क्या राफेल से डर गया चीन? ऑपरेशन सिंदूर के बाद रची इस लड़ाकू विमान पर दाग लगाने की साज़िश!

फ्रांसीसी राफेल ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे मिशनों में अपनी श्रेष्ठता साबित की है. चीन को डर है कि एशिया में राफेल की बढ़ती मांग उसके हथियारों के बाज़ार और प्रभाव को चुनौती दे सकती है. इसी घबराहट में वह सोशल मीडिया पर फेक वीडियो और एआई इमेज के ज़रिए राफेल को बदनाम करने की साजिश चला रहा है. यह उसके रणनीतिक दबाव में आने का संकेत है.;

( Image Source:  IAF )
Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 7 July 2025 10:40 AM IST

भारत के ऑपरेशन सिंदूर में राफेल लड़ाकू विमानों की निर्णायक भूमिका ने चीन की नींद उड़ा दी है. एक ओर जहां पाकिस्तान युद्ध के मैदान में मात खा रहा था, वहीं दूसरी ओर चीन ने एक नई ‘डिजिटल जंग’ छेड़ दी - राफेल की साख पर हमला करने की. रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने दुनियाभर में अपने दूतावासों के ज़रिए राफेल की छवि को खराब करने और चीनी लड़ाकू विमानों को बढ़ावा देने का संगठित प्रयास शुरू किया.

मई 2025 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर में राफेल विमानों ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाई. इसके तुरंत बाद चीनी दूतावासों के रक्षा सलाहकारों ने उन देशों से संपर्क करना शुरू किया जिन्होंने राफेल खरीदे या खरीदने की योजना बनाई थी. इन बैठकों में यह झूठ फैलाया गया कि भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, और चीनी हथियारों को बेहतर विकल्प बताया गया.

क्या राफेल से चीन वाकई डर गया है?

फ्रांसीसी राफेल न सिर्फ तकनीक और परफॉर्मेंस के मामले में बेहद उन्नत हैं, बल्कि उन्होंने भारत के ऑपरेशन सिंदूर जैसे हाई-स्टेक मिशन में ज़मीन पर अपना दम भी दिखाया. चीन जानता है कि यदि एशिया के अधिक देश राफेल जैसे ताकतवर लड़ाकू विमानों की ओर मुड़ते हैं, तो उसका रक्षा निर्यात और रणनीतिक दबदबा दोनों खतरे में पड़ सकते हैं. इसलिए राफेल को बदनाम करना, सोशल मीडिया पर फेक वीडियो और AI इमेज के ज़रिए दुष्प्रचार फैलाना, और चीनी हथियारों को बेहतर बताने की मुहिम असल में चीन की घबराहट का संकेत है.

एआई, वीडियो गेम और सोशल मीडिया से चली साज़िश

फ्रांसीसी अधिकारियों के अनुसार, चीन की ये मुहिम सिर्फ कूटनीतिक बैठकें नहीं थीं. 1,000 से ज्यादा नए सोशल मीडिया अकाउंट बनाए गए, जिनके जरिए राफेल की नकारात्मक छवियां, एआई से बनी झूठी तस्वीरें, वीडियो गेम क्लिप्स, और नकली युद्ध दृश्य वायरल किए गए. इनका मकसद था यह दिखाना कि राफेल जंग में फेल हो गया और पाकिस्तानी हथियार बेहतर साबित हुए.

फ्रांस ने क्या कहा?

फ्रांसीसी रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर इस अभियान को "व्यापक दुष्प्रचार अभियान" करार दिया, जिसका मकसद फ्रांस की सैन्य विश्वसनीयता और तकनीकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाना था. मंत्रालय ने साफ कहा कि "राफेल को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि यह फ्रांस की रणनीतिक पेशकश है, जो तकनीकी आत्मनिर्भरता, औद्योगिक भरोसे और मज़बूत साझेदारी का प्रतीक है."

किन-किन देशों को राफेल बेच चुका है फ्रांस?

अब तक Dassault Aviation ने 533 राफेल बेचे हैं, जिनमें से 323 का निर्यात किया गया है. भारत, मिस्र, कतर, ग्रीस, क्रोएशिया, यूएई, सर्बिया और इंडोनेशिया जैसे देशों ने राफेल खरीदे हैं. खासतौर पर इंडोनेशिया ने 42 राफेल का ऑर्डर दिया है और और भी खरीदने की योजना बना रहा है.

चीन का मकसद क्या है?

लंदन स्थित थिंक टैंक Royal United Services Institute (RUSI) के विशेषज्ञ जस्टिन ब्रोंक के मुताबिक, चीन इंडो-पैसिफिक में फ्रांस के बढ़ते प्रभाव से चिंतित है, और वह चाहता है कि एशियाई देशों को फ्रांस से रक्षा खरीद पर संदेह हो. राफेल की छवि बिगाड़ कर चीन अपने J-10 और अन्य लड़ाकू विमानों को बढ़ावा देना चाहता है.

भारत ने क्या कहा?

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में माना कि ऑपरेशन सिंदूर में कुछ भारतीय लड़ाकू विमान मार गिराए गए, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के राफेल गिराने के दावे को "पूरी तरह झूठा" बताया. उन्होंने राफेल की भूमिका को "निर्णायक और प्रभावशाली" बताया. चीन की यह रणनीति सिर्फ राफेल को नहीं, बल्कि फ्रांस जैसे लोकतांत्रिक साझेदारों की वैश्विक साख को कमजोर करने का प्रयास है. लेकिन राफेल की विश्वसनीयता, प्रदर्शन और फ्रांसीसी टेक्नोलॉजी की ताकत को देखते हुए यह दुष्प्रचार लंबे समय तक असर नहीं डालेगा. यह भी साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की आक्रामक सैन्य नीति ने चीन और पाकिस्तान दोनों को चिंतित कर दिया है.

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