EXCLUSIVE: तहव्वुर राणा को भारत लाना मोदी का मास्टरस्ट्रोक, वक्फ बिल खोजते रह जाओगे- पूर्व रॉ अफसर
26/11 हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने का मामला भारत के साथ ही दुनियाभर की मीडिया में छाया हुआ है. इस मामले पर भारतीय खुफिया एजेंसी के पूर्व अधिकारी एन के सूद ने स्टेट मिरर से एक्सक्लूसिव बातचीत की.;
जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी दूसरी पारी की शुरूआत में ही, कनाडा-पाकिस्तान (Canada Pakistan) मूल के आतंकवादी तहव्वुर राणा को भारत के पाले में फेंका. दुनिया भर की खुफिया और जांच एजेंसियां न केवल हैरत में पड़ गईं बल्कि, भारत के धुर-विरोधी दुश्मन नंबर-1 पाकिस्तानी हुक्मरानों और वहां की एजेंसियों की चूलें हिल गई हैं. हाल-फिलहाल के दिनों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी हुकूमत, ‘वक्फ बिल’ (Waqf Bill) पास करा लेने मुद्दे पर, मोदी विरोधी खेमों ने घेर रखी थी.
कहां दब गई वक्फ बिल पर मची चीख-पुकार?
अब कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के प्यादे और कनाडा की नागरिकता वाले, तहव्वुर राणा का अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण, वक्फ बिल पर मची चीख-पुकार के ऊपर मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जी का ‘मास्टर स्ट्रोक’ है. आमजन और मोदी के विरोधियों की बात छोड़िए. मोदी के ‘मास्टर स्ट्रोक’ का लोहा तो भारतीय खुफिया एजेंसी ‘रॉ’ (RAW) के पूर्व वरिष्ठ खुफिया अफसर भी मानते हैं.
इन तमाम तथ्यों की पुष्टि शुक्रवार को ‘स्टेट मिरर’ से नई दिल्ली में मौजूद ‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी (डिप्टी सेक्रेटरी) एन के सूद (NK Sood Ex RAW) ने की. सूद 11 अप्रैल 2025 को इस विशेष संवाददाता से ‘एक्सक्लूसिव’ बातचीत कर रहे थे. स्टेट मिरर के एक सवाल के जवाब में पूर्व रॉ अधिकारी ने विस्तृत में कहा, ‘दरअसल वक्फ बिल पास होने के बाद से इसके विरोधी, जिस तरह से हिंदुस्तानी हुकूमत को घेरने में जुटे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोशिशों से अमेरिका से प्रत्यार्पित कराकर लाया गया मोस्ट वॉन्टेंड आतंकवादी तहव्वुर राणा (Terrorist Tahawwur Rana), उस तमाम शोर-शराबे पर मोदी जी का मास्टरस्ट्रोक सिद्ध हो चुका है.
दुनिया भर की मीडिया में छाया बस एक ही मुद्दा - तहव्वुर राणा
अब मोदी विरोधियों की समझ में नहीं आ रहा है कि वे, तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से हिली पड़ी दुनिया के कानफोड़ू शोरगुल में आखिर, अपने राजनीतिक और मोदी विरोधी एजेंडा यानी, वक्फ बिल पास किए जाने के ‘विरोध’ को कैसे ‘कैश’ कराएं?’ क्योंकि इस वक्त तो देश दुनिया के मीडिया में सिर्फ और सिर्फ तहव्वुर राणा ही छाया हुआ है. क्या आप यह कहना चाहते हैं कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए नए वक्फ बिल को लेकर, जब देश में इसके विरोध में बवाल मचा है तब ठीक इसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तहव्वुर राणा को अमेरिका से जान-बूझकर भारत लाए हैं?
वक्फ बिल से कहीं बड़ा मुद्दा है तहव्वुर राणा
एन के सूद बोले, ‘मैं रॉ अफसर रहा हूं. तो नेता, प्रशासन, हुकूमत, जांच-खुफियागिरी सब पर जिंदगी भर पैनी नजर रखने की आदत पड़ चुकी है. मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आतंकवादी (Mumbai Terrorist Attack) तहव्वुर राणा, वक्फ बिल के मुद्दे से कहीं ज्यादा बड़ा सब्जेक्ट है. यह देश हित और भारत में पाकिस्तान द्वारा कराए गए 166 लोगों के कत्ल-ए-आम की तफ्तीश से जुड़ा मुद्दा है. वक्फ बिल भला देश की शांति, सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा से बड़ा क्यों, कैसे और किसकी नजर में हो सकता है? पहले देश की सुरक्षा-संप्रुभता बाकी सब बाद में है.’
अमेरिका ने पाक-बांग्लादेश को दिखाई औकात
एन के सूद के मुताबिक, ‘अगर अमेरिका ने तहव्वुर राणा को भारत के हवाले करके पाकिस्तान-बांग्लादेश दोनों को उनकी औकात दिखा-बता दी है. तो वहीं भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की आड़ में, उस पाकिस्तान और कनाडा से एक ही साथ हिसाब बराबर कर लिया है, जिस पाकिस्तान ने तहव्वुर राणा को आतंकवाद के गुर भारत को बर्बाद करने के लिए सिखाए और पाला पोसा था. तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण ने कनाडा की भी हालत खराब कर दी है. तहव्वुर राणा के पास कनाडा की भी नागरिता है. अमेरिका तो कनाडा के पीछे पहले से ही हाथ धोकर पड़ा हुआ था.
बीते दो-तीन साल से कनाडा-भारत के रिश्ते भी तल्ख ही हैं. इन तमाम बिंदुओं पर अगर एक साथ पैनी नजर डालें तो साबित हो जाता है कि, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की आड़ में, एक तीर से कई निशाने साधकर मास्टरस्ट्रोक ही खेला है.’