भारत विभाजन पर महाभारत! 'आग लगा दीजिए इस किताब को...हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की सांठगांठ से हुआ देश का बंटवारा'

NCERT द्वारा जारी विशेष मॉड्यूल में बताया गया है कि भारत विभाजन एक व्यक्ति का काम नहीं था, बल्कि इसमें तीन ताकतें शामिल थीं. जिन्ना, जिन्होंने विभाजन की पैरवी की; कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया; और माउंटबेटन, जिन्हें इसे लागू करने भेजा गया. मॉड्यूल में कश्मीर को सुरक्षा चुनौती बताया गया और कहा गया कि एक पड़ोसी देश इसका दुरुपयोग करता रहा.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 16 Aug 2025 3:15 PM IST

NCERT ने स्कूलों के लिए एक विशेष मॉड्यूल जारी किया है, जिसे Partition Horrors Remembrance Day के अवसर पर इस्तेमाल किया जाएगा. मॉड्यूल में कहा गया है कि भारत विभाजन सिर्फ किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था, बल्कि इसमें तीन प्रमुख शक्तियों का हाथ था.'जिन्ना, जिन्होंने विभाजन का प्रचार किया; कांग्रेस, जिसने विभाजन को स्वीकार किया; और माउंटबेटन, जिन्हें विभाजन लागू करने के लिए भेजा गया.

मॉड्यूल ने यह भी बताया कि विभाजन ने कश्मीर को भारत के लिए नया सुरक्षा संकट बना दिया, और तब से ही एक पड़ोसी देश इस समस्या का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने के लिए कर रहा है. इस सामग्री को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आपत्ति जताई और कहा कि इस मॉड्यूल को जलाना चाहिए क्योंकि यह सच नहीं बताता.

NCERT किताब को लेकर देश में बवाल जारी है. जिसके बाद कांग्रेस ने हैरान कर देने वाला दावा किया है, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि, भारत- पाकिस्तान विभाजन में 1938 की तारीख बहुत महत्वपूर्ण है. जिसमें उन्होंने बताया कि गुजरात में साबरमति नदी के किनारे हिंदू महासभा का अधिवेशन हुआ था. जिसमें साफ कहा गया था कि हिंदू और मुसलमान एक देश में नहीं रह सकते हैं ये बात 1938 की है अब बात करते हैं 1940 के माड्यूल में क्या इसमें ये है.

आगे उन्होंने कहा कि इसी जुगलबंदी को आगे बढ़ाते हुए मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में जिन्ना ने यहीं बात दोहराई. फिर आगे उन्होंने कि 1938 में कांग्रेस ने बात रखी और 1940 में जिन्ना ने दोहराई. आगे उन्होंने 1942 की सरकार के दावे पर कहा कि इस दौरान गठबंधन की सरकार बनी ये लिखा है क्या?

इसके बाद कांग्रेस नेता पवन खेड़ा गुस्से में कहते हैं कि आग लगा दीजिए इस किताब को ये हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की सांठगांठ की जुगलबंदी से देश का बंटवारा हुआ है. ये है हकीकत, इतिहास का अगर कोई विलेन है तो RSS है. मीडिया उसे माफ नहीं करेगी.

विशेष मॉड्यूल में क्या है

इस मॉड्यूल को कक्षा 6-8 और कक्षा 9-12 के लिए अलग-अलग तैयार किया गया है, और यह नियमित पाठ्यपुस्तकों का हिस्सा नहीं है. इसमें 1940 की लाहौर रेज़ोल्यूशन का भी उल्लेख है, जिसमें मोहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि हिन्दू और मुस्लिम “दो अलग गाँव, दर्शन, सामाजिक रीति-रिवाज और साहित्य के लोग हैं. मॉड्यूल में तर्क दिया गया है कि ब्रिटिश शुरू में भारत को एकजुट रखने का प्रयास कर रहे थे और डॉमिनियन स्टेटस का प्रस्ताव रखा, लेकिन कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया.

गांधी, पटेल और नेहरू की विभाजन पर राय

मॉड्यूल में सरदार वल्लभभाई पटेल के हवाले से कहा गया है कि भारत में स्थिति विस्फोटक हो गई थी. 'भारत एक युद्ध का मैदान बन चुका था और गृह युद्ध से बचने के लिए देश का विभाजन करना बेहतर था. गांधी की स्थिति का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया कि वे विभाजन के खिलाफ थे लेकिन कांग्रेस के निर्णय का विरोध हिंसा के जरिए नहीं करेंगे. मॉड्यूल में लिखा है, 'उन्होंने कहा कि वे विभाजन का हिस्सा नहीं बन सकते, लेकिन वे कांग्रेस को इसे हिंसा से स्वीकार करने से नहीं रोकेंगे.

विवाद और प्रतिक्रिया

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मॉड्यूल की आलोचना करते हुए कहा कि इसे शिक्षा संस्थानों से हटा दिया जाना चाहिए. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह मॉड्यूल छात्रों को विभाजन की जटिलताओं और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से परिचित कराता है.

'आज भी हमें बंटवारे का दोषी ठहराया जाता है'

इस मुद्दे पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "NCERT में शमसुल इस्लाम की किताब ‘Muslims Against Partition’ को शामिल किया जाए. बंटवारे को लेकर बार-बार झूठ दोहराया जाता है. उस समय 2-3% से ज्यादा मुस्लिमों को वोट देने का अधिकार भी नहीं था, फिर भी आज हमें बंटवारे का दोषी ठहराया जाता है. जो यहां से भाग गए, वे भाग गए. लेकिन जो वफादार थे, वे यहीं रहे…"

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