मुझे लगा लैपटॉप हवा में है... ISS से लौटे शुभांशु शुक्ला ने बताई अपनी स्पेस जर्नी, ग्रेविटी से तालमेल बिठाने में हुई मुश्किल
शुक्ला ने बताया कि इस 20 दिनों के मिशन में उन्होंने जितना सोचा था, उससे कहीं ज़्यादा सीखा है. उन्होंने न सिर्फ अंतरिक्ष में अनुभव लिए, बल्कि भारत के गगनयान मिशन के लिए भी जरूरी जानकारियां जुटाईं.;
एक्सिओम-4 मिशन के जरिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की सफल यात्रा पूरी कर लौटे भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में ज़मीन पर लौटने के बाद अपनी दिलचस्प और इमोशनल अनुभव शेयर किए. उन्होंने बताया कि कैसे अंतरिक्ष से लौटने के बाद साधारण चीजें भी असामान्य लगने लगी. उदाहरण के लिए, मोबाइल फ़ोन उन्हें भारी लगने लगा और उन्होंने एक बार अपना लैपटॉप इसलिए गिरा दिया क्योंकि उन्हें लगा कि वो तैरने लगेगा जैसे वह अंतरिक्ष में होता था.
शुक्ला 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं. उन्होंने इसे भारत के लिए दूसरी कक्षा की शुरुआत" बताया यानी अब भारत न सिर्फ़ अंतरिक्ष अभियानों में भागीदार बनेगा, बल्कि नेतृत्व भी करेगा। उन्होंने कहा, '41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया है. लेकिन इस बार यह अकेले की उड़ान नहीं थी, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष नेतृत्व की ओर एक बड़ा कदम है.' 28 जून को शुक्ला के लिए एक खास पल तब आया जब उन्होंने अंतरिक्ष से सीधे भारत के प्रधानमंत्री से बात की. इस दौरान प्रधानमंत्री के पीछे लहराता भारत का झंडा देखकर उन्हें गर्व महसूस हुआ.
धरती पर लौटकर कैसी रही शुरुआत?
धरती पर लौटने के बाद शुक्ला को ग्रेविटी से दोबारा तालमेल बिठाना मुश्किल लगा. उन्होंने हंसते हुए बताया- जब किसी ने मुझसे फ़ोन से फोटो खींचने को कहा, तो वह मुझे बहुत भारी लगा. एक बार मैंने बिस्तर पर बैठते समय अपना लैपटॉप किनारे पर रख दिया, यह सोचकर कि वह तैरता रहेगा. लेकिन वह ज़मीन पर गिर गया. शुक्र है, वहां कालीन बिछा हुआ था.'
क्या-क्या सीखा और किया?
शुक्ला ने बताया कि इस 20 दिनों के मिशन में उन्होंने जितना सोचा था, उससे कहीं ज़्यादा सीखा है. उन्होंने न सिर्फ अंतरिक्ष में अनुभव लिए, बल्कि भारत के गगनयान मिशन के लिए भी जरूरी जानकारियां जुटाईं. उन्होंने कहा, 'मैंने मिशन के हर पहलू का डॉक्यूमेंटेशन किया है और मैं इन्हें गगनयान टीम के साथ शेयर करने के लिए एक्साइटेड हूं.'
क्या है मिशन का उद्देश्य?
शुक्ला के अनुसार, इस मिशन का सबसे बड़ा मकसद था युवाओं को प्रेरित करना. वह चाहते हैं कि बच्चे समझें कि वो भी एक दिन अंतरिक्ष यात्री बन सकते हैं. उन्होंने कहा, 'अब बच्चे सवाल पूछने लगे हैं कि अंतरिक्ष यात्री कैसे बनते हैं – यही इस मिशन की असली सफलता है.' शुक्ला ने कहा कि वो अगस्त के मध्य तक भारत लौट आएंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए होमवर्क को पूरा कर लिया है और उम्मीद जताई कि उनका अनुभव देश के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए उपयोगी साबित होगा.