बच्चों को डिसिप्लिन में रखने के लिए टीचर्स के पास छड़ी होना जरूरी, केरल HC का फैसला

कोर्ट ने शिक्षक के खिलाफ एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि केस के डर से टीचर शरारती बच्चों को ठीक नहीं कर पाते हैं. अगर पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजते हैं, तो इसका मतलब है कि वह टीचर्स को डिसिप्लिन के लिए जरूरी कदम उठाने की इजाजत देते हैं.;

( Image Source:  meta ai )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 6 Nov 2025 5:57 PM IST

आजकल पेरेंट्स सख्त टीचर्स के खिलाफ शिकायत कर देते हैं. इतना ही नहीं, केस करने से भी पीछे नहीं हटते हैं. ऐसे में अब केरल हाईकोर्ट में एक शिक्षक के खिलाफ बच्चे को बेंत से मारने का आरोप था. कोर्ट टीचर की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. जहां इस मामले में शिक्षक का कहना था कि केवल बच्चे को पढ़ाई के लिए गंभीर बनाने के लिए उसने ऐसा किया. 

इस मामले में कहा कि अगर स्कूल में किसी शिक्षक के खिलाफ कोई एक्शन के लिए केस फाइल करने से पहले जांच होनी चाहिए. जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने कहा कि अगर कोई टीचर बिना किसी गलत इरादे के बच्चों को सजा देता है, तो उस पर अपराधिक केस नहीं लगाना चाहिए.

नहीं होना चाहिए आपराधिक केस

कोर्ट ने कहा कि अगर कोई टीचर बच्चे को हल्के से चुटकी काटता है या हल्के से धक्का मारता है और इसमें उनकी मंशा गलत नहीं है, तो आपराधिक केस नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है, तो शिक्षक अपनी जिम्मेदारी सही तरीके से नहीं पूरी कर पाएंगे. साथ ही, आज के इस दौर में अब टीचर को बच्चों को कंट्रोल करने में परेशानी आती है. इसके आगे कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पेरेंट्स या बच्चा टीचर के खिलाफ शिकायत करता है, तो जांच की जानी चाहिए कि केस फाइल करने के लिए आधार मजबूत है या नहीं. 

बच्चों को डिसिप्लिन में रखती है छड़ी

केस के डर से टीचर शरारती बच्चों को ठीक नहीं कर पाते हैं. अगर पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजते हैं, तो इसका मतलब है कि वह टीचर्स को डिसिप्लिन के लिए जरूरी कदम उठाने की इजाजत देते हैं. अपनी टिप्पणी के दौरान कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 173(3) का हवाला देते हुए कहा कि जिन अपराध की सजा 3 साल से ज्यादा और 7 साल से कम है. ऐसे मामले में पुलिस शुरुआती पूछताछ कर सकती है. इसके आगे कोर्ट ने कहा कि टीचर के मामले में भी ऐसा होना चाहिए.

टीचर्स को दें छड़ी रखने की मंजूरी

इसके आगे कोर्ट ने कहा कि टीचर्स के पास छड़ी होनी चाहिए. इससे बच्चे डरने के साथ-साथ डिसिप्लिन में रहते हैं, लेकिन यह बिल्कुल जरूरी नहीं है कि हमेशा बच्चे को छड़ी से पीटा जाए. छड़ी के जरिए अनुशासन बनाए रखा जा सकता है. 


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