'177 दिन जेल से चलाई थी सरकार, इस्तीफा दे देते तो...', अमित शाह ने बताया PM-CM हटाने से जुड़े बिल की क्यों आई नौबत?

अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने वह बिल इसलिए लाया, जिसमें जेल में बंद मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने 177 दिन जेल से सरकार चलाई. शाह ने तंज कसा कि अगर केजरीवाल ने खुद इस्तीफ़ा दिया होता तो बिल की ज़रूरत ही नहीं पड़ती.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 22 Aug 2025 6:44 PM IST

देश की राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है. केंद्र सरकार ने संसद में ऐसे तीन अहम विधेयक पेश किए हैं, जिनमें प्रावधान है कि कोई भी प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य/केंद्रशासित प्रदेश का मंत्री यदि गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिन से अधिक समय तक जेल में रहता है तो उसे पद से हटा दिया जाएगा. जिसके बाद जेल से हुक्म चलाने वाले नेताओं पर एक चुनौती बन गई.

गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को पेश करते हुए साफ कहा कि आज़ादी के 75 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ था कि कोई मुख्यमंत्री जेल से ही सरकार चलाए. उन्होंने सीधा उदाहरण दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दिया, जिन्होंने कथित भ्रष्टाचार मामले में तिहाड़ जेल से सरकार चलाई. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कदम को लोकतंत्र की मर्यादा बचाने वाला बताया, जबकि विपक्ष ने इसे लोकतंत्र को कुचलने वाला 'काला कानून' करार दिया.

अमित शाह का हमला: 'संवैधानिक मर्यादा ज़रूरी'

अमित शाह ने किसी एक चैनल के कॉन्क्लेव में कहा कि, क्या देश की जनता चाहती है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहते हुए सरकार चलाए? यह नैतिकता का सवाल है. जब संविधान बना था, तब यह अनुमान नहीं था कि जेल जा चुके लोग भी सत्ता में बने रहेंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगर केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे दिया होता, तो यह कानून लाने की नौबत ही नहीं आती. शाह ने ज़ोर दिया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को संवैधानिक नैतिकता का पालन करना चाहिए.

'अब 30 दिन जेल मतलब कुर्सी से विदाई'

बिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमने एक शर्मनाक स्थिति देखी, जब लोग जेल से सरकार चला रहे थे, फाइलें साइन कर रहे थे और संविधान की मर्यादा को तार-तार कर रहे थे. मोदी ने कहा कि अब कानून स्पष्ट करेगा. यदि कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री 30 दिन जेल में रहेगा तो उसकी कुर्सी चली जाएगी. उन्होंने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ 'सख्त संदेश' बताया और कहा कि "एक छोटे क्लर्क को भी जेल जाने पर निलंबित किया जाता है, तो फिर बड़े नेताओं को छूट क्यों?

'लोकतंत्र का गला घोंट रही सरकार'- विपक्ष

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर आरोप लगाया कि यह कानून विपक्ष की आवाज़ दबाने का नया हथियार है. उन्होंने कहा कि, बीते 11 सालों में हमने देखा कि कैसे संसदीय बहुमत का दुरुपयोग कर ईडी, सीबीआई और आईटी जैसी एजेंसियों को विपक्षी नेताओं पर अत्याचार करने का औजार बनाया गया. अब यह नया कानून राज्यों की लोकतांत्रिक सरकारों को अस्थिर करने के लिए इस्तेमाल होगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इसे 'संघीय ढांचे और संसदीय लोकतंत्र पर हमला' बताया और कहा कि इसे सत्र के अंतिम दिनों में 'छलपूर्वक' पेश किया गया, ताकि बहस की गुंजाइश न रहे.

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