क्या संसद में प्रियंका गांधी बनेंगी विपक्ष की नई आवाज? भाई राहुल गांधी पर ऐसे पड़ सकती हैं भारी

Priyanka Gandhi - Rahul Gandhi: विपक्ष में लंबे समय से कोई सटीक बोलने वाला नहीं है तो क्या प्रियंका गांधी इसकी भरपाई कर पाएगी और उनके आने से विपक्ष कितना मजबूत हो पाएगा और सवाल तो ये भी सामने आ रहे हैं कि क्या राहुल गांधी को रिप्लेस कर देंगी. आइए यहां हम जानते हैं कि प्रियंका गांधी की वो खासियत जो राजनीति में उनके कद को बढ़ा रहा है.;

Priyanka Gandhi - Rahul Gandhi
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 15 Dec 2024 4:00 PM IST

Priyanka Gandhi - Rahul Gandhi: केरल के वायनाड से लोकसभा उपचुनाव में प्रियंका गांधी वाड्रा की जीत और बीते दिन संविधान दिवस पर उनके भाषण ने कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों इशारे किए हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में दिए गए भाषण को 'गणित का दोहरा दौर' और 'उबाऊ' बताया.

प्रियंका ने कहा, 'पीएम ने एक भी ऐसी बात नहीं कही जो नई हो. उन्होंने हमें बोर कर दिया. मुझे यह बात दशकों पहले ले गई. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं गणित के उस दोहरे दौर में बैठी हूं. नड्डा जी भी हाथ मल रहे थे लेकिन जैसे ही मोदी जी ने उनकी तरफ देखा, उन्होंने ऐसा दिखावा किया कि जैसे कि वह ध्यान से सुन रहे हों. अमित शाह जी का भी सिर पर हाथ था, पीयूष गोयल जी सोने जा रहे थे. मैंने सोचा था कि पीएम कुछ नया, कुछ अच्छा कहेंगे.'

विपक्ष की आवाज बनेगी प्रियंका गांधी

प्रियंका चुनाव प्रचार से ही अपने बोलने की शैली को लेकर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. अब सांसद में उनके नए और पहले भाषण ने विपक्ष एक नई आवाज दे दी है. उनकी बातों से लग रहा था कि एक बुलंद आवाज कांग्रेस पार्टी को मिली है, जो आने वाले समय में कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाएगी. प्रियंका की हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पकड़ कांग्रेस के प्रदर्शन को बेहतर बना सकती है और उनके भाषण महत्वपूर्ण मुद्दों पर पार्टी के संदेश को देश भर में फैलाने में एक शक्तिशाली भूमिका निभा सकते हैं.

क्या राहुल गांधी की राजनीतिक करियर पर प्रियंका होगी भारी

कांग्रेस में अभी दो स्पष्ट शक्ति केंद्र हैं (चाहे पार्टी आधिकारिक तौर पर इसे स्वीकार करे या नहीं) और आखिर में केवल एक ही जीतेगा. जब भाई-बहन किसी विषय या निर्णय पर असहमत होते हैं, तो कैडर को अनिवार्य रूप से एक पक्ष चुनना होगा. ऐसे में प्रियंका गांधी के बढ़ते राजनीतिक कद से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता काफी प्रभावित हैं, जो आने वाले समय में उन्हें शीर्ष नेतृत्व का कमान दे सकते हैं. वहीं प्रियंका का बढ़ता प्रभाव राहुल गांधी की राजनीतिक करियर पर भी पड़ सकता है.

इंदिरा फैक्टर भी आ रहा है काम

प्रियंका गांधी वाड्रा की अपनी दादी और दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से काफी समानता को लेकर हमले बढ़ सकते हैं, जूनियर गांधी तुलना को वह साबित कर सकती हैं और लोगों की उनसे उम्मीदें बढ़ा सकती हैं. इससे उन्हें न केवल अपनी योग्यता साबित करने का मौका मिलेगा, बल्कि उनकी राजनीतिक चतुराई भी बढ़ेगी.

बोलने की कला और रणनीतिकार

प्रियंका गांधी वाड्रा के सवालों के जवाब चुटीले होते हैं और अगर चुनाव प्रचार के दौरान उनके तीखे हमलों को देखा जाए तो संसद में बहस के दौरान पार्टी के लिए मुखर नजर आती हैं. प्रियंका अक्सर कांग्रेस में संकट को कम करने के लिए आगे आती रही हैं और अपनी पार्टी की ओर से सदन में विपक्ष बनाम सरकार के गतिरोध को सुलझाने में उपयोगी हो सकती हैं. जबकि भाई राहुल में राजनीतिक रुप से इसमें कमी नजर आती है. 

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