Left के गढ़ में BJP की नई चेहरा? जानें कौन हैं आर श्रीलेखा, जिनकी एंट्री से बदला सियासी समीकरण? बन पाएंगी मेयर!
kerala First IPS R Sreelekha: केरल की पूर्व DGP आर श्रीलेखा ने वामपंथ के गढ़ माने जाने वाले राज्य में भगवा पताका थाम ली है. अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह राज्य की राजधानी में बीजेपी की पहली मेयर बन सकती हैं. जानिए उनका प्रशासनिक करियर, राजनीतिक एंट्री, केरल चुनावों में उनका महत्व और BJP में उनकी भूमिका.;
kerala EX DGP R Sreelekha: केरल में दशकों से वाम दलों का दबदबा रहा है. वहीं, पूर्व DGP आर श्रीलेखा का भारतीय जनता पार्टी से जुड़ना सिर्फ एक राजनीतिक ज्वाइनिंग नहीं बल्कि वामपंथियों के गढ़ में बड़ा सियासी संकेत माना जा रहा है. एक सख्त, बेबाक और जमीनी अफसर के रूप में पहचान बना चुकी आर. श्रीलेखा केरल की राजनीति के मैदान में भगवा झंडा बुलंद करने में सफल हुई हैं. ऐसा इसलिए कि बीजेपी ने 13 दिसंबर को केरल में एक ऐतिहासिक चुनावी सफलता हासिल की है.
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उन्होंने लालगढ़ में CPI(M) से तिरुवनंतपुरम नगर निगम की सत्ता छीन ली है, जिससे राज्य की राजधानी के नगर निकाय में 45 साल के लगातार वामपंथी शासन का अंत हो गया. भगवा पार्टी की इस जीत में केरल की पहली महिला IPS अधिकारी आर श्रीलेखा की जीत ने बीजेपी की राजनीति में चार चांद लगा दिए, जिन्होंने इस हाई-स्टेक मुकाबले में जीत हासिल की.
साल 2020 में पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद से रिटायर हुईं श्रीलेखा, सस्थमंगलम डिवीजन से भारी अंतर से जीतने के बाद बीजेपी की बढ़त के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक बनकर उभरीं. उनकी जीत ने इस बात पर गहन राजनीतिक अटकलों को जन्म दिया है कि क्या 64 वर्षीय पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी बीजेपी की मेयर पद के लिए पसंद होंगी. अगर उन्हें नियुक्त किया जाता है, तो वह राज्य की राजधानी में पार्टी की पहली मेयर बन जाएंगी. मेयर बनने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में आर श्रीलेखा ने कहा कि यह फैसला पार्टी नेतृत्व पर निर्भर करता है.
केरल की पहली IPS की राजनीति में एंट्री अहम क्यों?
केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और BJP लगातार वैकल्पिक राजनीति गढ़ने की कोशिश में है. प्रशासनिक और ईमानदार छवि वाले चेहरों की तलाश बीजेपी को लंबे अरसे से थी. महिला, दलित और पूर्व शीर्ष अफसर तीनों पहचान एक साथ होने की वजह से बीजेपी ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी. फिर क्या था, वह वाम सरकार और सिस्टम पर खुली आलोचना करने वाली आवाज बनकर उभरीं. आर श्रीलेखा की एंट्री को BJP की सॉफ्ट हिंदुत्व प्लस स्ट्रांग एडमिनिस्ट्रेशन राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.
कौन हैं आर श्रीलेखा?
आर श्रीलेखा केरल कैडर की पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं. वह केरल की पहली महिला आईपीएस हैं. केरल की वरिष्ठ IPS अधिकारी श्रीलेखा DGP पद से सेवानिवृत्त हुई थीं. केरल पुलिस सेवा में करीब तीन दशक से अधिक समय तक काम करने का उन्हें मौका मिला था. DGP रैंक से (जेल/प्रिजन व सुधार सेवाएं जैसे अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं.
वह केरल की सबसे चर्चित महिला IPS अधिकारियों में शामिल रही हैं. जेल सुधार, महिला सुरक्षा और प्रशासनिक पारदर्शिता पर काम कर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी. वह सोशल और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर राय रखने के लिए जानी जाती हैं. सेवा के दौरान भी वाम सरकार और सिस्टम की आलोचना को लेकर चर्चा में रहीं.
क्या है आर श्रीलेखा की खासियत?
वह छवि की महिला अफसर और अब राजनेता हैं. वह जो सोचती हैं, वही कहती हैं और करती भी वही हैं. उनके पास फील्ड से लेकर DGP तक का प्रशासनिक अनुभव है. केरल जैसे राज्य में महिला अफसर का शीर्ष पद तक पहुंचना बड़ी बात है. वह लेफ्ट राजनीति की खुली आलोचक रही हैं.
BJP से कब और क्यों जुड़ी?
रिटायरमेंट के बाद उन्होंने खुलकर वाम राजनीति से असहमति जताई. राष्ट्रवाद, प्रशासनिक सुधार और वैचारिक स्पष्टता को BJP से जोड़कर देखा गया. इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया. पार्टी में शामिल होने के बाद वे केरल में BJP के अभियानों, कार्यक्रमों और वैचारिक मंचों पर सक्रिय रही. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार BJP उन्हें प्रशासनिक चेहरे और महिला नेतृत्व के तौर पर आगे बढ़ा सकती है.
BJP में अब तक क्या-क्या जिम्मेदारियां?
पार्टी के कार्यक्रमों और सार्वजनिक मंचों पर सक्रिय भागीदारी निभा चुकी हैं. वह केरल में संगठन को मजबूत करने से जुड़े अभियानों में अहम भूमिका निभाने में सफल रही हैं. कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा और प्रशासनिक मुद्दों पर पार्टी की आवाज हैं. भविष्य में उन्हें चुनावी या संगठनात्मक जिम्मेदारी मिलने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा.
केरल की राजनीति में BJP के लिए विश्वसनीय चेहरा हैं. वाम बनाम दक्षिणपंथ की बहस में मजबूत वक्ता हैं. महिला और दलित वोट बैंक में सेंध की कोशिश कर भगवा पताका लहरा चुकी हैं.
13 दिसंबर को जब तिरुवनंतपुरम नगर निगम चुनाव के तहत वोटों की गिनती हुई, तो बीजेपी 101 सदस्यीय तिरुवनंतपुरम कॉर्पोरेशन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी 50 वार्ड जीतने में कामयाब हुई. CPI(M) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे को 29 सीटें मिलीं. जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे ने 19 सीटें जीतीं. दो वार्ड स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीते. हालांकि, बीजेपी बहुमत से सिर्फ़ एक सीट पीछे रह गई, लेकिन इस नतीजे ने एक ऐसे शहर में एक बड़ा राजनीतिक बदलाव ला दिया, जिसे लंबे समय से लेफ्ट का गढ़ माना जाता था.