EXCLUSIVE: मक्कारी में Pak से भी आगे निकला कनाडा, इस वजह से लॉरेंस बिश्नोई गैंग को बता रहा आतंकी संगठन; पूर्व रॉ अफसर ने खोला राज
कनाडा ने भारत की जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और उसके गैंग को “आतंकवादी संगठन” घोषित किया. पूर्व RАW अधिकारी के अनुसार यह कदम भारत को अंतरराष्ट्रीय दबाव में लाने की नाकाम कोशिश है. कनाडा पाकिस्तान और चीन से भी धोखेबाजी में आगे है, लेकिन भारत की मजबूत विदेश नीति और कूटनीति ने हर बार उसके षड्यंत्र को बेअसर कर दिया. लॉरेंस को आतंकी घोषित करने की असल मंशा भारत को यूएन में परेशानी में डालना और मीडिया सुर्खियां बटोरना बताई जा रही है.;
भारत के साथ बेहद तल्ख संबंधों ने कनाडाई हुकूमत और वहां के मक्कार हुकमरानों को पस्त कर डाला है. भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और विदेश नीति ने जैसे मानो कि कनाडियन हुकूमत और हुक्मरानों के सोचने-समझने की ताकत ही छीन ली हो. इसी के चलते अब कनाडा की मौजूदा हुकूमत भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव में लेने की नाकाम कोशिश में ऊट-पटांग काम करने या बे-सिर-पैर के फैसले लेने पर उतर आई है.
हाल ही में दो दिन पहले इसका जीता-जागता उदाहरण कनाडा ने तब पेश किया जब उसने भारत की जेल में लंबे समय से बंद पड़े गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को आतंकवादी और उसके गैंग को “आतंकवादी संगठन” घोषित कर डाला. यह सब बेतुके काम वह मक्कार कनाडा कर रहा है जो बीते करीब 40 साल से भारत के खिलाफ ही काम करता आ रहा है. ठीक उसी तर्ज पर जैसे कि मानो “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली हो”. कनाडा, लॉरेंस बिश्नोई को आतंकवादी और उसके गैंग को “आतंकवादी-संगठन” घोषित करते वक्त भूल गया कि इंसान और इंसानियत व भारत के कितने ही “मोस्ट-वॉन्टेड” अपराधी-आतंकवादी कनाडा में बीते चार दशक से मुंह छिपाकर पाले-पोसे जा रहे हैं. शायद कनाडा के इसी कदम को दुनिया में “विनाशकाले विपरीत बुद्धि” कहा जाता होगा.
धोखेबाजी में पाकिस्तान और चीन से भी चार कदम आगे है कनाडा
भारतीय पुलिस सेवा के (आईपीएस) 1980 के दशक के एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और मिजोरम के पूर्व पुलिस महानिदेशक से इस बारे में स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने विशेष बात की. उन्होंने कहा, “कनाडा, आंतकवाद और धोखेबाजी की नजर से भारत के लिए अमेरिका और पाकिस्तान या चीन से चार कदम आगे ही है. उसे जब मौका मिलता है, तब-तब कनाडा भारत को नाकाम करने में कोई कोर कसर कभी बाकी नहीं छोड़ता है. भारत का जो गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई बीते कई साल से इंडियन जेल में बंद पड़ा है. जिसका सीधे तौर पर कनाडा से दूर-दूर तक का कोई लेना देना ही नहीं है. उसे कनाडा द्वारा आतंकवादी और उसके गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित करने से तो यह साबित हो चुका है कि, भारत के सामने कनाडा की विदेश नीति कूटनीति बेहद कमजोर पड़ चुकी है.
