यमुना किनारे होगा मनमोहन सिंह का मेमोरियल, स्मारक प्रथा खत्म करने वाली कांग्रेस ने क्यों की इसकी मांग?
Manmohan Singh memorial: कांग्रेस ने मनमोहन सिंह के लिए अलग मेमोरियल की मांग की. हालांकि, यह प्रथा उनकी सरकार ने 2013 में बंद कर दी थी. कांग्रेस की इस मांग को सरकार ने स्वीकार कर ली है. दिल्ली में यमुना नदी के किनारे कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक हैं.;
Manmohan Singh memorial: कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए दिल्ली में यमुना नदी के किनारे मेमोरियल के लिए मांग की थी, जिसे मोदी सरकार ने स्वीकर कर लिया है. इसकी जानकारी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खड़गे और मनमोहन सिंह के परिवार को दी है.
बता दें कि दिल्ली में यमुना नदी के किनारे कई पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मारक हैं. खास बात ये है कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने ही अलग स्मारकों की प्रथा को खत्म करने का निर्णय लिया था. 2013 में यूपीए कैबिनेट ने जगह की कमी को देखते हुए राजघाट पर एक राष्ट्रीय स्मृति स्थल बनाने का फैसला किया था.
आज होगा अंतिम संस्कार
मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार शनिवार को किया जाएगा और उनकी अंतिम यात्रा सुबह 9.30 बजे AICC मुख्यालय से शुरू होगी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि डॉ. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह आवंटित की जाएगी. इस बीच उनकी अंतिम संस्कार और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा सकती हैं.
प्रथा खत्म कर अपने फैसले विरूद्ध क्यों गई कांग्रेस
मनमोहन सिंह के लिए एक अलग स्मारक बनाने की मांग कांग्रेस ने इसलिए भी की क्योंकि पार्टी पर अक्सर नेहरू-गांधी परिवार के बाहर अपने दिग्गजों की अनदेखी करने और देश के लिए उनके योगदान को कम आंकने का आरोप लगाया जाता है.
कांग्रेस और गांधी परिवार पर अभी भी पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की मृत्यु के बाद उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया जाता रहा है. सोनिया गांधी और राव के बीच तनावपूर्ण संबंधों को देखते हुए, कांग्रेस ने 1996 में पूर्व पीएम को पद से हटाने के बाद उनसे किनारा कर लिया, उनके कार्यकाल में न केवल बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की कमर टूट गई और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) रिश्वत कांड भी हुआ.
वी नरसिम्हा राव जैसा विवाद नहीं चाहती कांग्रेस
वी नरसिम्हा राव नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया और, वे एकमात्र कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिनके लिए राजधानी में अलग से स्मारक नहीं है. दिसंबर 2004 में जब उनकी मृत्यु हुई, तो उनके पार्थिव शरीर को AICC के 24, अकबर रोड मुख्यालय के अंदर भी नहीं जाने दिया गया और उनके पार्थिव शरीर को मुख्य द्वार के बाहर फुटपाथ पर ही रखा गया.
राव को आखिरकार उनके निधन के 10 साल बाद 2015 में एक स्मारक मिला। एनडीए सरकार ने राव के लिए एकता स्थल समाधि परिसर में एक स्मारक घाट बनाया. भाजपा सरकार ने इस साल की शुरुआत में राव को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया.