दुनिया के सामने भारत खोलेगा पाकिस्तान का कच्चा चिट्ठा! इन पांच Messages से अब दफ़न करने की तैयारी
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद पर decisive प्रहार बताते हुए 51 नेताओं और 85 राजनयिकों वाले सात प्रतिनिधिमंडल 32 देशों में भेजे हैं. ये टीमें पाकिस्तान समर्थित आतंक के दस्तावेज़ दिखाकर वैश्विक चुप्पी तोड़ेंगी, भारत की जीरो टॉलरेंस नीति समझाएंगी, जिम्मेदार सैन्य संयम उजागर करेंगी और आतंक के विरुद्ध सामूहिक कार्रवाई तथा प्रो‑एक्टिव सुरक्षा सिद्धांत पर समर्थन मांगेगी, दबाव बढ़ाने का आह्वान भी करेगी.;
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये सिर्फ आतंकवाद पर करारा प्रहार नहीं किया, बल्कि अब उसने उस वैश्विक चुप्पी को भी तोड़ने का बीड़ा उठाया है, जो वर्षों से पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर पर्दा डालती रही. इस बार मोदी सरकार ने एक बहुपक्षीय कूटनीतिक अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत भारत न केवल अपने प्रतिरोध की कहानी सुनाएगा, बल्कि यह भी उजागर करेगा कि कैसे पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ बना हुआ है.
इस मुहिम के तहत देश के 51 नेताओं और 85 राजनयिकों की टीमें 32 देशों में 7 डेलिगेशन के रूप में रवाना होंगी, जो ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति और उसके पीछे का आतंकी सच दुनिया को बताएंगी. इस अंतरराष्ट्रीय प्रयास की खास बात यह है कि यह किसी एक पार्टी की आवाज नहीं, बल्कि पूरे भारतीय राजनीतिक विमर्श की साझा आवाज बनेगी. डेलिगेशन में बीजेपी के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हैं, ताकि यह दिखाया जा सके कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत एकजुट है. 21 मई यानी आज दो डेलिगेशन अपने मिशन पर निकलने वाले हैं.
भारत दुनिया को देगा ये 5 बड़े संदेश
- पाकिस्तान के आतंकी संरक्षक होने के प्रमाण: भारत से रवाना होने वाले संसदीय प्रतिनिधिमंडल अपने साथ पहलगाम हमले और अन्य आतंकी घटनाओं के साक्ष्य लेकर जाएगा, जिनमें पाकिस्तानी गुप्त एजेंसियों और आतंकी संगठन The Resistance Front (TRF) की संलिप्तता का विवरण होगा. ये दस्तावेज़ दर्शाएंगे कि आतंकवाद पाकिस्तान की जमीन पर फल-फूल रहा है और भारत ने इन गतिविधियों को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर किया है, लेकिन कार्रवाई की कमी रही है.
- टेररिज्म पर भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति: अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत स्पष्ट करेगा कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ सुनियोजित और सीमित सैन्य ऑपरेशन था. इसमें विशेष रूप से आतंकी गुटों के ठिकानों को टारगेट किया गया, बिना किसी नागरिक के नुकसान के. भारत यह भी बताएगा कि पाकिस्तानी सेना ने इस ऑपरेशन को अपनी प्रतिष्ठा पर हमला मानते हुए जवाबी कार्रवाई की, जिससे यह प्रमाणित होता है कि आतंकी ढांचों को वहां सरकारी संरक्षण प्राप्त है.
- जवाब में भी जिम्मेदारी और संयम दिखाने वाला भारत: भारत दुनिया को यह दिखाएगा कि उसने सैन्य जवाबी कार्रवाई के दौरान भी नैतिक मर्यादाएं निभाईं. ऑपरेशन सिंदूर में इस बात का खास ख्याल रखा गया कि किसी निर्दोष पाकिस्तानी नागरिक को नुकसान न पहुंचे. भारत की तरफ से यह भी बताया जाएगा कि जब पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की मांग की, तो भारत ने मानवीय दृष्टिकोण से उसे तत्परता से स्वीकार किया. यह दर्शाता है कि भारत युद्ध नहीं, न्याय और स्थायित्व चाहता है.
- आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की मांग: भारत अपने इन विदेशी दौरे पर मेज़बान देशों से अनुरोध करेगा कि वे आतंकवाद के विरुद्ध स्पष्ट, सामूहिक और निर्णायक स्टैंड लें. भारत यह अपील करेगा कि भारत-पाक संघर्ष को महज सीमा विवाद नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के रूप में देखा जाए. वैश्विक ताकतों से भारत अपेक्षा करेगा कि वे आतंक को सिर्फ निंदा तक सीमित न रखें, बल्कि कार्रवाई में सहयोग करें.
- पाकिस्तान को लेकर भारत की बदली रणनीति: इन बैठकों के जरिए भारत दुनिया को साफ संदेश देगा कि अब उसका रुख रक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रो-एक्टिव हो चुका है. भारत अब आतंकी खतरों का इंतज़ार नहीं करेगा, बल्कि पहले से आकलन कर उन्हें निष्क्रिय करने की नीति पर काम करेगा. पाकिस्तान को लेकर भारत की विदेश नीति अब 'शांति की प्रतीक्षा' से हटकर 'खतरे की पहचान और कार्रवाई' के सिद्धांत पर आधारित होगी यानी अब चेतावनी नहीं, सीधी कार्रवाई होगी.