क्या है बार काउंसिल पर पैसों के गबन का केस? जिसे कर्नाटक HC ने रद्द करने से किया इनकार
कर्नाटक बार काउंसिल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एक सदस्य के खिलाफ पैसों के हेराफेरी का मामला दर्ज किया गया है. केस कोर्ट पहुंचा और इसे खत्म करने की मांग की गई. हालांकि, इस मामले पर कोर्ट ने बीच-बचाव करने से मना कर दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर पैसों के गबन का आरोप लगा है तो इसकी जांच होनी चाहिए.;
कर्नाटक में बार काउंसिल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और एक पूर्व सदस्य के खिलाफ अगस्त में मैसूर में हुए वकीलों के सम्मेलन में पैसों की हेराफेरी का मामला दर्ज किया गया है. इस सम्मेलन पर लगभग 3.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
कर्नाटक हाई कोर्ट के जज एम नागप्रसन्ना की पीठ ने 27 सितंबर को इस मामले को खारिज करने से मना कर दिया और कहा कि मामले में दखल नहीं दिया जाएगा क्योंकि यह केस फैक्ट्स पर किया गया है.
काउंसिल का पक्ष
बार काउंसिल के वकील ने दलील दी कि सभी खर्च सही तरीके से किए गए थे और याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत निजी दुश्मनी के वजह से की थी. कई दस्तावेज दिए गए, जो साबित करते हैं कि भुगतान किया गया था जबकि इसके उलट ऐसा आरोप लगाया गया था कि पेमेंट हुआ नहीं है.
कोर्ट की टिप्पणियां
पीठ ने कहा, पैसों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है. जिन लोगों का खर्च दिखाया गया है, उनके द्वारा कुछ पेमेंट किए गए हैं और उन्हें पैसे मिले भी है. इनका सबूतों के आधार पर जांच किया जाना चाहिए. कोर्ट दिए गए बयानों की सत्यता पर तब तक विचार नहीं करेगा, जब तक कि इसकी कम से कम जांच न हो जाए. तथ्यों के गंभीर रूप से विवादित प्रश्नों के आधार पर, यदि यह न्यायालय इस स्तर पर हस्तक्षेप करेगा, तो यह सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ होगा."
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अदालत ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के उदाहरणों के अनुसार, ऐसे मामलों में जहां तथ्य विवादित हों, अदालत को कार्यवाही तब तक रद्द नहीं करना चाहिए जब तक कि दस्तावेज या फैक्ट्स सही साबित ना हो जाए. अदालत ने यह भी कहा कि मामले में सभी दस्तावेज विवादित हैं, इसीलिए इसमें बीच-बचाव नहीं किया जा सकता.