आप अकेले नहीं हैं... युद्ध विराम पर ट्रोल हुए विक्रम मिसरी के लिए खड़ा हुआ देश, समर्थन में आया विपक्ष
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने युद्ध विराम का एलान किया, तो लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. इतना ही नहीं, लोगों ने उनकी फैमिली को भी शिकार बनाया. अब ऐसे में विपक्षी नेता विक्रम के सपोर्ट में आए हैं. जहां अखिलेश से लेकर ओवैसी ने कहा कि वह अकेले नहीं हैं.;
शनिवार की शाम जब विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की, देश को राहत की सांस मिली. चार दिनों तक सीमा पार से ड्रोन और मिसाइल हमलों के बीच यह ऐलान दोनों देशों को पूर्ण युद्ध के कगार से वापस खींच लाने वाला पल था.
मगर जैसे ही प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुई, विदेश सचिव विक्रम मिसरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर जहरीली ट्रोलिंग की सुनामी आ गई. उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए गए. उन्हें गद्दार और देशद्रोही कहा गया. यही नहीं, इस हमले की आग उनके परिवार तक भी पहुंची. उनकी बेटियों की नागरिकता पर अपमानजनक टिप्पणियां की गईं.
विक्रम मिसरी थे सिर्फ मैसेंजर
यह समझौता भारत सरकार और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच हुआ था, जिसमें भूमि, वायु और समुद्र से की जाने वाली सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की सहमति बनी. विक्रम ने सिर्फ वह घोषणा की थी, जो उनके कंधे पर एक पेशेवर राजनयिक की जिम्मेदारी थी.
विक्रम को मिला नेताओं का सपोर्ट
इस ट्रोलिंग के बाद नेता और बड़े पद पर बैठे लोग विक्रम के सपोर्ट में उतरे. जहां एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर लिखा ' विक्रम मिसरी एक सभ्य, ईमानदार, मेहनती राजनयिक हैं, जो हमारे देश के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं. उन्हें कार्यपालिका के निर्णयों के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है.'
अखिलेश यादव ने बीजेपी को लिया आड़े हाथ
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ' निर्णय लेना सरकार की जिम्मेदारी है, न कि किसी एक अधिकारी की. कुछ असामाजिक तत्व उनके और उनके परिवार के खिलाफ खुलेआम अभद्र भाषा की सीमाएं लांघ रहे हैं. भाजपा सरकार और उसके मंत्री चुप हैं.'
पूर्व विदेश सचिव का बयान
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव ने इसे "बेहद शर्मनाक" और "शालीनता की हर सीमा से परे" बताया. उन्होंने कहा कि 'मिसरी जैसे समर्पित राजनयिक के साथ इस प्रकार का व्यवहार निंदनीय है. उनके परिवार को, खासकर बेटियों को, ट्रोल करना न केवल असंवेदनशील है बल्कि यह हमारे समाज में पनप रही ज़हरीली नफरत का खतरनाक संकेत है. यह ज़हर अब बंद होना चाहिए. हमें अपने राजनयिकों के पीछे खड़ा होना चाहिए, उन्हें तोड़ना नहीं.'