अब नहीं खुलेगा पीएम मोदी की डिग्री का राज! दिल्ली हाईकोर्ट ने CIC का आदेश किया रद्द, कहा- सिर्फ जिज्ञासा काफी नहीं

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीए डिग्री से जुड़े रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का निर्देश दिया गया था. यह मामला 2016 में दाखिल आरटीआई से शुरू हुआ था, जिसके तहत 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए परीक्षा पास करने वाले छात्रों के रिकॉर्ड देखने की अनुमति CIC ने दी थी.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 25 Aug 2025 4:53 PM IST

PM Modi Degree Case Delhi High Court Judgment: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने यह निर्णय दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) की याचिका पर दिया, जिसने CIC के आदेश को चुनौती दी थी.

यह मामला 2016 में शुरू हुआ था, जब नीरज नामक व्यक्ति ने RTI दायर कर पीएम मोदी की 1978 की BA डिग्री से संबंधित रिकॉर्ड मांगें. दिसंबर 2016 में CIC ने आदेश दिया था कि लोग 1978 में BA पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड का निरीक्षण कर सकते हैं. जनवरी 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने CIC आदेश पर स्टे लगा दिया था.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- रिकॉर्ड को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो DU की तरफ से पेश हुए, ने कहा कि यूनिवर्सिटी को अदालत को रिकॉर्ड दिखाने में कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा, “यूनिवर्सिटी के पास 1978 का BA का रिकॉर्ड है, जिसे अदालत देख सकती है, लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.”

DU ने तर्क दिया कि छात्र रिकॉर्ड फिड्यूशियरी क्षमता (विश्वासपूर्ण जिम्मेदारी) में रखे जाते हैं और सिर्फ जिज्ञासा के आधार पर इन्हें RTI कानून के तहत उजागर नहीं किया जा सकता. दूसरी ओर, RTI याचिकाकर्ताओं के वकीलों का कहना था कि प्रधानमंत्री की शैक्षणिक जानकारी सार्वजनिक हित में आती है और इसे सामने लाना चाहिए.

RTI से उठे सवाल (2016) 

एक शख्स नीरेज ने RTI दाखिल कर दिल्ली यूनिवर्सिटी से जानकारी मांगी कि 1978 में BA पास करने वाले छात्रों का रिकॉर्ड दिखाया जाए. उसी साल CIC (Central Information Commission) ने आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति आकर 1978 के पास-आउट छात्रों का रिकॉर्ड देख सकता है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी का विरोध

DU ने कहा कि स्टूडेंट्स का रिकॉर्ड fiduciary capacity (विश्वास के तहत सुरक्षित) होता है. यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती क्योंकि यह 'जनहित' का मामला नहीं बल्कि सिर्फ 'जिज्ञासा' (curiosity) है.

मामला कोर्ट पहुंचा (2017)

23 जनवरी 2017 को दिल्ली हाईकोर्ट ने CIC के आदेश पर रोक लगा दी. इसके बाद मामला लगातार कोर्ट में लंबित रहा.

सुनवाई में सरकार और DU का पक्ष

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूनिवर्सिटी को कोर्ट को रिकॉर्ड दिखाने में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि हां, 1978 का BA डिग्री रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी में मौजूद है.

RTI अपीलकर्ता का तर्क

अपीलकर्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री देश का सर्वोच्च पद है, इसलिए उनकी शिक्षा संबंधी जानकारी सार्वजनिक होना चाहिए. उन्होंने इसे जनहित का मामला बताया.

हाईकोर्ट का फैसला (25 अगस्त 2025)

जस्टिस सचिन दत्ता ने CIC का आदेश रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि “सिर्फ जिज्ञासा” सूचना का अधिकार नहीं है, जब तक उससे व्यापक जनहित न जुड़ा हो. यानी अब मोदी की BA डिग्री का रिकॉर्ड RTI के तहत सार्वजनिक रूप से देखने की इजाज़त नहीं है.

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