UNGA की बैठक में शामिल क्यों नहीं होंगे पीएम मोदी, वजह India-US तनाव और टैरिफ तो नहीं! जानें किसे मिली जिम्मेदारी

साल 2025 की UNGA बैठक भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव के बीच हो रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने रूस से तेल खरीदने पर भारत पर भारी शुल्क लगाए हैं, जिससे व्यापारिक तनाव और कूटनीतिक दूरी का माहौल बन रहा है. इस स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी का UNGA में न जाना एक संवेदनशील रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है.;

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Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 6 Sept 2025 8:57 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल (2025) यूएनजीए के हाई-लेवल डिबेट में हिस्सा नहीं लेंगे. उनके स्थान पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना का पक्ष रखेंगे. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनका नाम वक्ता सूची में दर्ज है.

अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. पीएम मोदी यूएनजीए बैठक में शामिल होंगे या नहीं, इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है. 6 सितंबर 2025 की रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की भागीदारी को लेकर गहराई से विचार-विमर्श जारी है, लेकिन यह संभावना 'बेहद कम' बताई जा रही है.

पीएम मोदी की अनुपस्थिति अहम क्यों?

आमतौर पर बड़े अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले वर्षों में भारत की सक्रिय भूमिका निभाई है. चाहे जलवायु परिवर्तन का मुद्दा हो, आतंकवाद पर कड़ा रुख या फिर ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने का मामला, मोदी का संबोधन विश्व स्तर पर सुर्खियां बटोरता रहा है, लेकिन इस बार उनकी अनुपस्थिति कई सवाल खड़े कर रही है.

इंडो-यूएस तनाव की वजह क्या है?

हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद गहराए हैं. ट्रेड और डिफेंस डील्स सहित कई सौदों और व्यापार समझौतों पर बातचीत अटकी हुई है. मानवाधिकार और लोकतंत्र पर अमेरिकी अधिकारियों का बयानों से भी हाल के महीनों में विवाद बढ़ा है. रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन नीति और दक्षिण एशिया की राजनीति पर दोनों देशों की नीतियों पूरी तरह मेल नहीं खा रही हैं.

जयशंकर की भूमिका

ऐसे में विदेश मंत्री जयशंकर का कूटनीतिक अनुभव और उनका स्पष्टवादी रुख इस समय भारत के लिए अहम माना जा रहा है. यही वजह है कि वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत का दृष्टिकोण वैश्विक शांति, विकास और बहुपक्षीय सहयोग पर रखेंगे. वह ग्लोबल साउथ की आवाज को बढ़ाने के साथ सीमा सुरक्षा पर भारत की चिंता जाहिर करेंगे. साथ ही अमेरिका समेत प्रमुख देशों के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय मुलाकातें भी करेंगे.

भारत की ओर से अमेरिका को बड़ा संदेश

विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी का यूएनजीए में शामिल न होना एक कूटनीतिक संदेश भी हो सकता है. यह अमेरिका को यह दिखाने की कोशिश है कि भारत हर मुद्दे पर उसके साथ कदमताल करने के लिए बाध्य नहीं है और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है.

टैरिफ विवाद के बीच अहम फैसला

दरअसल, फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए अमेरिका गए थे. बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें मोदी और ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत की योजना की घोषणा की, जो 2025 के विंटर सीजन तक दोनों पक्षों के लिए लाभकारी साबित होता.

इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया. भारत के विदेश मंत्रालय ने रिपब्लिकन नेता के इस कदम को अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया.

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