वक्फ संशोधन कानून को किस नजरिए से देख रहा अपना पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और बांग्लादेश?
भारत में वक्फ संपत्तियों से संबंधित कानूनों पर वर्षों से बहस होती रही है. हाल के वर्षों में वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधनों और उससे जुड़े विवादों ने न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय पड़ोसी देशों — बांग्लादेश और पाकिस्तान — का भी ध्यान खींचा है. ये दोनों देश, जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, भारत के वक्फ कानूनों को सांप्रदायिक अधिकार, अल्पसंख्यकों की स्थिति और धार्मिक स्वतंत्रता के नजरिए से देखते हैं.;
वक्फ संशोधन विधेयक अब संसद के दोनों सदनों — लोकसभा और राज्यसभा — से पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून का रूप ले चुका है. लेकिन इसके बावजूद देशभर में इस कानून को लेकर विवाद और विरोध की आवाजें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. कई मुस्लिम नेता और संगठनों ने इसे समुदाय के अधिकारों पर हस्तक्षेप करार देते हुए कड़ा ऐतराज जताया है. वहीं अब इस कानून की गूंज भारत की सीमाओं से पार जाकर हमारे पड़ोसी मुस्लिम बहुल देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश तक पहुंच चुकी है तो आइए इस खबर में जानते हैं कि वक्फ संशोधन कानून को पाकिस्तान और बांग्लादेश किस नजरिए से देख रहा है.
भारत में वक्फ संपत्तियों से संबंधित कानूनों पर वर्षों से बहस होती रही है. हाल के वर्षों में वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधनों और उससे जुड़े विवादों ने न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय पड़ोसी देशों — बांग्लादेश और पाकिस्तान — का भी ध्यान खींचा है. ये दोनों देश, जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, भारत के वक्फ कानूनों को सांप्रदायिक अधिकार, अल्पसंख्यकों की स्थिति और धार्मिक स्वतंत्रता के नजरिए से देखते हैं.
वक्फ पर पाकिस्तान की नजर में
पाकिस्तान में वक्फ संशोधन कानून को भारत में मुसलमानों के खिलाफ एक और 'राजनीतिक हथियार' के तौर पर देखा जा रहा है. वहां के सरकारी प्रवक्ताओं और कट्टरपंथी धार्मिक संगठनों ने यह दावा किया है कि भारत सरकार इस कानून के जरिए मुस्लिम धार्मिक संस्थानों और संपत्तियों पर नियंत्रण मजबूत करना चाहती है. कई विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत में मुसलमानों को और अधिक हाशिए पर डालने की रणनीति का हिस्सा है. पाकिस्तान का मीडिया भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहा है और इसे भारत की कथित 'मुस्लिम विरोधी नीतियों' की एक और कड़ी बता रहा है. यह रुख पाकिस्तानी हुकूमत की पारंपरिक नीति का हिस्सा भी है, जिसके तहत वह भारत में मुस्लिम मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने का प्रयास करता रहा है.
पाकिस्तानी अखबार द डॉन ने क्या लिखा वक्फ पर
वक्फ पर पर बांग्लादेश का क्या कहना?
बांग्लादेश में भारत के वक्फ कानूनों को मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और अधिकारों के संरक्षण से जोड़कर देखा जा रहा है. वहां के कुछ इस्लामी संगठनों और विचारकों का मानना है कि भारत में वक्फ बोर्डों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं, जो मुस्लिम समुदाय को धार्मिक और सामाजिक रूप से मजबूत करने का एक माध्यम हो सकते हैं. हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने आधिकारिक रूप से इस मुद्दे पर कोई कड़ा रुख नहीं लिया है, लेकिन वहां के मीडिया में इसे 'भारत में मुस्लिमों की धार्मिक स्वायत्तता" के तौर पर पेश किया गया है. बांग्लादेश में यह भी चर्चा है कि भारत के वक्फ बोर्ड को इतनी अचल संपत्तियों पर अधिकार क्यों है, और क्या यह मॉडल अन्य देशों में लागू किया जा सकता है। हालांकि आलोचक यह भी सवाल उठा रहे हैं कि इन संपत्तियों की पारदर्शिता और उपयोगिता की कितनी निगरानी होती है.