National Herald Case: सोनिया और राहुल की AJL को हड़पने के पीछे क्या थी मंशा? अदालत में ED का खुलासा

नेशनल हेराल्ड केस मामले में दो जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड बनाने की साजिश रची गई थी. ऐसा इसलिए कि इसमें गांधी परिवार के पास 76 प्रतिशत शेयर थे. ताकि एजेएल की संपत्ति हड़पी जा सके, जिसने करोड़ों की संपत्ति होने के बावजूद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी से 90 करोड़ रुपये का ऋण लिया था.?;

National Herald Case: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने को लेकर 2 जुलाई को अहम सुनवाई हुई. ईडी ने आरोप लगाया कि सोनिया और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़पना चाहते थे. विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने नेशनल हेराल्ड मामले की दलील सुन रहे थे.

ईडी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एस वी राजू ने कहा कि नेशनल हेराल्ड की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड बनाने की साजिश रची गई, जिसमें गांधी परिवार के 76 प्रतिशत शेयर थे. ताकि एजेएल की संपत्ति हड़पी जा सके. इस साजिश के तहत एजेएल की करोड़ों की संपत्ति संपत्ति होने के बावजूद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) से 90 करोड़ रुपये का ऋण लिया था.

जब राउज एवेन्यू कोर्ट ने ASG राजू से पूछा कि क्या आपका यह कहना है कि आरोपियों को केवल संज्ञान के बिंदु पर ही सुना जा सकता है, न कि समन जारी करने के मामले में. इसके जवाब में ईडी की तरफ से पेश वकील ASG राजू ने कहा कि हां, अपराध के संज्ञान का मामला केवल इस स्टेज में है. यह अधिकार उन्हें केवल डिस्चार्ज के स्टेज के दौरान ही मिलता है.

एजेएल की संपत्ति विवाद को लेकर ED की दलील

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से पेश वकील ASG राजू ने कहा कि उन्हें केवल यह तर्क देना है कि क्या उनके खिलाफ संज्ञान लिया जा सकता है? क्या उनके खिलाफ मामला बनता है या नहीं? यह सवाल बाद में आता है. यदि अदालत प्रत्येक के खिलाफ केस देखना चाहती है तो मेरा तर्क यह है कि उनमें से प्रत्येक के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है.

मुकदमा चलाने के लिए किसी से मंजूरी की जरूरत नहीं

एएसजी राजू ने कहा कि इस मामले में प्रस्तावित आरोपी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने के लिए और मुकदमा चलाने के लिए किसी अथॉरिटी से मंजूरी की जरूरत नहीं है. ईडी की तरफ से ASG SV राजू ने कहा कि प्रस्तावित आरोपियों में से कोई भी लोक सेवक नहीं है और इनमें से कोई भी ऐसा लोक सेवक नहीं है, जिसे सरकार की मंजूरी से हटाया जा सके. आरोपियों के खिलाफ सेक्शन लेने की जरूरत नहीं है.

ASG राजू ने कोर्ट को बताया कि AJL नाम की एक कंपनी थी. यह कंपनी मुनाफा नहीं कमा रही थी, लेकिन इसके पास बड़ी संपत्ति थी. 2000 करोड़ की संपत्ति थी, लेकिन उसे रोजाना के कामकाज को संभालना मुश्किल हो रहा था. अगर कंपनी ठीक चल रही है, तो आप यह नहीं कह सकते कि मैं घाटे में हूं.

90 करोड़ का लोन AICC से लिया गया और कहते हैं कि हम चुका नहीं सकते. AICC इस कंपनी को हड़पना चाहती थी, जिसकी संपत्ति 2000 करोड़ थी. 90 करोड़ के लोन के बदले 2000 करोड़ हड़पने के लिए यंग इंडिया बनाने की साजिश थी. AICC ने दूसरा लोन दिया. कोई समझदार व्यक्ति ऐसा क्यों करेगा?

सोनिया और राहुल पर लगाए गंभीर आरोप लगाया?

