कभी अंग्रेजों ने तो कभी आग ने पहुंचाया था नुकसान, अब नमाज को लेकर चर्चा में है पुणे का शनिवार वाड़ा; जानें पूरा इतिहास
पुणे के शनिवार वाडा में मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज अदा करने के वीडियो के बाद विवाद बढ़ गया. भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी ने वहां शुद्धिकरण कर विरोध जताया, जिसमें हिंदू संगठनों ने भी भाग लिया. एनसीपी और शिवसेना ने इसकी आलोचना की. शनिवार वाडा, मराठा साम्राज्य का ऐतिहासिक किला, प्रशासनिक और युद्ध नीति का केंद्र था. यह घटना पुणे में सांप्रदायिक और राजनीतिक बहस को जन्म दे रही है.;
पुणे का ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा इन दिनों चर्चा में है. कुछ मुस्लिम महिलाओं का नमाज अदा करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद ने जोर पकड़ लिया. इस घटना के विरोध में भाजपा की राज्यसभा सांसद मेधा कुलकर्णी ने शनिवार वाडा का शुद्धिकरण किया और वहां गौमूत्र छिड़क कर विरोध दर्ज कराया. इस विरोध-प्रदर्शन में कई हिंदू संगठन भी शामिल हुए और घटना ने पुणे में सामाजिक और राजनीतिक बहस को जन्म दे दिया.
शनिवार वाडा केवल एक किला नहीं, बल्कि मराठा साम्राज्य का प्रतीक और इतिहास का साक्षी भी है. इसे लेकर हर कोई संवेदनशील है. सांसद मेधा कुलकर्णी ने कहा कि यहां नमाज की घटना से मराठा गौरव और हिंदू संस्कृति की भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने सभी हिंदुओं से एकजुट होने और संस्कृति तथा इतिहास की रक्षा करने का आह्वान किया.
महायुति में तनाव
इस घटना के बाद महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में राजनीतिक तनाव पैदा हो गया. एनसीपी और शिवसेना ने भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी की आलोचना की. एनसीपी प्रवक्ता रूपाली पाटिल थोम्ब्रे ने कहा कि पुणे में हिंदू और मुस्लिम भाई-भाई की तरह रहते हैं और सांसद के इस कदम से सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ है. उन्होंने पुलिस से कुलकर्णी के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग भी की.
महिलाओं के खिलाफ केस
बीजेपी सांसद मेधा कुलकर्णी ने कुछ हिंदू संगठनों के साथ शनिवार वाडा में गोमूत्र छिड़क कर शुद्धिकरण का आयोजन किया. उन्होंने यहां स्थित दरगाह और मज़ार को हटाने की चेतावनी भी दी. इस कदम के बाद पुलिस ने अज्ञात महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया. कांग्रेस ने भी इस घटना और पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाए, उनका कहना था कि शनिवार वाडा कोई धार्मिक स्थल नहीं है और यह पुरातात्विक महत्व का स्थल है.
ASI के हैं नियम
शिवसेना नेता नीलम गोरहे ने कहा कि शनिवार वाडा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत संरक्षित स्थल है. यहां क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके नियम हैं और उनका पालन अनिवार्य है. किसी को यह ग़लतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि वह स्थल अपने मनमाने तरीके से बदल सकता है.
शनिवार वाडा का इतिहास
पेशवा बाजीराव प्रथम ने 1732 में शनिवार वाडा का निर्माण कराया. इसका नाम शिलान्यास के दिन शनिवार के अनुसार रखा गया. यह विशाल किला 13 मंजिलों वाला था, जिसमें 5 मुख्य दरवाजे और 9 टावर थे. लकड़ी और पत्थर से बना यह किला मराठा साम्राज्य का प्रशासनिक और युद्ध नीति का केंद्र था.
1828 में शनिवार वाडा में भीषण आग लगी, जिसमें अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया. आज केवल पत्थरों की दीवारें और मुख्य गेट ही बचे हैं. वर्तमान में यह स्थल भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) द्वारा संरक्षित है और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है.
पेशवाओं का था शासन केंद्र
बाजीराव प्रथम, नाना साहेब, माधवराव प्रथम, नारायणराव और माधवराव द्वितीय सहित कई पेशवाओं ने यहीं से शासन किया. यहां से मराठा साम्राज्य के प्रशासन, युद्ध और कूटनीतिक निर्णय लिए जाते थे. सन 1818 में अंग्रेजों ने शनिवार वाडा पर अपना नियंत्रण स्थापित किया. इसके बाद भी 1828 की आग ने किले को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया.
17 साल के पेशवा की हुई थी हत्या
1773 में 17 वर्षीय पेशवा नारायणराव की हत्या इसी किले में कर दी गई थी. हत्या की साजिश में उनके काका रघुनाथराव और काकी आनंदीबाई शामिल थीं. सत्ता संघर्ष के कारण यह षड्यंत्र रचा गया. नारायणराव के साथ उनके सेवक चापाजी तिलेकर सहित कुल 11 लोगों को मार डाला गया. नारायणराव हत्या और अन्य षड्यंत्रों की वजह से शनिवार वाडा को भूतिया स्थल भी कहा जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि रात में कभी-कभी “काका, मला वाचवा” जैसी आवाजें सुनाई देती हैं.
पर्यटन और सांस्कृतिक केंद्र
आज शनिवार वाडा पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. यहां हर शाम लाइट एंड साउंड शो आयोजित होता है, जो मराठा साम्राज्य के इतिहास और पेशवाओं की वीरता को दर्शाता है. यह स्थल मराठा गौरव और पुणे के ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक बना हुआ है.