भारत की 'प्रलय' से दहले ड्रैगन और 'जिहादिस्तान', दुश्‍मन की पकड़ में आए बिना लगेगा 100 फीसदी सटीक निशाना

28-29 जुलाई 2025 को DRDO ने स्वदेशी ‘प्रलय’ मिसाइल के दो सफल परीक्षण कर भारत की सामरिक शक्ति को नई ऊंचाई दी. 150-500 किमी रेंज वाली यह क्वाज़ी-बैलिस्टिक मिसाइल दुश्मन की पकड़ में आए बिना 100% सटीकता से लक्ष्य भेदती है. चीन-पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अब निर्णायक हमला करने में सक्षम है. मोबाइल लॉन्च, तेज प्रहार और उच्च सटीकता के साथ 'प्रलय' सीमित युद्धों में गेम-चेंजर साबित हो सकती है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 31 July 2025 9:01 AM IST

28 और 29 जुलाई 2025 को भारत ने अपने सामरिक इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा, जब DRDO ने ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से स्वदेशी रूप से विकसित की गई ‘प्रलय’ मिसाइल के दो लगातार सफल परीक्षण किए. ये सिर्फ तकनीकी परीक्षण नहीं थे, बल्कि एक शक्तिशाली संदेश भी थे - सीमा पार बैठे चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों को, कि भारत अब सिर्फ जवाब देने वाला देश नहीं रहा, बल्कि किसी भी समय, कहीं भी, दुश्मन को ध्वस्त करने की क्षमता रखता है.

‘प्रलय’ का अर्थ ही है ‘विनाश’, और इस मिसाइल के परीक्षण ने दुश्मनों के होश उड़ा दिए हैं. इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसकी रेंज और सटीकता - 150 से 500 किलोमीटर की दूरी पर दुश्मन के अहम ठिकानों को पल भर में तबाह करने की क्षमता. यह एक ऐसी ‘क्वाज़ी-बैलिस्टिक मिसाइल’ है, जिसे ट्रैक करना मुश्किल है और मारक क्षमता अत्यधिक प्रभावी है. चीन पहले से ही भारत के ब्रह्मोस, अग्नि और पृथ्वी जैसे मिसाइल सिस्टम से परेशान है, अब प्रलय की एंट्री ने उसे और सतर्क कर दिया है. वहीं पाकिस्तान के लिए यह एक "No Room to Hide" जैसी चेतावनी है.

‘प्रलय’ के दो सफल परीक्षणों से यह स्पष्ट हो गया है कि भारतीय सेना अब सीमित युद्धों के लिए भी पूरी तरह तैयार है और DRDO का यह प्रोजेक्ट भविष्य के युद्धों के स्वरूप को बदल सकता है. इससे भारतीय सशस्त्र बलों को ऐसी सामरिक ताकत मिलती है, जिससे दुश्मन के कमांड सेंटर, हवाई अड्डे, गोला-बारूद डिपो और ब्रिज जैसे रणनीतिक ठिकानों को मिनटों में ध्वस्त किया जा सकता है. तो आइए इस मिसाइल के बारे में थोड़ा और विस्‍तार से जान लेते हैं.

प्रलय मिसाइल की ताकत: क्यों यह गेम-चेंजर है

  • स्वदेशी तकनीक: प्रलय पूरी तरह से भारत में विकसित की गई है, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को बड़ा बल मिला है.
  • क्वाज़ी-बैलिस्टिक तकनीक: यह मिसाइल पारंपरिक बैलिस्टिक पथ से हटकर उड़ान भरती है, जिससे इसे इंटरसेप्ट करना मुश्किल होता है.
  • बेहद सटीक निशाना: एडवांस नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम इसे टारगेट तक 100% सटीकता से पहुंचाते हैं.

तकनीकी खूबियां

विशेषता

विवरण

रेंज

150-500 किलोमीटर

पेलोड क्षमता

500-1000 किलोग्राम (सिर्फ पारंपरिक हथियार)

इंजन

ठोस ईंधन आधारित प्रपल्शन

सिस्टम

क्वाज़ी-बैलिस्टिक, हाई-प्रिसिजन

नेविगेशन

अत्याधुनिक इनर्शियल और सैटेलाइट आधारित गाइडेंस

लॉन्च प्लेटफॉर्म

मोबाइल ट्रांसपोर्टर-एरेक्टर-लॉन्चर (TEL)

टेस्टिंग और डेवलपमेंट का सफर

  • आरंभिक विकास: DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) ने इस प्रोजेक्ट की कमान संभाली, जिसमें कई लैब्स ने सहयोग किया - जैसे कि Advanced Systems Lab, Armament R&D Establishment, High Energy Materials Lab आदि.
  • उद्योग भागीदारी: भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और कई MSMEs भी इस प्रोजेक्ट में जुड़े.
  • पहला परीक्षण: प्रलय का पहला सफल परीक्षण दिसंबर 2021 में हुआ था. इसके बाद लगातार इसे अपग्रेड किया गया.
  • ताजा परीक्षण: जुलाई 2025 में लगातार दो दिन (28 और 29 तारीख को) DRDO ने दो सफल परीक्षण किए. दोनों में मिसाइल ने लक्ष्यों को पूरी सटीकता से भेदा.

प्रलय बनाम पारंपरिक मिसाइलें: क्या है अंतर

पहलू

प्रलय

पारंपरिक SRBM

सटीकता

अत्यधिक

सीमित

ट्रैक करना

मुश्किल

आसान

लॉन्च की तैयारी

मिनटों में

घंटों में

दुश्मन पर असर

रणनीतिक

सामरिक

लॉन्च प्लेटफॉर्म

मोबाइल TEL

अधिकतर स्थिर या सीमित मोबाइलिटी

सेना के लिए रणनीतिक बढ़त

  • तेज और सटीक हमला: सीमावर्ती इलाकों में तेजी से प्रतिक्रिया देने के लिए आदर्श.
  • सामरिक ठिकानों को ध्वस्त करना: एयरबेस, ब्रिज, लॉजिस्टिक हब आदि को निशाना बना सकता है.
  • मोबाइल लॉन्च सिस्टम: यह मिसाइल मोबाइल ट्रक से लॉन्च की जा सकती है, जिससे इसकी जगह का पता लगाना मुश्किल होता है.
  • कम समय में ऑपरेशन: किसी भी हमले या जवाबी कार्रवाई में इसकी भूमिका निर्णायक होगी.

भारत की रणनीतिक क्षमता को ‘प्रलय’ का वरदान

‘प्रलय’ केवल एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की सैन्य आत्मनिर्भरता, वैज्ञानिक कौशल और सामरिक परिपक्वता का प्रतीक है. यह न केवल दुश्मनों के खिलाफ भारत को एक निर्णायक बढ़त देती है, बल्कि इसके चलते भारत अब सीमित युद्ध की स्थितियों में भी आत्मनिर्भर और प्रभावी जवाब देने में सक्षम बन गया है.

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