ईडी के वकील ने अदालत से कहा कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस 2000 करोड़ की कंपनी को अपने कब्जे में लेना चाहते थे. AICC से 90 करोड़ का कर्ज लिया गया था. उनके पास 2000 करोड़ थे, लेकिन वे 90 करोड़ चुका नहीं सके. ऐसा इसलिए कि वह एजेएल को हड़पना चाहते थे. इसके लिए यंग इंडिया का निर्माण किया. बिना टेंडर निकाले यंग इंडियन 50 लाख रुपये में पूरी कंपनी को उसके हवाले कर दिया. इसके बाद यंग इंडियन एक होल्डिंग कंपनी बन जाती है और AJL एक सहायक कंपनी बन जाती है.

यंग इंडियन के संचालन के लिए सोनिया- राहुल जिम्मेदार

एएसजी एसवी राजू ने ईडी की चार्जशीट का हिस्सा पढते हुए कोर्ट को बताया कि ईडी की जांच से पता चलता है कि यंग इंडियन पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नियंत्रण था. दोनों ने मिलकर एक सोची-समझी साजिश के तहत 76 प्रतिशत शेयर अपने पास रखे थे. वास्तव में ये कंपनियां सोनिया और राहुल गांधी के नियंत्रण में थी और इनके संचालन के लिए वही जिम्मेदार थे.

ईडी ने अदालत को बताया कि खास बात यह है कि सीनियर कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर एजेएल को पैसा ट्रांसफर किया गया. सीनियर कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर ही AJL को विज्ञापन का पैसा भी दिया गया. इस तरह की धोखाधडी से जो भी इनकम होती है, वह अपराध की आय है. ईडी ने कहा कि कुछ दान देने वाले जो पार्टी के जाने-माने बड़े नाम और वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने किराए के रूप में कुछ राशि का भुगतान किया है.

इसलिए यदि यह अपराध की आय माना जाएगा तो उन्हें आरोपी क्यों नहीं बनाया गया. एक आरोपी सुमन दुबे ने सोनिया गांधी को शेयर ट्रांसफर किया. ऑस्कर फर्नांडीज ने राहुल को शेयर ट्रांसफर किया और राहुल ने इसे वापस ऑस्कर फर्नांडिस को भेज दिया. ये सभी फर्जी लेनदेन हैं और ये केवल कागजों पर मौजूद हैं. ईडी ने दलील देते हुए कहा कि वर्तमान चरण में हम इन चीजों को POC मानते हैं. आगे जांच कर सकते हैं और इसे सप्लीमेंट्री चार्जशीट में शामिल किया जाएगा.

2,000 करोड़ की कंपनी को 50 लाख में हड़पने की साजिश

ईडी ने कहा कि यंग इंडिया को चैरिटी के लिए भी इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इसका कोई चैरिटी का इरादा नहीं था, बल्कि इसका उद्देश्य वास्तविक उद्देश्य को छिपाना था. ईडी ने कहा कि ऑस्कर फर्नांडीज और मोतीलाल वोरा की मौत के बाद AJL की संपत्तियों पर नियंत्रण रखने वाले राहुल और सोनिया ही हैं. दोनों कंपनियां और बेनामी संपत्तियां गांधी परिवार की थी. ईडी ने कहा कि यह एक कंपनी की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 50 लाख रुपये की मामूली रकम पर हड़पने की साजिश है.

पार्टी को अभी नहीं बना सकते आरोपी

ईडी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को अभी आरोपी नहीं बनाया जा सकता. इसका मतलब यह नहीं है कि भविष्य में ऐसा नहीं हो सकता. यदि हमें पर्याप्त सबूत मिले तो हम उन्हें भी आरोपी बना सकते हैं. अगर AICC को आरोपी बनाया जाता है तो राहुल और सोनिया के खिलाफ PMLA की धारा 70 के तहत मामला चलाने में मदद करेगी, लेकिन उचित सबूतों के बिना ऐसा नहीं किया जाएगा. बता दें कि कोर्ट ने ईडी से 2010 से पहले AJL की शेयरहोल्डिंग के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था, जब यंग इंडिया सामने नहीं आया था.

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