देश में AMU ही नहीं, ये संस्थान भी हैं अल्पसंख्यक, जानें क्या मिलता है फायदा
Minority Institutions in India: सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के अपने फैसले को पलट दिया, जिससे AMU को नए मानदंडों के आधार पर अपने अल्पसंख्यक दर्जे का पुनर्मूल्यांकन करने की अनुमति मिल गई. ऐसे में एक बार फिर से भारत में अल्पसंख्यक संस्थान चर्चाओं में हैं.;
Minority Institutions in India: भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर सरकार ने कई अलग संस्थानों को मान्यता दे रखा है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के फैसले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा मिलने का रास्ता साफ कर दिया है. अपने फैसले में कोर्ट ने AMU को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के पक्ष में फैसला सुनाया है.
अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को सरकार से विशेष मान्यता लेने की आवश्यकता नहीं है. ये संस्थान खुद के नियम स्वयं ही बनाते हैं. इनमें SC/ST/OBC और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए कोई आरक्षण नहीं होता है. इनमें से कई में मुस्लिमों या अन्य अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण होता है. जैसे कि दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में है.यहां लगभग कोर्स में मुस्लिमों के लिए 50% से अधिक सीटें आरक्षित होती है. यहां टीचर्स और कर्मचारियों की भर्ती में भी अपने समुदाय को प्राथमिकता दी जाती है.
भारत में अल्पसंख्यक संस्थान
अल्पसंख्यक संस्थानों को दिल्ली यूनिवर्सिटी, पूर्वोत्तर पर्वतीय यूनिवर्सिटी, असम यूनिवर्सिटी, नागालैंड यूनिवर्सिटी और मिजोरम यूनिवर्सिटी में से किसी एक से संबद्ध होने का अधिकार है. भारत में 23 यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थानों का दर्जा मिला हुआ है. इनमें से अधिकतर मुस्लिम समुदाय के लिए है.
दिल्ली में स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया, हैदराबाद की मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, बिहार राज्य के पूर्णिया जिले में स्थित जवाहरलाल नेहरू मुस्लिम यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एडवांस्ड लीगल स्टडीज संस्थान, कर्नाटक मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे कई यूनिवर्सिटी है. ये सारे यूनिवर्सिटी मुस्लिम समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था और इसे अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त है.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, देश में 13,000 से ज़्यादा शिक्षण संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है.
कौन हैं अल्पसंख्यक?
भारत के संविधान में छह समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है. हालांकि, यहां उन्हे कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है. पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है. केंद्र सरकार ने 1993 में इनमें से पारसी, मुस्लिम, ईसाई, सिख और बौद्ध को अल्पसंख्यक घोषित किया था. वहीं जैन को 2014 में इसका दर्जा दिया गया.