27 हफ्ते की प्रेग्नेंट 13 साल की रेप पीड़िता को मिली अबॉर्शन की अनुमति, उड़ीसा HC का फैसला
Odisha High Court: उड़ीसा हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनाई करते हुए 27 सप्ताह की गर्भवती नाबालिग को अबॉर्शन की अनुमति दे दी. उसकी मेडिकल जांच में पता चला कि बच्ची को कई सेहत संबंधी समस्या है जो उसकी जान के खिलाफ खतरा बन सकती है. पिछले साल आरोपी ने कई बार उसका रेप किया था और किसी को बताने पर धमकी दी थी.;
Odisha High Court: उड़ीसा हाई कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 27 सप्ताह प्रेग्नेंट 13 साल की रेप पीड़िता का अबॉर्शन कराने की अनुमति दे दी. कोर्ट के जस्टिस एस.के. पाणिग्रही ने माना कि यह इससे उसके जीवन और स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है. पीड़िता कंधमाल जिले की रहने वाली है. जो कि सिकल सेल एनीमिया और मिर्गी से पीड़ित है, ऐसे में डिलीवरी से दोनों की जान को खतरा हो सकता है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता अनुसूचित जनजाति समुदाय से है. पिछले साल एक स्थानीय युवक ने कई बार बलात्कार किया था. आरोपी ने उसे धमकियां दी. नाबालिग बच्ची ने डर को किसी को यह बात नहीं बताई, लेकिन अचानक उसकी तबियत खराब हुई और अपराध के बारे में बच्ची के परिवार को जानकारी हुई.
गर्भवती पीड़िता का अबॉर्शन
कोर्ट में सुनवाई के दौरान मामले से जुड़े कई खुलासे हुए. नाबालिग जब तबियत बिगड़ी तो मेडिकल जांच में पता चला कि वह छह सप्ताह से अधिक गर्भवती है. चिकित्सीय गर्भपात (एमटीपी) अधिनियम के तहत निर्धारित 24 सप्ताह की सीमा को पार कर गया है. इसके बाद 11 फरवरी आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. पीड़िता की मेडिकल जांच कराई गई, जिसमें गर्भावस्था और उससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों के बारे में पता चला.
मेडिकल रिपोर्ट सामने आने के बाद पीड़िता के पिता ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की और बच्ची के अबॉर्शन की अनुमति मांगी. पिछले महीने कोर्ट ने आदेश में ब्रह्मपुर स्थित एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को बच्ची की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. बोर्ड ने बताया कि नाबालिग की डिलीवरी कराने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है. इसके बाद राज्य सरकार ने याचिका पर कोई आपत्ति नहीं जताई, यह तर्क दिया कि बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा. इसलिए उसे गर्भपात की इजाजत दे दी गई.
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इलाहाबाद कोर्ट ने भी दिया ऐसा आदेश
एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कानपुर की रेप पीड़िता को अबॉर्शन की परमिशन दे दी. रेप की घटना के दौरान वह गर्भवती हो गई थी और इस बच्चे को नहीं रखना चाहती थी. कोर्ट ने कानपुर सीएमओ को रेप पीड़िता के भ्रूण के टिश्यू और ब्लड सैंपल को सबूत के तौर पर संरक्षित रखने का आदेश दिया है. पहले ही आरोपी के खिलाफ केस दर्ज है और कार्रवाई की जा रही है. कोर्ट ने तीन दिन में अबॉर्शन कराने की अनुमति दी है.