अदालत, ट्रस्ट और ज़मीन के मालिकों के बीच 32 साल का टकराव, जानिए BMC की कार्रवाई के पीछे की पूरी कहानी

बॉम्बे हाईकोर्ट ने जैन मंदिर विवाद की सुनवाई को 15 अप्रैल को स्थगित करते हुए अगली तारीख 16 अप्रैल सुबह 11 बजे तय की थी, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि 16 अप्रैल को सुनवाई से महज़ तीन घंटे पहले यानी सुबह 8 बजे, मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने मंदिर पर बुल्डोजर चला दिया.;

( Image Source:  x-naivedhhhh )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 20 April 2025 12:43 PM IST

16 अप्रैल 2025 को मुंबई के विले पार्ले इलाके में स्थिति अचानक तनावपूर्ण हो गई, जब एक 32 साल पुरानी दिगंबर जैन मंदिर के कुछ हिस्सों को बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा ध्वस्त किया गया.

नगर निगम की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, यह मंदिर एक आवासीय भवन की पार्किंग ज़ोन में बिना किसी वैध अनुमति या योजना स्वीकृति के बनाया गया था. बीएमसी ने इसे अवैध निर्माण मानते हुए कानूनी आदेशों के पालन में यह कार्रवाई की. अब ऐसे में चलिए जानते हैं आखिर क्या है विवाद. 

पार्किंग में बना था मंदिर

विले पार्ले ईस्ट के कांबलीवाड़ी इलाके में एक पुरानी इमारत की नींव के नीचे सालों से शांत और साधना में लिप्त एक दिगंबर जैन मंदिर खड़ा था. लगभग 32 साल पहले यह मंदिर एक साधारण पार्किंग स्थल पर बना था. समय के साथ इस स्थान को लेकर विवादों की छाया मंडराने लगी.

ट्रस्टी और जमीनदारों के बीच हुआ विवाद

एक ओर ज़मीन पर हक जताने वाले दावेदार थे, जिनके पास पुराने कागज़, नक्शे और दलीलों का पुलिंदा था. दूसरी ओर मंदिर के ट्रस्टी, जिनके हाथ में थे भक्ति, परंपरा, और तीन दशकों से अधिक पुराना विश्वास. मामला धीरे-धीरे लोगों की बातों से निकलकर न्याय की चौखट तक पहुंच गया.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया निर्देश

इस मामले में कोर्ट ने कहा कि अगर धार्मिक स्थल जमीन के वैध अधिकार से परे खड़ा है, तो उसे हटाना ही होगा.इस पूरे प्रकरण ने तब और गंभीर मोड़ लिया जब मामला बॉम्बे हाई कोर्ट की दहलीज़ तक पहुंचा. हाई कोर्ट के सामने प्रस्तुत किया गया कि पहले से ही सत्र अदालत द्वारा मंदिर को हटाने का निर्देश दिया जा चुका है और अब तक उस आदेश का पालन नहीं किया गया है.

चार बार दिए जा चुके थे आदेश 

बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मुंबई महानगरपालिका (BMC) को चार बार स्पष्ट निर्देश जारी किए कि विवादित स्थल पर बने मंदिर को कानून के अनुसार ध्वस्त किया जाए. हर बार आदेश के बावजूद, मंदिर को हटाने की कार्रवाई किसी न किसी कारणवश टलती रही. अब हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया.

5वीं बार में लिया एक्शन 

अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि पांचवीं बार भी नगर निगम के अधिकारियों ने अदालत के आदेश को फिर से नज़रअंदाज़ किया, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही का रास्ता साफ हो जाएगा. इसके बाद ही मंदिर पर बुल्डोजर चलाया गया.

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