पहले अपना घर तो साफ कर ले कनाडा
जब कनाडा को लगा कि भारत तो अमेरिका के आगे भी नहीं झुक रहा है. भले ही क्यों न अमेरिका ने भारत के ऊपर 50 फीसदी टैरिफ लगाकर हमें डराने-धमकाने की हर-संभव कोशिश भी कर ली हो. इसके बाद भी मगर भारत ने अमेरिका की जी-हुजूरी नहीं की. ऐसा मजबूत भारत एक लॉरेंस बिश्नोई को कनाडा द्वारा आतंकवादी घोषित कर दिए जाने से उसके आगे झुक जाएगा, अगर कनाडा ऐसा सोचता है तो यह कनाडा की सबसे बड़ी भूल और उसकी बचकाना हरकत है. जिस तरह कनाडा, भारत के अनगिनत आतंकवादी, गैंग्स्टर्स को अपने यहां पाल-पोस कर भारत को ही दिक्कतें दे रहा है. उससे तो कनाडा पहले से ही दुनिया की नजरों में नंगा हुआ पड़ा है. ऐसा कनाडा भला लॉरेंस बिश्नोई और उसके गैंग को आतंकवाद से जोड़कर आखिर साबित क्या करना चाहता है. कनाडा पहले अपने घर को तो साफ-सुथरा कर ले. जिसका अपना मुंह काला होता है, वह दूसरे के चेहरे की ओर नजर उठाकर देखने का तो हक ही नहीं रखता है. फिर कनाडा एक अदना से भारत के जेल में बंद पड़े गैंगस्टर को घोषित-आतंकवादी बताकर, सुर्खियां बटोरकर आखिर क्या हासिल करना चाहता है?
हर बार अपने भी दांव में फंसता है कनाडा
कनाडा को अगर भारत का एक गैंगस्टर भी अपने यहां का मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी दिखाई देता है, तब कनाडा वह लिस्ट भी उजागर करके दुनिया के सामने जो भारत की जांच एजेंसियों के मोस्ट-वान्टेड आतंकवादी कई-कई साल से कनाडा में बैठकर भारत के विरुद्ध काम कर रहे हैं. इसका सबूत भारतीय एजेंसियां लिखित में कई बार कनाडा को दे चुकी हैं. इसके बाद भी मगर बेशर्म कनाडा के ऊपर जूं नहीं रेंगी है. दरअसल कनाडा और उसकी हुकूमतें भारत को आंख दिखाकर खुद को अमेरिका की नजरों में मजबूत दिखाने की नाकाम कोशिशों में जुटी हैं. यह अलग बात है कि भारत की मजबूत अंतरराष्ट्रीय विदेश और कूटनीति कनाडा के ‘कुचक्र’ को हर बार आसानी से कुचल देती है. यह बात भी कनाडा को बेहद नागवार गुजरती है कि वह जो भी दांव भारत के फांसने के लिए फेंकता है, कनाडा को उसी के दांव में घेरकर भारत उसे नंगा कर देता है. भारत की नजर में दरअसल कनाडा की हालत भी पाकिस्तान जैसी ही हो गई है. दोनो के बीच फर्क बस इतना है कि पाकिस्तान आतंकवादियों की शरणस्थली-जन्मस्थली दोनों है. पाकिस्तान में आतंकवादी उद्योगपति और आतंकवाद उद्योग धंधा है. जबकि कनाडा इन सबको छिपाकर अपने यहां से भारत के खिलाफ रचे गए षडयंत्रों को अमल करवाने की सुरक्षित पनाहगाह या फिर कहिए मांद है.”
भारत के रुतबे से पाकिस्तान के अलावा कनाडा की भी हालत खराब
भारत की जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई को कनाडा द्वारा अपना मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी घोषित किए जाने के पीछे 1970 दशक के दबंग और चर्चित भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व आईपीएस और उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहते हैं, “दरअसल जिस तरह से भारत ने टैरिफ बढ़ोत्तरी मामले में अमेरिका को धूल चटाई है. जिस तरह से भारत ने अमेरिका की लाख कोशिशों के बाद भी रूस से सस्ता तेल खरीदना बंद नहीं किया है. उससे देखकर सबसे ज्यादा इस वक्त दुनिया में अगर हालत खराब है तो वह दो ही देश हैं. पहला धूर्त पाकिस्तान और दूसरा मक्कार कनाडा. पाकिस्तान आतंकवादियों को जन्म देकर अगर उन्हें भारत के खिलाफ आग उगलने के लिए तैयार करता है. तो वहीं पाकिस्तान की ही तर्ज पर यहां पैदा पले-बढ़े इन्हीं आतंकवादियों को कनाडा अपने यहां छिपाने का घिनौना काम करता है. यह मैं हवा में नहीं कह रहा हूं. इसके गवाह भारत के वे तमाम मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी हैं, जो कनाडा में ही बीते कुछ वक्त के अंदर कत्ल कर डाले गए हैं.”
दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा कनाडा
अपनी बात जारी रखते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ने आगे कहा, “मुझे तो कनेडियन विदेश नीति, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और वहां के हुक्मरानों-नेताओं की बचकानी हरकतों पर हंसी आती है. सोचता हूं कि आखिर वह देश चल कैसे रहा है? कैसे अब तक इतना कमजोर देश अमेरिका की काली-नजरों से बचा हुआ है. क्योंकि कनाडा जैसे मूर्ख देशों पर तो अमेरिका तुरंत जाल डालकर उन्हें अपने कब्जे में करने का कभी कोई मौका छोड़ता ही नहीं है. दरअसल जहां तक मुझे लगता है कनाडाई हुकूमत के पास भारत को दबाने के लिए न पहले कभी कोई मजबूत रणनीति-विदेश नीति या कूटनीति रही न ही इस वक्त है. उधर कनाडा आर्थिक, सामाजिक, वैश्विक, व्यवसायिक नजर से भी दिन-ब-दिन कमजोर होता जा रहा है. भारत के मोस्ट वॉन्टेड जिन आतंकवादियों के बलबूते अब तक कनाडा मौज कर रहा था, अब वे ही जब कनाडा के लिए बवाल-ए-जान बनने लगे, तब कनाडा ने सोचा कि किसी तरह से भारत को बदनामी के ‘कुचक्र’ में फांसा जाए. इसके लिए कम-अक्ल कनाडाई हुक्मरानों को दुनिया में बस एक अदद भारत की जेल में कैद पड़ा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ही दिखाई पड़ा. मुझे कनाडा के इस बेहूदा-बचकाना कदम पर हंसी भी आ रही है और घृणा भी हो रही है.
लॉरेंस को आतंकवादी बताने के पीछे ये है कनाडा की असल मंशा
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को आतंकवादी और उसके गैंग को आतंकवादी संगठन घोषित करने के पीछे कनाडा की असल मंशा क्या हो सकती है? कनाडा के इस कदम के भारत के लिए आइंदा अंतरराष्ट्रीय-वैश्विक स्तर पर क्या नफा-नुकसान हो सकते हैं? पूछने पर कनाडा, पाकिस्तान, नेपाल, लंदन, अफगानिस्तान, इराक और कुछ महीने तक ईरान में भी भारतीय खुफिया एजेंसी “रॉ” (RAW) के अधिकारी रह चुके पूर्व रॉ अफसर ने कहा, “दरअसल कनाडा की इस चाल से भारत का कोई खास नुकसान नहीं होने वाला है. लॉरेंस बिश्नोई को टेररिस्ट लिस्ट में डालने की खबरों से कुछ वक्त के लिए कनाडा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी व भारत की ओर आकर्षित करवा लिया है.
हां, इतना जरूर है कि कनाडा अगर लॉरेंस बिश्नोई को आतंकवादी घोषित करके अपना कुछ निहित स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है तो उसे बहुत ज्याद लाभ तो नहीं मिलेगा. कनाडा मगर इस इश्यू (विषय/मुद्दे) को आइंदा अगर यूनाइटेड नेशन (यूएन) में ले जाता है तो हमें (भारत को) सोचना होगा. क्योंकि कनाडा ने अगर उस लॉरेंस बिश्नोई को जिसका गली-कूचे के अपराध-अपराधियों के अलावा आतंकवादी-आतंकवाद से दूर-दूर तक कोई लेना-देना ही नहीं रहा हो, उसे अगर आतंकवादी घोषित करने की कवायद की है. तो इसक पीछे कनाडा की यही मंशा होगी कि भारत को इस मुद्दे पर यूएन में ले जाकर परेशानी पैदा की जाए. या फिर जिस तरह से भारत और उसकी एजेंसियां कई साल से कनाडा में पल रहे अपने मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादियों के पीछे हाथ धोकर पड़ी हैं, हम उस पर कुछ वक्त के लिए खामोश हो जाएं.”