Indigo Crisis: ...तो लाखों यात्रियों को नहीं झेलनी पड़ती परेशानी, महीनों पहले ही संसद की स्थायी समिति ने कर दिया था अलर्ट

इंडिगो के बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन के बाद सामने आया है कि संसद की स्थायी समिति ने महीनों पहले ही ऐसे संकट की चेतावनी दी थी. अगस्त में पेश रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में तेजी से बढ़ते विमानन बेड़ों के मुकाबले पायलट और ATC स्टाफ की कमी, पायलट थकान, और DGCA की कमजोर निगरानी क्षमता मिलकर एविएशन सेक्टर को “खतरनाक मोड़” पर ले जा सकती है. समिति ने DGCA को FDTL नियमों का सख्ती से पालन करवाने और एयरलाइंस को थकान प्रोटोकॉल में ढिलाई न देने की सलाह दी थी.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 8 Dec 2025 12:51 PM IST

देश भर में हजारों यात्री पिछले कई दिनों से एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं. इंडिगो द्वारा बड़े पैमाने पर की गई फ्लाइट कैंसिलेशन ने भारतीय विमानन क्षेत्र में अव्यवस्था और प्रबंधन की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस संकट की चेतावनी महीनों पहले ही संसद को मिल चुकी थी. ऐसा नहीं था कि सिस्टम को मौजूदा हालात का अंदाजा नहीं था - बल्कि अगस्त महीने में ही संसद की स्थायी समिति ने DGCA और एयरलाइंस को इस खतरे के बारे में अलर्ट कर दिया था.

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इकोनॉमिक टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय समिति ने साफ शब्दों में कहा था कि यदि पायलट थकान नियमों (Fatigue Norms) की अनदेखी जारी रही और बेड़े का विस्तार, पर्याप्‍त मानव संसाधन विकास के यानी पायलटों और अन्‍य स्‍टाफ की नियुक्ति के बिना होता रहा, तो भारत का एविएशन सेक्टर “खतरे के मोड़” पर पहुंच जाएगा.

क्या थी वह चेतावनी?

संसद में पेश कमेटी की रिपोर्ट ने भारत के विमानन क्षेत्र के सामने खड़ी तीन सबसे गंभीर चुनौतियों की ओर इशारा किया था:

  • तेजी से बढ़ते एयरक्राफ्ट फ्लीट के मुकाबले पायलटों की बेहद धीमी भर्ती
  • ATC (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) कर्मचारियों पर बढ़ता दबाव और ओवरवर्क
  • नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए DGCA की सीमित क्षमता

रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया था कि थके हुए पायलट और ओवरस्ट्रेस्ड ATC कर्मचारी विमानन सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. इसके कारण रनवे टकराव, गलत कम्युनिकेशन, एयरबोर्न संघर्ष और ग्राउंड दुर्घटना जैसी घटनाओं का जोखिम बढ़ सकता है. समिति ने DGCA को कड़े निर्देश दिए थे कि वह Flight Duty Time Limitation (FDTL) नियमों का सख्ती से पालन करवाए और सुनिश्चित करे कि कोई भी एयरलाइन इन नियमों को बाईपास न कर सके.

आज का संकट उसी चेतावनी का परिणाम?

जेडीयू नेता संजय झा की अध्यक्षता वाली इस संसदीय समिति ने अब इंडिगो संकट की समीक्षा के लिए बैठक बुलाने के संकेत दिए हैं. कई दिनों से इंडिगो रोज सैकड़ों उड़ानें रद्द कर रही है, स्टाफ की कमी और रोस्टर मैनेजमेंट विफल हो रहा है और यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. कहा जा रहा है कि इंडिगो अपने पायलट रोस्टर को नए FDTL नियमों के अनुकूल ढालने में असफल रही, जिसके कारण बड़े पैमाने पर पायलट अनुपलब्ध हो गए और फ्लाइट ऑपरेशन ढह गया.

पायलट और ATC थकान को रोकने के लिए क्या कहा गया था?

अगस्त में समिति ने न केवल DGCA को FDTL नियम लागू करने के लिए कहा था, बल्कि यह सवाल भी उठाया था कि “क्या नए नियम वास्तव में पायलटों की थकान और मानसिक तनाव को कम कर पाए हैं?” समिति ने ATC कर्मचारियों के लिए एक राष्ट्रीय Fatigue Risk Management System बनाने की भी सिफारिश की थी - क्योंकि एयर ट्रैफिक कंट्रोल का दबाव लगातार बढ़ रहा है और प्रशिक्षण क्षमता इसके मुकाबले बहुत कम है.

प्रशिक्षण और प्रमाणन में भी कमियां

रिपोर्ट ने बताया कि 2024–25 में 5 नए Flying Training Organisations (FTOs) जुड़ने के बाद भारत में कुल संख्या 39 हो गई है, और ट्रेनिंग फ्लीट 350 विमान तक बढ़ चुका है. फिर भी पायलट ट्रेनिंग की मांग दूसरे स्तर पर है और तेजी से बढ़ते फ्लीट के मुकाबले प्रशिक्षण क्षमता पर्याप्त नहीं है. और सबसे गंभीर बात - हिमालयी क्षेत्रों में संचालन करने वाले पायलटों के लिए अनिवार्य माउंटेन-फ्लाइंग सर्टिफिकेशन अभी तक लागू नहीं हो पाया है, जबकि वह क्षेत्र दुनिया के सबसे जटिल और जोखिम भरे रूट्स में शामिल है.

DGCA में ही भारी स्टाफ की कमी

रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक हिस्सा DGCA की स्थिति को लेकर था जिसके 1,063 स्वीकृत पदों में से केवल 553 भरे हुए हैं. यानी लगभग 47% पद खाली हैं, और वहीं पर देश में हवाई यातायात की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है. समिति ने कहा था कि यह स्थिति एविएशन सुरक्षा के लिए संरचनात्मक खतरा बन चुकी है.

इंडिगो संकट ने साफ कर दिया है कि पायलट थकान पर राहत, प्रशिक्षण ढांचे का विस्तार और DGCA को मजबूत करने के बिना भारत का विमानन क्षेत्र बेहद जोखिम में रहेगा. यह घटना सिर्फ एक एयरलाइन की समस्या नहीं - यह पूरा सिस्टम का असंतुलन है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि अब सरकार और नियामक संस्थाओं को सख्त अनुपालन, मानव संसाधन योजना, और दीर्घकालिक सुरक्षा ढांचे को प्राथमिकता देना ही होगी.

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