Traumatic Asphyxia क्या है, जिसकी वजह से NDLS में लोगों ने गंवाई जान? जानें लक्षण और इलाज
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 15 फरवरी की रात हुए भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई. अब खुलासा हुआ है कि इनमें से 5 लोगों की मौत ट्रॉमेटिक एस्पिक्सिया (Traumatic Asphyxia) की वजह से हुई है. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि आखिर ट्रॉमेटिक एस्पिक्सिया क्या है, जिसकी वजह से लोगों ने अपनी जान गंवाई. आइए, इसका जवाब जानते हैं...;
Traumatic Asphyxia: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार (15 फरवरी) की रात भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो गई. बताया जाता है कि इनमें से 5 लोगों की मौत ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया यानी दम घुटने से हुई है. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 5 शवों का पोस्टमार्टम किया गया. इनमें एक पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं.
इसके अलावा, हाथरस में हुए भगदड़ में 121 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इसकी वजह भी एस्पिक्सिया बताया गया था. आखिर ट्रामेटिक एस्फिक्सिया क्या है और इसकी वजह से लोगों की मौत कैसे हुई? आइए, इसका जवाब जानते हैं...
क्या है ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया?
ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया का मतलब दम घुटना है. यह एक ऐसी स्थिति होती है, जब सीना या ऊपरी शरीर पर अचानक और ज्यादा दबाव पड़ता और सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इससे शरीर में खून का प्रवाह असामान्य रूप से प्रभावित है, जिससे आक्सीजन की कमी हो जाती है और मौत हो जाती है.
ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया के कारण
ट्रामेटिक एस्फिक्सिया भारी वस्तु के नीचे दबने, भगदड़ में दबने और फैक्ट्रियों में भारी मशीनों के नीचे आने की वजह से होता है.
ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया के लक्षण
अगर हम ट्रामेटिक एस्फिक्सिया के लक्षणों की बात करें तो चेहरे, आंखों और गर्दन पर गहरे लाल या नीले धब्बे (Petechiae), आंखों में रक्तस्राव (Subconjunctival Hemorrhage), सांस लेने में कठिनाई , सीने में अत्यधिक दर्द और भ्रम या बेहोशी शामिल है.
ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया का इलाज
ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया के इलाज में रोगी को तुरंत दबाव से मुक्त करना, ऑक्सीजन सपोर्ट देना और मेडिकल आपातकालीन सहायता लेना शामिल है. इसके अलावा, गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती कर वेंटिलेशन की जरूरत भी पड़ सकती है. यह एक जानलेवा स्थिति हो सकती है.इसलिए ऐसी किसी भी घटना में तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करना आवश्यक है।
ट्रॉमेटिक एस्फिक्सिया से शरीर में क्या बदलाव आता है?
आम तौर पर जब हम सांस लेते हैं तो फेफड़े ऑक्सीजन को ब्लड तक पहुंचाते हैं. जब ब्लड में ऑक्सीजन पहुंच जाता है तो सेल्स एनर्जी बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं. वहीं, जब इसमें दिक्कत होती है और ऑक्सीजन ब्लड तक नहीं पहुंच पाती तो कार्बन डाइ आक्साइड बाहर नहीं निकल पाती है. इससे ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है. एनर्जी भी पूरी तरह से खत्म हो जाती है. इसके बाद, दिमाग और शरीर के अन्य अंग काम करना बंद कर देते हैं, जिससे इंसान की मौत हो जाती है.