कैसे सुलझा देश का पहला Wedding Bomb केस? मां से थी जलन, प्रोफेसर बना कातिल; बदले की खौफनाक कहानी
2018 में ओडिशा के पटनागढ़ में एक नवविवाहित जोड़े को मिले गिफ्ट बॉक्स में विस्फोट हुआ, जिसमें दूल्हा सौम्य शेखर और उसकी दादी की मौत हो गई. अब 7 साल बाद अदालत ने आरोपी अंग्रेजी प्रवक्ता पुंजीलाल मेहर को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. जांच में सामने आया कि मेहर ने पद से हटाए जाने के बदले में यह खौफनाक साजिश रची थी. देश के पहले 'पार्सल बम' केस में आखिरकार पीड़ित परिवार को मिला इंसाफ.;
23 फरवरी 2018, ओडिशा के पटनागढ़ में एक नवविवाहित जोड़ा अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत कर ही रहा था कि एक ‘तोहफा’ उनकी खुशियों को राख में बदल गया. जैसे ही उन्होंने शादी के उपहार के तौर पर आए एक गिफ्ट बॉक्स को खोला, तेज धमाका हुआ, दूल्हा सौम्य शेखर और उसकी 85 वर्षीय दादी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दुल्हन गंभीर रूप से घायल हो गई. यह कोई हादसा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित हत्या थी.
सात साल तक पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीमें इस ‘पार्सल बम’ मिस्ट्री को सुलझाने में जुटी रहीं. हर सुराग धुंधला था, हर गवाह खामोश, लेकिन अंत में एक चिट्ठी और उसमें छिपी भाषा ने राज़ खोल दिया. अब सात साल बाद अदालत ने अंग्रेजी के प्रोफेसर पुंजीलाल मेहर को उम्रकैद की सजा सुनाकर इंसाफ की मुहर लगा दी है. सात साल बाद, इस मामले में बुधवार को अदालत ने अंतिम फैसला सुनाते हुए आरोपी पुंजीलाल मेहर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने आरोपी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
शादी के 5 दिन बाद दूल्हे की मौत, परिवार तबाह
पार्सल बम विस्फोट में 26 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू की मौके पर ही मौत हो गई थी. उनके साथ 85 वर्षीय परदादी जेनमनी की भी जान गई, जबकि पत्नी रीमा गंभीर रूप से घायल हुई थीं. हादसा उस समय हुआ जब शादी के महज पांच दिन बाद 23 फरवरी 2018 को सौम्य के घर एक गिफ्ट पैकेट पहुंचा. जैसे ही उसे खोला गया, जोरदार धमाका हुआ और खुशियों से भरा घर मातम में बदल गया.
मां-बाप की पीड़ा और इंसाफ़ की लड़ाई
सौम्य की मां संजुक्ता साहू, जो स्वयं एक शिक्षिका हैं, ने अदालत के फैसले पर संतोष जताते हुए कहा, "इंसाफ़ मिला, लेकिन जो खोया है वह कभी नहीं मिलेगा." वहीं पिता रवींद्र साहू ने कहा, “यह ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ केस था, हम फांसी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन उम्रकैद की सजा भी कुछ हद तक तसल्ली देती है.”
केस की शुरुआत और जांच का जाल
इस जघन्य अपराध की शुरुआत एक पार्सल से हुई, लेकिन जांच की डोरें बहुत गहरी थीं. पहले मामले की जांच स्थानीय पुलिस कर रही थी, लेकिन बाद में इसे ओडिशा क्राइम ब्रांच को सौंपा गया. 100 से अधिक लोगों से पूछताछ के बाद, जांच एजेंसी ने कॉलेज लेक्चरर पुंजीलाल मेहर को मुख्य आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया.
बदले की आग: प्रमोशन से उपजी दुश्मनी
क्राइम ब्रांच के अनुसार, यह अपराध ‘बदले’ की भावना से प्रेरित था. पुंजीलाल मेहर, सौम्य की मां संजुक्ता के साथ एक ही कॉलेज में काम करते थे. जब संजुक्ता को कॉलेज का प्रिंसिपल बनाया गया और मेहर को नजरअंदाज कर दिया गया, तभी से उसने इस साजिश को अंजाम देने की योजना बनाई.
शादी में शामिल हुआ, अंतिम संस्कार में भी पहुंचा - फिर भी कोई शक नहीं
पुलिस और परिजनों के अनुसार, आरोपी ने न सिर्फ सौम्य की शादी में शिरकत की थी, बल्कि विस्फोट के बाद अंतिम संस्कार में भी शामिल हुआ था. यह उसके अपराध को और भी खतरनाक और साजिशपूर्ण बनाता है. उसने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया जिससे कोई उस पर शक करता.
