सब धुआं-धुआं कर डाला! अमेरिका, चीन और तुर्की के हथियार भी नहीं बचा सके पाकिस्तान को, भारत के आगे सब फुस्स
भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य ताकत को ही नहीं, बल्कि अमेरिका, चीन और तुर्की जैसे उसके रणनीतिक हथियार सप्लायर्स की तकनीक को भी बुरी तरह ध्वस्त कर दिया. एफ-16 (अमेरिका), जेएफ-17 (चीन), बायरकटार TB2 (तुर्की) और चीनी एयर डिफेंस सिस्टम, ये सभी भारतीय मिसाइल हमलों, ब्रह्मोस स्ट्राइक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के आगे टिक नहीं पाए. भारत ने यह साबित कर दिया कि सिर्फ आयातित हथियारों से जंग नहीं जीती जाती, बल्कि असली ताकत स्वदेशी टेक्नोलॉजी, रणनीति और आत्मनिर्भर सैन्य कौशल में है.;
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से उसके पीछे खड़े तीन बड़े देशों, अमेरिका, चीन और तुर्की के हथियारों की ताकत को भी ज़मींदोज कर दिया. पाकिस्तानी वायुसेना (PAF) के एफ-16 फाइटर जेट, चीनी जेएफ-17 थंडर, तुर्की के बायरकटार TB2 ड्रोन और यहां तक कि चीन निर्मित एयर डिफेंस सिस्टम, भारत की मिसाइलों और एयरस्ट्राइक का सामना नहीं कर पाए.
भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया कि सिर्फ पाकिस्तान नहीं, बल्कि उसके "आर्म्स सप्लायर" भी भारत के सैन्य कौशल के आगे टिक नहीं सकते.
पाक की 'विदेशी' लड़ाई का हुआ भंडाफोड़
पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली की रीढ़ विदेशी हथियारों पर टिकी है. अमेरिकी F-16 फाइटर जेट, चीनी जेएफ-17 लड़ाकू विमान और तुर्की से मिले बायरकटार TB2 ड्रोन, ये सभी ऑपरेशन सिंदूर के पहले ही दिन भारत की मिसाइलों और इंटरसेप्टर्स के आगे ढेर हो गए. पाक ने एलओसी से लेकर पंजाब और राजस्थान तक के मोर्चों पर इन हथियारों से जवाबी हमला करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सशस्त्र बलों ने हाई-स्पीड इंटरसेप्टर्स, ब्रह्मोस मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम के ज़रिए उन्हें बीच आसमान में मार गिराया.
F-16: अमेरिका का शौर्य, भारत के सामने बेअसर
अमेरिका से मिले F-16 जेट पाकिस्तान के सबसे भरोसेमंद हथियार माने जाते हैं. लेकिन भारतीय रडार और सुपरसोनिक हथियारों के सामने ये फाइटर जेट कुछ ही मिनटों में हवा से गायब हो गए. सूत्रों के अनुसार, कम से कम 4 एफ-16 विमान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान निशाना बने और पाकिस्तानी वायुसेना को पीछे हटना पड़ा.
JF-17: चीन की तकनीक की हार
JF-17 थंडर फाइटर जेट चीन और पाकिस्तान की संयुक्त परियोजना है. हालांकि, युद्ध के मैदान में इसकी सीमाएं उजागर हो गईं. तेजस, सुखोई और मिराज जैसे भारतीय फाइटर जेट्स ने न केवल जेएफ-17 को मात दी, बल्कि हवा में सटीक मिसाइल अटैक से उसे निष्क्रिय भी कर दिया.
Bayraktar TB2: तुर्की के ड्रोन का भी हुआ खेल खत्म
तुर्की का बायरकटार TB2 ड्रोन, जो अज़रबैजान-आर्मेनिया युद्ध में स्टार बना था, पाकिस्तान ने एलओसी और पंजाब फ्रंट पर तैनात किए थे. लेकिन भारत के स्वदेशी ड्रोन किलर सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग यूनिट्स ने इन ड्रोन को सफलतापूर्वक मार गिराया.
चीनी एयर डिफेंस सिस्टम पूरी तरह फेल
पाकिस्तान में तैनात चीन के 'LY-80 एयर डिफेंस सिस्टम' ब्रह्मोस और SCALP जैसी भारतीय मिसाइलों का सामना नहीं कर सकीं. DRDO के पूर्व DG डॉ. सुधीर कुमार मिश्रा ने कहा, "ब्रह्मोस को दुनिया का कोई भी एयर डिफेंस सिस्टम इंटरसेप्ट नहीं कर सकता, फिर चाहे वो चीन का हो या अमेरिका का."
एक मिसाइल, तीन देशों की हार
भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि अमेरिका, चीन और तुर्की जैसे हथियार सप्लायर्स को भी दिखा दिया कि तकनीक सिर्फ आयात से नहीं, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक सोच से चलती है. ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस, SCALP, हैमर, और राफेल की भागीदारी ने साफ कर दिया कि भारत अब युद्ध के नए युग में प्रवेश कर चुका है जहां दुश्मन की 'ब्रांड वैल्यू' नहीं, उसकी 'बैटल वैल्यू' मायने रखती है.