राहत की खबर! हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी खत्म, 15% तक सस्ते होंगे प्रीमियम
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा. पहले इन पर 18% टैक्स था. इस फैसले से लाखों परिवारों को सीधी राहत मिलेगी और बीमा प्रीमियम लगभग 15% तक सस्ते हो सकते हैं. हालांकि, सरकार को करीब ₹16,000 करोड़ के राजस्व नुकसान का अनुमान है.;
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक ऐतिहासिक एलान किया. उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर अब कोई जीएसटी (GST) नहीं लगेगा. पहले इन पर 18% जीएसटी वसूला जाता था, लेकिन अब यह शून्य कर दिया गया है. सरकार का दावा है कि इस कदम से करोड़ों परिवारों को राहत मिलेगी और बीमा क्षेत्र में जागरूकता व भागीदारी बढ़ेगी.
सीतारमण ने बताया कि यह निर्णय जीएसटी काउंसिल ने सर्वसम्मति से लिया है. उन्होंने कहा, "पिछले साल संसद में विपक्ष ने यह सवाल उठाया था कि सरकार बीमा प्रीमियम पर टैक्स क्यों लगाना चाहती है. हमने विशेषज्ञों और हितधारकों से चर्चा कर इस पर पुनर्विचार किया और अब परिवारों को राहत देने के लिए यह बड़ा फैसला लिया है. बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस राहत का सीधा लाभ आम लोगों तक पहुंचे."
क्या है नया जीएसटी ढांचा?
जीएसटी काउंसिल ने मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर दो कर दिया है - 5% और 18%. इसके अलावा कुछ चुनिंदा वस्तुओं जैसे महंगी कारें, तंबाकू और सिगरेट पर 40% का विशेष स्लैब लगाया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में ही इस दिशा में इशारा किया था. सरकार का कहना है कि टैक्स ढांचा सरल बनाने से न केवल घरेलू खपत बढ़ेगी बल्कि विदेशी निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
आम जनता को सीधा फायदा
अभी तक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर 18% जीएसटी लगता था. उदाहरण के लिए, अगर किसी का सालाना प्रीमियम ₹25,000 था तो उस पर ₹4,500 अतिरिक्त जीएसटी देना पड़ता था. अब यह बोझ पूरी तरह खत्म हो जाएगा. HSBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी हटने से हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम औसतन 15% तक सस्ते हो सकते हैं. इससे न केवल नए ग्राहक बीमा लेने के लिए प्रेरित होंगे बल्कि मौजूदा ग्राहकों के लिए भी पॉलिसियों का बोझ कम होगा.
राजस्व पर असर
सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी से ₹16,398 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था. लाइफ इंश्योरेंस से ₹8,135 करोड़, हेल्थ इंश्योरेंस से ₹8,263 करोड़ और री-इंश्योरेंस से ₹2,045 करोड़ (जिसमें से ₹561 करोड़ लाइफ और ₹1,484 करोड़ हेल्थ से आए). अब यह राजस्व सीधे सरकार के खाते से निकल जाएगा. अनुमान है कि 1.2 से 1.4 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹10-12 हजार करोड़) की कमी वार्षिक राजस्व में हो सकती है. हालांकि, सरकार का मानना है कि लंबे समय में बीमा कवरेज बढ़ने से यह घाटा संतुलित हो जाएगा.
स्वास्थ्य क्षेत्र को राहत
जीएसटी में छूट सिर्फ बीमा तक सीमित नहीं है. सरकार ने कई मेडिकल उत्पादों पर भी टैक्स घटाया है. थर्मामीटर, मेडिकल ऑक्सीजन, डायग्नोस्टिक किट, रिएजेंट्स, ग्लूकोमीटर और टेस्ट स्ट्रिप्स अब सिर्फ 5% जीएसटी के दायरे में आएंगे. चश्मों और लेंस पर भी जीएसटी घटाया गया है. इससे मरीजों और स्वास्थ्य सेवाप्रदाताओं पर आर्थिक बोझ कम होगा.
बीमा कंपनियों के सामने चुनौती
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस निर्णय से बीमा कंपनियों के कंबाइंड रेशियो (CR) पर 3-6% का असर पड़ सकता है. खासकर हेल्थ इंश्योरेंस सेगमेंट में जहां प्रीमियम का री-प्राइसिंग करने में 12 से 18 महीने तक लग सकते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि शुरुआती दौर में कंपनियों को मार्जिन घटने का खतरा रहेगा. फिर भी, बीमा विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि में ग्राहक आधार बढ़ने और जागरूकता फैलने से कंपनियों को फायदा होगा.
बड़ा आर्थिक और सामाजिक संदेश
सरकार का यह फैसला सिर्फ वित्तीय दृष्टिकोण से नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा के लिहाज से भी अहम है. भारत में अब भी बड़ी आबादी बीमा से वंचित है. इंश्योरेंस प्रीमियम महंगा होने की वजह से कई लोग मेडिकल कवरेज नहीं ले पाते. जीएसटी हटाने से उनकी झिझक कम होगी और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी. इसके अलावा, यह कदम भारत के वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन (Health Security Mission) को गति देगा.
जीएसटी काउंसिल का यह बड़ा निर्णय सीधे तौर पर आम जनता की जेब से जुड़ा है. हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स खत्म होने से लाखों परिवारों को राहत मिलेगी. हालांकि, सरकार को राजस्व में नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन लंबी अवधि में बीमा कवरेज और कर आधार (tax base) बढ़ने से इसका फायदा देश को ही होगा.