कुणाल कामरा का Satire नया नहीं, सियासी दुनिया में दूसरे कॉमेडियन ने भी हिलाई हैं कुर्सियां
यह पहली बार नहीं है जब किसी कॉमेडियन के सटायर के चलते राजनीति में हलचल हुई है. हाल ही में कुणाल कामरा के मजाक ने महाराष्ट की राजनीति में सनसनी मचा दी है. कुणाल से पहले कई ऐसे कॉमेडियन रहे, जिन्होंने सरकार और राजनेताओं की जमकर आलोचना की.;
कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने स्टैंड अप सेट के दौरान शिवसेना के पार्टी अध्यक्ष और डिप्टी चीफ मिनिस्टर एकनाथ शिंदे को गद्दार कहा. इसके बाद शिवसेना उनके खिलाफ हो गई. यह पहली बार नहीं है जब कोई कॉमेडियन राजनेताओं से भिड़ा है. महाराष्ट्र में अक्सर आर्टिस्ट ने राजनीति में चल रही उठा पटक पर सवाल उठाए हैं. उनकी आलोचना की है.
महाराष्ट्र में राजनीतिक आक्रोश को आकर्षित करने वाले कॉमेडियन्स में से एक जर्नलिस्ट और पॉलिटिशियन प्रहलाद केशव अत्रे थे, जिनके शार्प विट सटायर ने उन्हें शिवसेना के फाउंडर बालासाहेब ठाकरे सहित दूसरे राजनेताओं के साथ कई बार टकराव में डाल दिया. चलिए जानते हैं इससे पहले किन-किन कॉमेडियन ने सरकार मजाक किया है.
प्रहलाद केशव अत्रे
प्रहलाद केशव अत्रे शिवसेना के रिजनलिस्ट और और स्वदेशी रुख की आलोचना करने के लिए सटायर का इस्तेमाल करते थे. इतना ही नहीं, वह पार्टी की एंटी माइग्रेंट बयानबाजी और उसकी आक्रामक राजनीतिक रणनीति की खासतौर से निंदा करते थे. अपने कॉलम और पब्लिक स्पीच के जरिए प्रहलाद के मजाक ने मराठी गौरव के प्रति पार्टी के दृष्टिकोण को चुनौती दी. उनकी राजनीति के ध्रुवीकरण असर को उजागर किया.
राजनीति में गुंडागर्दी पर कटाक्ष
महाराष्ट्र के राजनीतिक वर्ग की नाराजगी का सामना करने वाले दूसरे कॉमेडियन पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे थे. वह अपने बेहतरीन मराठी लिटरेचर के लिए जाने जाते थे. यह बात 1995 की है, जब पुरुषोत्तम को महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड दिया जा रहा था. इस दौरान उन्होंने राज्य की राजनीति में बढ़ती गुंडागर्दी पर कटाक्ष किया. साथ ही, उन पार्टियों की बुराई की जो सत्ता हासिल करने के लिए गुंडागर्दी का रास्ता अपनाती है.
बाल ठाकरे का जवाब
इस पर ठाकरे ने कहा कि उन्हें अवॉर्ड देना उनकी बेवकूफी थी. इसके आगे उन्होंने शब्दों के साथ खेलते हुए कहा कि 'कैसे पुराने पुल गिर रहे हैं, लेकिन नए बनने चाहिए'. इसके जरिए उन्होंने देशपांडे के नाम 'पु ला' (जो पुल के लिए मराठी शब्द से मिलता जुलता है) पर कटाक्ष किया. हालांकि, बाद में दोनों ने अपने मतभेदों को सुलझा लिया.
जब मंत्री को देना पड़ा इस्तीफा
2003 में एक स्टीरिकल टीवी शो "घड़ले बिघड़ले (डन अनडन)" को लेकर भी विवाद हुआ. इस शो में एनसीपी नेता और तत्कालीन राज्य के गृह मंत्री छगन भुजबल का मज़ाक उड़ाया गया था. इस शो में उनकी पैरोडी 'आर्म स्ट्रॉन्ग' (भुजबल के नाम पर एक प्ले) नाम के एक किरदार के साथ की गई थी, जिससे एनसीपी नाराज़ हो गई और भुजबल के सपोर्टर्स ने चैनल के ऑफिस में तोड़फोड़ की. विवाद के बाद भुजबल ने आखिरकार मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया.