300 मेल कैडेट्स के बीच 17 शेरनियों की दहाड़! NDA की पासिंग आउट परेड में रचा जाएगा इतिहास
NDA Women POP: महाराष्ट्र के पुणे में 30 मई 2025 को बेहद खूबसूरत पल देने को मिलेगा. एनडीए की पासिंग आउट परेड होगी, जिसमें पहली बार एनडीए से 17 महिला कैडेट्स पासआउट होगीं. महिला कैडेटरों को 3 साल तक कड़ी ट्रेनिंग दी गई. शारीरिक प्रशिक्षण, सैन्य नियमों का पालन और मजबूत रिश्ते बनाए.;
NDA Women POP: देश में 30 मई 2025 का दिन बेहद खास होने वाला है. इस दिन पुणे में एनडीए की पासिंग आउट परेड होगी, जिसमें पहली बार एनडीए से 17 महिला कैडेट्स पासआउट होगीं. साथ ही 300 से ज्यादा पुरुष भी एकेडमी से ग्रेजुएट होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में यूपीएससी के निर्देश के बाद महिलाओं को डिफेंस एकेडमी में अप्लाई करने की अनुमति दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, साल 2022 में पहली बार 17 महिला कैडेट्स का बैच एनडीए में शामिल हुआ. सभी महिलाएं भारतीय थल सेना, एयर फोर्स और नेवी ज्वाइन करेंगी. अब कैडेट्स ने अपनी ट्रेनिंग के दौरान एक्सपीरियंस को शेयर किया है.
कैसी रही ट्रेनिंग?
महिला कैडेटरों को 3 साल तक कड़ी ट्रेनिंग दी गई. शारीरिक प्रशिक्षण, सैन्य नियमों का पालन और मजबूत रिश्ते बनाए. उन्होंने सीखा कि कैसे अपने देश की रक्षा करनी है. स्थिति चाहे कैसी भी हो. एक महिला कैडर इशिता ने कहा, 3 साल बिताने के बाद, मैं आत्मविश्वास से कह सकती हूं कि मेरा व्यक्तित्व पूरी से बदल गया है. ट्रेनिंग ने मेरा जीवन बदल दिया है.
इशिता ने कहा, मेरे घर में कोई सेना में नहीं रहा. मेरे माता-पिता कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करते हैं और मेरा भाई आईटी प्रोफेशनल है. इसलिए एनडीए में जाना एक बड़ी बात है.
ट्रेनिंग ने बहुत कुछ सिखाया
रितुल ने कहा, मैं अपने लिए शारीरिक सहनशक्ति को ही जिम्मेदार मानूंगी. इन तीन सालों में धीरे-धीरे ट्रेनिंग के साथ हम सभी में सुधार हुआ है. कई लोग दो किलोमीटर भी नहीं दौड़े थे और बाद में हम लगातार 14 किलोमीटर दौड़ रहे थे. इसमें हमें इमोशनली रूप से फ्लेक्सिबल बनने में मदद मिली है.
पहला दिन चैलेंजिंग था
हरसिमरन कौर ने बताया कि एकेडमी में उनका पहला दिन उनके रोंगटे खड़े कर देने वाला था. क्योंकि उन्होंने एनडीए औऱ उसके प्रतिष्ठित सूडान ब्लॉक को केवल तस्वीरों में ही देखा था. मैं सूडान ब्लॉक और बाकी इमारतों, पुराने कैडेटों को देखकर अचंभित रह गई.
कौर ने कहा, हमारा शेड्यूल इतना बिजी था कि हमें अपने टाइम मैनेजमेंट करना पड़ता था. कई बार बहुत दर्द होता था, लेकिन अकादमी आपको शारीरिक और शैक्षणिक मांगों के बीच बैलेंस बनाना सिखाती है. इस ट्रेनिंग ने बहुत कुछ बदल दिया है.