'मुंबई से नफरत हो रही है...' आसमान छूते फ्लैट के रेंट और बिल्डिंग के अंकलों से परेशान हुआ युवक

रेडिट यूजर ने मुंबई के बदले दिल्ली में आसानी से फ्लैट मिल जाने के बारें बताया कि कैसे मायानगरी में एक फ्लैट लेने के लिए कितने लोगों से मिलना पड़ता है. यूजर के मुताबिक उन्हें इस शहर से नफरत हो गई है.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 6 April 2025 6:01 AM IST

मुंबई जैसे महंगे शहर में रहकर अपना गुजारा करना किसी चैलेंज से कम नहीं है. भारी-भरकम रेंट की कीमत के साथ एक बैचलर को हाल ही में सोसाइटी में रहने वाले अंकलों से द्वारा कई बाधाओं का सामना करना पड़ा. जिसके बाद उसने मुंबई को छोड़ने का विचार अपनाते हुए अपना ट्रांसफर दिल्ली में कराने का फैसला लिया. 

एक रेडिट यूजर, जो हाल ही में दिल्ली से मुंबई ट्रांसफर हुआ, शुरूआत के एक महीने बाद ही गुड़गांव में ट्रांसफर के बारे में सोचने लगा है. उसने मुंबई में कई तरह की चुनौतियों का सामना किया. अपनी रेडिट पोस्ट के कैप्शन में यूजर ने लिखा, 'मुंबई चले गए लेकिन यहां से नफरत हो रही है. क्या मैं जॉइन करने के पहले महीने के भीतर ही अपनी टीम से गुड़गांव ऑफिस में शिफ्ट होने के लिए कहने की सोच रहा हूं?.'

मुझे ये शहर पसंद नहीं 

यूजर ने आगे अपना मुंबई से नफरत करने का अनुभव शेयर करते हुए कहा, 'अरे, मैं हाल ही में जॉब के लिए दिल्ली से मुंबई आया हूं. मुझे जॉब पर रखते समय, टीम मैनेजर चाहता था कि मैं मुंबई ऑफिस जॉइन करूं, और मुझे पहले कोई प्रायर्टी नहीं थी, इसलिए मैंने सोचा कि ठीक है. अब करीब एक महीना हो गया है और मुझे मुंबई पसंद नहीं है.'

बैचलर्स पर लागू करते हैं नियम 

उन्होंने आगे लिखा, 'यह हमेशा भीड़भाड़ वाला रहता है, हमेशा अंडर कंस्ट्रक्शन रहता है. रेंट बहुत ज़्यादा है और किराया देने के बाद भी सोसायटी के अंकल बैचलर लोगों पर नियम लागू करते हैं जैसे कोई भी महिला रात भर नहीं रुक सकती, कोई भी मेल फ्रेंड लंबे समय तक नहीं रह सकता आदि. मुझे लगा कि मुंबई और दिल्ली में कुछ ज़्यादा फ़र्क नहीं होगा लेकिन मैंने देखा है कि यहां के लोग बहुत ज़्यादा रूढ़िवादी हैं.'

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दिल्ली से 1.5 से 2 गुना किराया

रेडिट यूजर ने मुंबई के बदले दिल्ली में आसानी से फ्लैट मिल जाने के बारें बताया कि कैसे मायानगरी में एक फ्लैट लेने के लिए कितने लोगों से मिलना पड़ता है. यूजर ने आगे लिखा, 'दिल्ली में अगर आपको फ़्लैट चाहिए तो आप पैसे चुकाएं और फ़्लैट मिल जाए. यहां, मुझे मालिक से मिलना पड़ा, बिल्डिंग में मालिक के दोस्त से, फिर सोसायटी के मेंबर्स से, और अगर वे मंज़ूर करते हैं, तो मुझे फ़्लैट मिल जाएगा और कम से कम दिल्ली से 1.5 से 2 गुना किराया देना होगा. मैं अपने कमरे में पार्टी नहीं करता, मैं रोज़ लड़कियों को कमरे में नहीं लाता. लेकिन मैं यह चुनने की आज़ादी चाहता हूं कि मेरे घर कब और कौन आ सकता है और वे कितने समय तक रह सकते हैं, और मुझे हाफ पैंट पहने रिटायर्ड अंकल की चार बातें नहीं सुननी.' 

मांगा सपोर्ट

यूजर ने अपनी पोस्ट के अंत में खुद के लिए सपोर्ट मांगा और कहा, 'इसलिए मैं अपने मैनेजर/पार्टनर से गुड़गांव ऑफिस में शिफ्ट होने के बारे में पूछ रहा हूं. क्या किसी ने पहले भी ऐसा कुछ किया है? आपने क्या कारण बताए? मैं खास्तुअर से परेशान हूं क्योंकि मुझे यहां आए हुए अभी केवल एक महीना ही हुआ है. मैं जिस टीम के साथ काम करता हूं, उसका आधा हिस्सा पहले से ही गुड़गांव में है, और मेरे लिए टीम नहीं बदलेगी.

यह शहर बकवास है 

एक यूजर ने कमेंट करते हुए सलाह दी है कि मुंबई से जल्दी निकल जाओ और तुम्हारी लाइफ की क्वालिटी ज़रूर सुधर जाएगी. तुम पैसे भी बचा पाओगे. मुंबई यांग प्रोफेशनल्स के लिए अच्छी जगह नहीं है.' दूसरे ने कहा, 'मुंबई मेरे हिसाब से सबसे खराब शहर है। 2016 में वहाँ नौकरी मिली, 2 महीने से ज़्यादा नहीं टिक पाया, एचआर से अनुरोध करके हैदराबाद में ट्रांसफर हो गया. मुझे लगता है कि यह केवल कम स्किल वाले जॉबलेस लोगों के लिए अच्छा है, जिनके पास कहीं और कोई मौका नहीं है.'

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