संसद में सियासी संग्राम! ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में शुरू होगी 16 घंटे की बहस, शाह-राजनाथ VS राहुल-खड़गे का होगा मुकाबला
संसद के मानसून सत्र में अब पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस शुरू होगी. सरकार तीन बड़े मंत्रियों के ज़रिए राष्ट्रीय सुरक्षा पर अपनी नीति को मजबूती से रखेगी, जबकि विपक्ष खुफिया चूक और विदेश नीति को लेकर हमलावर रहेगा. प्रधानमंत्री मोदी के हस्तक्षेप की संभावना है. विपक्ष बिहार में मतदाता सूची विवाद को भी जोड़कर सरकार को घेरेगा.;
संसद का मानसून सत्र पहले हफ्ते तक हंगामे की भेंट चढ़ चुका है, लेकिन सोमवार से अब असली बहस की शुरुआत होने जा रही है. विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने होंगे, खासकर दो अहम मुद्दों- पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर. जहां सत्तारूढ़ एनडीए सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई के मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड को सामने रखेगी, वहीं विपक्ष खुफिया विफलताओं और अंतरराष्ट्रीय दबाव पर सरकार को घेरने की रणनीति अपनाएगा.
सूत्रों के अनुसार, सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर सदन में मोर्चा संभालेंगे. इनके ज़रिए सरकार यह संदेश देना चाहती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उसकी नीति स्पष्ट और निर्णायक है. कयास लगाए जा रहे हैं कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संसद में हस्तक्षेप कर सकते हैं, ताकि वह व्यक्तिगत रूप से अपने मजबूत नेतृत्व का संदेश देश और विपक्ष दोनों को दे सकें.
विपक्ष करेगी रणनीतिक घेराबंदी
लोकसभा में राहुल गांधी और राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे जैसे वरिष्ठ नेता सरकार से तीखे सवाल पूछने की तैयारी में हैं. समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव समेत कई अन्य नेता भी सरकार से खुफिया विफलताओं पर जवाब मांगेंगे. विपक्ष का फोकस केवल ऑपरेशन सिंदूर पर नहीं बल्कि बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे मुद्दों पर भी है, जिससे वे सरकार पर चुनावी लाभ लेने का आरोप लगा रहे हैं.
ऑपरेशन सिंदूर पर होगी तीखी बहस
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत ने स्पष्ट किया है कि आतंकवाद को उसकी जड़ से खत्म करने के लिए यह कार्रवाई ज़रूरी थी. पीएम मोदी ने इस ऑपरेशन को भारत की सैन्य क्षमता और स्वदेशी तकनीक की जीत बताया है. पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले, संघर्ष विराम की शर्तों और अंतरराष्ट्रीय समर्थन के स्तर को लेकर भी संसद में तीखी बहस होने की संभावना है.
थरूर को बनाया जायेगा वक्ता?
दिलचस्प बात यह है कि शशि थरूर जैसे नेता, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष अमेरिका में मजबूती से रखा था, क्या उन्हें कांग्रेस अपना वक्ता बनाएगी? थरूर की सरकार समर्थक भूमिका से पार्टी पहले ही असहज रही है. संसद के भीतर यह एक बड़ा संकेत होगा कि कांग्रेस अपनी विदेश नीति के अनुभव को आगे लाना चाहती है या पार्टी लाइन को प्राथमिकता देती है.
लोकतंत्र की परीक्षा
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे की लंबी बहस तय की गई है, लेकिन यह साफ नहीं है कि क्या विपक्ष सभी मुद्दों को एक साथ जोड़कर बहस को पटरी से उतार देगा. निर्वाचन आयोग की कार्रवाई, एसआईआर विवाद और ट्रंप के मध्यस्थता दावे जैसे मुद्दे बहस को व्यापक जरूर बना सकते हैं, लेकिन इसकी गंभीरता बनाए रखना संसद की राजनीतिक परिपक्वता की परीक्षा होगी.