VIP नहीं, ट्रेन का जनरल डिब्बा है असली हीरो! 5 साल में 2187 करोड़ यात्रियों ने की सवारी

पिछले 5 सालों में भारतीय रेलवे के जनरल डिब्बों में सफर करने वालों की संख्या ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए. 2187 करोड़ यात्रियों ने बिना रिजर्वेशन, भीड़ और धक्का मुक्की के बावजूद जनरल डिब्बों को चुना. ये आंकड़े बताते हैं कि असली भारत किस डिब्बे में बैठता है. जानिए, वो सच्चाई जो AC कोच की चमक में जनरल डिब्बे के पीछे क्यों छुप जाती है?;

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जब भी रेलवे की बात होती है तो अक्सर वीआईपी कोच, एसी बर्थ और लग्जरी ट्रेनों यानी नमो भारत ट्रेन की चर्चा ज्यादा होती है, लेकिन असली कहानी उस डिब्बे की है जिसे हम 'जनरल कोच' कहते हैं. वही डिब्बा, जहां न सीट की गारंटी होती है, न चैन की नींद... फिर भी करोड़ों लोग रोज उसी से अपने सपनों का सफर तय करते हैं. इन्हीं डिब्बे में सफर करने वालों को लेकर अब सामने आए हैं चौंकाने वाले आंकड़े. पिछले 5 सालों में 2,187 करोड़ यात्रियों ने जनरल डिब्बों में यात्रा की.

इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब संसद के मॉनसून सत्र के दौरान लोकसभा सांसद एस. जोथिमणि और सच्चिदानंदम आर. ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से 31 मार्च 2025 को समाप्त होने वाले पिछले पांच वित्तीय वर्षों में अनारक्षित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या देने की मांग की.

दोनों सांसदों के सवालों का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, 'पिछले पांच वित्तीय वर्षों (अर्थात वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25) में 2187 करोड़ यात्रियों ने सामान्य या अनारक्षित डिब्बों से यात्रा की है. साल 2020-21 99 करोड़, 2021-22 में 275 करोड़, 2022-23 553 करोड़, 2023-24 609 करोड़ और 2024-25 651 करोड़ यात्रियों ने सफर किया.

अनारक्षित नॉन एसी ट्रेनों का संचालन

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह भी कहा कि अनारक्षित सुविधा का लाभ उठाने के इच्छुक यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए, "भारतीय रेलवे (आईआर) किफायती यात्रा के लिए अनारक्षित गैर-वातानुकूलित यात्री ट्रेनें/मेमू/ईएमयू आदि चलाती है, जो मेल/एक्सप्रेस सेवाओं में उपलब्ध अनारक्षित सुविधा (कोच) के अतिरिक्त हैं." नई शुरू की गई अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेन जो पूरी तरह से गैर-वातानुकूलित आधुनिक ट्रेन है, में 8 स्लीपर श्रेणी के डिब्बे और 11 सामान्य श्रेणी के डिब्बे हैं.

82,200 डिब्बों में से 57,200 नॉन-एसी

एक रिपोर्ट के अनुसार नॉन-एसी डिब्बों का प्रतिशत लगभग 70 तक बढ़ गया है. कुल 82,200 डिब्बों में से 57,200 नॉन-एसी हैं, जबकि शेष 25,000 एसी डिब्बे हैं. पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान ही विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों में 1,250 जनरल कोच जोड़े गए हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी भारी मांग के बावजूद कितने यात्री वास्तव में जनरल कोच में यात्रा करते हैं? नवीनतम आंकड़े आपको आश्चर्यचकित कर सकते हैं.

गैर-वातानुकूलित डिब्बों का उत्पादन

भारतीय रेलवे अगले पांच वर्षों में 17,000 गैर-वातानुकूलित सामान्य/स्लीपर डिब्बों के लिए एक विशेष विनिर्माण कार्यक्रम चला रहा है.

 क्यों चुनते हैं लोग जनरल डिब्बा?

दरअसल, गरीब लोग एसी डिब्बे में सफर नहीं कर पाते, इसलिए वो सबसे सस्ता किराया वाला डब्बा यानी अनारक्षित डब्बे में सफर करते हैं. इस डिब्बे की खासियत यह है कि इसका किराया उसकी पेइंग कैपेसिटी के करीब है. साथ ही अनारक्षित श्रेणी में लोग किसी भी वक्त ट्रेन पकड़ने की सुविधा है और बुकिंग की जरूरत नहीं पड़ती.

रेलवे की चुनौती

इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए सवाल उठता है, क्या रेलवे जनरल यात्रियों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बना रही है? क्या डिब्बों की संख्या बढ़ रही है? क्या स्टेशन पर इनके लिए अलग लाइन, सुविधाएं और सुरक्षा दी जा रही हैं?

असली भारत की झलक

जनरल कोच महज एक डिब्बा नहीं, ये एक चलता-फिरता समाज है. यहां किसान, मजदूर, छात्र, नौकरीपेशा, सब एक साथ चलते हैं. ये डिब्बा बताता है कि भारत की आत्मा अब भी AC बर्थ में नहीं, जनरल बोगी में धड़कती है.

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