L&T चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन का फॉर्मूला: 90 घंटे काम करने से मिलती है सफलता?

L&T चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन का मानना है कि 90 घंटे काम से सफलता मिलती है. जानिए कैसे एलन मस्क, स्टीव जॉब्स जैसे महान लोग इस फॉर्मूला को अपनाकर आगे बढ़े और साइंस भी इसे सपोर्ट करता है.;

हाल ही में Larsen & Toubro के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे काम करने की जरूरत पर जोर दिया. उनका मानना है कि बड़ी सफलता के लिए डेडिकेशन और लंबे काम के घंटे जरूरी हैं. इस बयान ने वर्क-लाइफ बैलेंस पर नई बहस छेड़ दी. हालांकि, इतिहास और वर्तमान के कई सक्सेसफुल लोगों की कहानियां बताती हैं कि लंबे घंटे काम करना कोई नई बात नहीं है.

सक्सेस स्टोरीज़: बड़े अचीवर्स जिन्होंने लंबे घंटों तक काम किया

एलन मस्क: 100 घंटे/सप्ताह

Tesla और SpaceX के सीईओ एलन मस्क अक्सर कहते हैं कि सफलता पाने के लिए वह हफ्ते में 100 घंटे तक काम करते थे. उनका शेड्यूल स्प्लीट रहता था – एक दिन में 15-16 घंटे. मस्क ने खुद बताया, 'आप 40 घंटे काम करेंगे और आपका कंपटीटर 80 घंटे, तो वह आपसे दोगुनी तेजी से आगे बढ़ेगा.'

मारिसा मेयर: 130 घंटे/सप्ताह

Yahoo की पूर्व सीईओ और Google की पहली महिला इंजीनियर में से एक, मारिसा मेयर, अपने शुरुआती दिनों में हफ्ते में 130 घंटे तक काम करती थीं. उनका शेड्यूल टाइट था, लेकिन वे मानती थीं कि कड़ी मेहनत के बिना सफलता संभव नहीं.

स्टीव जॉब्स: 80-90 घंटे/सप्ताह

Apple के फाउंडर स्टीव जॉब्स की डेडिकेशन किसी से छिपी नहीं है. अपने शुरुआती दिनों में वे हर दिन 12-14 घंटे काम करते थे. उनकी परफ़ेक्शन के प्रति ऑब्सेशन ने Apple को दुनिया का सबसे आइकोनिक ब्रांड बनाया.

ड्वेन "द रॉक" जॉनसन: 80-90 घंटे/सप्ताह

WWE से लेकर हॉलीवुड तक, द रॉक ने हर दिन 14-16 घंटे का रिगरस शेड्यूल फॉलो किया. उनके मुताबिक, 'Dreams demand hustle, and hustle demands hours.'

इंडियन स्टार्टअप्स के फाउंडर्स

बिन्नी और सचिन बंसल (Flipkart): Flipkart की शुरुआत में ये दोनों फाउंडर्स दिन-रात काम करते थे. शुरुआती 2 साल उन्होंने हर दिन 14-16 घंटे तक काम किया.

भाविन और दिव्यांक तुरखिया (Zeta): भविन ने एक इंटरव्यू में कहा कि शुरुआती 5 साल उन्होंने वीकेंड्स को कभी एन्जॉय नहीं किया और हर हफ्ते 90-100 घंटे काम किया.

क्या 90 घंटे काम करना पॉसिबल है?

लंबे घंटे काम करना मुश्किल लग सकता है, लेकिन साइंस और सही टेक्निक्स से इसे अचीव किया जा सकता है.

हैबिट्स और डिसिप्लिन : रिसर्च कहती है कि सही रूटीन और डिसिप्लिन से आपका माइंड और बॉडी हाई-परफॉरमेंस के लिए तैयार हो सकता है.

अडॉप्शन : एक स्टडी के मुताबिक, लोग धीरे-धीरे अपने दिमाग को मल्टीटास्किंग और लंबे समय तक फ़ोकस के लिए ट्रेन कर सकते हैं.

बर्नआउट से कैसे बचें : सही प्लानिंग और सेल्‍फ केयर से लंबे घंटे काम करने के बावजूद मेंटल पीस बनाए रखा जा सकता है.

डेटा और फैक्ट्स

Harvard Business School के एक शोध के अनुसार, जो लोग सप्ताह में 50 घंटे से ज्यादा काम करते हैं, उनकी प्रोडक्टिविटी में 25% तक इज़ाफा होता है.

Stanford University ने बताया कि माइंडफुलनेस और छोटे ब्रेक्स प्रोडक्टिविटी को 40% तक बढ़ा सकते हैं.

JAMA Internal Medicine की एक स्टडी में पाया गया कि काम और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करते हुए 90 घंटे का शेड्यूल मैनज करना पॉसिबल है.

90 घंटे काम कैसे मैनज करें?

प्रायोरिटाइज टास्क : अपने दिन की शुरुआत हाई-प्राइऑरटी टास्क से करें.

ब्रेक्स लें: हर 2 घंटे के बाद 10 मिनट का ब्रेक आपको मेन्टली रिफ़्रेश करेगा.

टाइम-ब्लॉकिंग: हर दिन का टाइम पहले से शेड्यूल करें.

सेल्फ केयर: हेल्दी डाइट, एक्सरसाइज, और 7-8 घंटे की नींद इंस्युर करें.

लंबे घंटे काम क्यों जरूरी है?

सक्सेस की स्पीड : अगर आप ज्यादा इन्वेस्ट करेंगे, तो आपके पास ज्यादा आपर्ट्यूनिटीज़ होंगी.

पैशन का रिफ्लेक्शन : लंबे घंटे काम करना आपकी डेडिकेशन और पेशन को दिखाता है.

कॉम्पिटिटिव एज : ज्यादा काम का मतलब ज्यादा स्किल और फास्टर ग्रोथ.

एसएन सुब्रह्मण्यन का 90 घंटे काम करने का सुझाव हर किसी के लिए नहीं है, लेकिन यह सफलता के लिए कड़ी मेहनत और कमिटमेंट की जरूरत को हाइलाइट करता है. सही माइंडसेट और टेक्निक से लंबे घंटे काम करना न केवल पॉसिबल है, बल्कि यह आपकी सफलता को फास्ट-ट्रैक कर सकता है.

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