बम बनाने की ट्रेनिंग इंटरनेट से
मेहर ने विस्फोटक बनाने की तैयारी पहले से शुरू कर दी थी. उसने दीपावली के दौरान पटाखों से गनपाउडर जमा किया और इंटरनेट से बम बनाने के तरीके सीखे. पहले कुछ टेस्ट बम बनाकर प्रयोग किए, फिर एक अंतिम विस्फोटक तैयार किया. इस बम को एक सुंदर गिफ्ट पैक में डालकर, शादी की शुभकामना के तौर पर भेजा गया.
गुमनाम बनने की कोशिश
गिफ्ट को भेजने के लिए पुंजीलाल ने सावधानी से कदम उठाए. वह कॉलेज से छुट्टी लेकर कंटाबांजी गया, वहां से ट्रेन से रायपुर (छत्तीसगढ़) पहुंचा, जो पटनागढ़ से करीब 250 किमी दूर है. रायपुर में उसने ऐसी कूरियर सेवा खोजी जो बेसमेंट में हो और वहां CCTV न हो. उसने झूठा नाम (S.K. शर्मा) और फर्जी पता लिखकर पार्सल भेजा और वापस उसी रात ट्रेन से लौट आया.
गुमराह करने वाली चिट्ठी बनी जांच की ‘चाबी’
धमाके के कुछ ही दिन बाद एक गुमनाम चिट्ठी बोलांगीर एसपी को भेजी गई, जिसमें दावा किया गया था कि इस धमाके में तीन लोग शामिल थे और इसका कारण 'सौम्य का विश्वासघात' था जिससे कई लोगों की जान और पैसा गया. पत्र में यह भी कहा गया था कि 'निर्दोष लोगों को परेशान न करें.'
लेकिन यही पत्र क्राइम ब्रांच के लिए सबसे बड़ा क्लू बन गया. जांच टीम के प्रमुख, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने बताया कि पत्र की भाषा, फॉन्ट, स्पेसिंग आदि से यह साफ हुआ कि इसे किसी अच्छे अंग्रेज़ी जानकार ने लिखा है. यह उन्हें सीधे पुंजीलाल मेहर की ओर ले गया. जब उनके घर की तलाशी ली गई तो वहां से लैपटॉप, मोबाइल, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव और अन्य डिजिटल सबूत मिले. इनकी साइंटिफिक जांच से आरोपी की पहचान पक्की हुई.
सबूत सिर्फ परिस्थितिजन्य, लेकिन जांच ने दिया इंसाफ़
इस केस में कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था. सारा मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर टिका था. लेकिन क्राइम ब्रांच की सूक्ष्म जांच, तकनीकी विश्लेषण और डेडिकेशन ने इसे 'ब्लाइंड केस' से 'क्लोज केस' में बदल दिया. अरुण बोथरा ने कहा, "जब हमने केस लिया, कोई सबूत नहीं था. लेकिन हमें संतोष है कि हमने इसे अंजाम तक पहुंचाया."
चार्जशीट में 72 गवाह, डिजिटल सबूत और CCTV फुटेज
क्राइम ब्रांच ने अगस्त 2018 में जो चार्जशीट दाखिल की, उसमें 72 गवाहों के बयान शामिल थे. साथ ही क्राइम ब्रांच ने जो सबूत पेश किए उनमें गुमनाम पत्र, रायपुर की कूरियर दुकान के CCTV फुटेज, कंटाबांजी रेलवे स्टेशन के पार्किंग की रसीदें, आरोपी के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और मोबाइल लोकेशन डेटा शामिल थे.
पुंजीलाल मेहर का यह अपराध भारत का पहला 'पार्सल बम' केस था, और यह सिर्फ एक हत्या नहीं थी, बल्कि एक गहरी ईर्ष्या और पेशेवर द्वेष का नतीजा था. एक बुद्धिजीवी, जिसने अपना जीवन शिक्षण में बिताया था, वह बदले की आग में इस कदर जल गया कि एक निर्दोष जोड़े की ज़िंदगी तबाह कर दी.
हालांकि अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दी है, लेकिन पीड़ित परिवार और समाज में एक सवाल अब भी बाकी है कि क्या इतना योजनाबद्ध और निर्मम अपराध सिर्फ उम्रकैद से दंडित होना पर्याप्त है? यह बहस लंबे समय तक चलती रहेगी.