने राजपूत शासक राणा सांगा को गद्दार बताया है. उन्होंने दावा किया है कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत बुलाया था. आखिर राणा सांगा कौन थे, क्या उन पर लगे आरोप सही हैं और उन्होंने कौन-कौन सी लड़ाइयां लड़ी हैं? आइए, आपको विस्तार से बताते हैं...

राणा सांगा यानी महाराणा संग्राम सिंह (1482-1528) मेवाड़ के महान राजपूत शासक थे. उन्होंने 16वीं शताब्दी में उत्तरी भारत में कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े. वह अपनी वीरता, युद्धनीति और हिंदू सत्ता की रक्षा के लिए संघर्ष के लिए प्रसिद्ध थे. 

12 अप्रैल 1882 को हुआ जन्म

राणा सांगा  सिसोदिया वंश से थे. उनका जन्म 12 अप्रैल, 1482 को हुआ था. वे राणा कुंभा के पोते और राणा रायमल के पुत्र थे. राणा सांगा 1508 में मेवाड़ के राजा बने. उन्होंने 1528 तक शासन किया. वे मध्यकालीन भारत के अंतिम शासक थे. उन्होंने एक हाथ और एक आंख खोने के साथ ही शरीर पर लगभग 80 घावों के बावजूद विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

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खतौली का युद्ध

खतौली का युद्ध 1518 में इब्राहिम लोदी के विरुद्ध लड़ा गया था. यह युद्ध हरावती (हरावती) की सीमा पर खतोली गांव के पास हुआ. इस युद्ध में इब्राहिम लोदी की सेना हार गई. राणा सांगा ने एक लोदी राजकुमार को बंदी बना लिया और फिरौती के भुगतान पर कुछ दिनों बाद उसे रिहा कर दिया. इसी युद्ध के दौरान महाराणा ने एक हाथ खो दिया. महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु 30 जनवरी 1528 को हो हुई. ऐसा माना जाता है कि उन्हें उनके ही कुछ सरदारों ने ज़हर दे दिया था, क्योंकि वे बाबर के साथ लड़ाई को फिर से शुरू करने की उनकी योजना को आत्मघाती मानते थे.

राणा सांगा का जीवन और उनकी उपलब्धियां

राणा सांगा ने अपने शासनकाल में कई युद्ध लड़े और उत्तरी भारत में राजपूत सत्ता को मजबूत किया. उन्होंने इब्राहिम लोदी और दिल्ली सल्तनत की ताकत को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई. बाबर के भारत आने के बाद राणा सांगा ने उसके खिलाफ राजपूतों और अफगानों का एक विशाल संघ बनाया.

क्या राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था?

कुछ इतिहासकारों के अनुसार, राणा सांगा ने बाबर को एक बाहरी शक्ति के रूप में देखा जो दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को परास्त कर सकती थी. हालांकि, ऐसा कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था. बाबर ने खुद अपनी आत्मकथा बाबरनामा में लिखा है कि उसने दिल्ली जीतने का फैसला खुद किया था. यह उसकी खुद की महत्वाकांक्षा थी.

जब बाबर ने इब्राहिम लोदी को 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में हराकर दिल्ली और आगरा पर कब्जा कर लिया, तब राणा सांगा को एहसास हुआ कि बाबर एक अस्थायी बाहरी शक्ति नहीं, बल्कि भारत पर स्थायी रूप से शासन करने की मंशा रखता है. इसके बाद राणा सांगा और बाबर के बीच 1527 में खानवा का युद्ध हुआ, जिसमें बाबर ने राणा सांगा को पराजित किया.

सपा सांसद का बयान और विवाद

समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने हाल ही में संसद में कहा कि अगर भारतीय मुसलमानों को बाबर का वंशज कहा जाता है, तो राणा सांगा भी गद्दार हुए क्योंकि उन्होंने ही बाबर को बुलाया था. उनके इस बयान के बाद राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया और भाजपा सहित कई संगठनों ने इसे राजपूतों और भारतीय इतिहास का अपमान बताया.

कुल मिलाकर, राणा सांगा भारतीय इतिहास के महान योद्धा थे, जिन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष किया. उन्होंने बाबर को भारत नहीं बुलाया था, बल्कि बाद में बाबर के खिलाफ युद्ध लड़ा था. सपा सांसद का बयान ऐतिहासिक तथ्यों से मेल नहीं खाता और इसे लेकर राजनीतिक विवाद जारी है.

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