ड्रोन लाएंगे मेडिकल डिलीवरी में क्रांति, भारत में परीक्षण से जगी उम्मीदें; लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं

आईसीएमआर ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि भारत में ड्रोन टेक्नोलॉजी अब सिर्फ निगरानी या सर्वे तक सीमित नहीं रही. अब यह इंसान के जीवन को बचाने में भी अहम भूमिका निभा सकती है. दवाइयों, वैक्सीन और खून की बोतलों की डिलीवरी के लिए ड्रोन के सफल ट्रायल ने ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में हेल्थकेयर पहुंचाने की नई उम्मीद जगाई है. लेकिन क्या तकनीकी, लॉजिस्टिक और नीतिगत चुनौतियां इस क्रांति को धीमा कर देंगी?;

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ड्रोन का मेडिकल सेवा के क्षेत्र में लाभकारी इस्तेमाल करने के मकसद से एक प्रयोग किया. इस प्रयोग के तहत 16 जुलाई को रक्त से भरा एक बैग दिल्ली के ट्रैफिक जाम को मात देते हुए 15 मिनट में 35 किलोमीटर की दूरी तय कर सबको चौंका दिया. अब इमरजेंसी मेडिकल सेवा को लेकर ICMR ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ड्रोन का आपातकालीन चिकित्सा सेवा प्रदान करने में क्रांति ला सकते हैं. ड्रोन ने कम समय में बेहतर सेवा देने के मामले में एम्बुलेंस को पछाड़ दिया, लेकिन असली परीक्षा यह है कि क्या विज्ञान, प्रबंधन और बुनियादी ढांचा मिलकर संभावित चुनौतियों का समाधान निकाल पाएंगे.

आईसीएमआर 'रक्त वितरण के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाना' विषय पर जारी रिपोर्ट में बताया है कि ड्रोन जीवन रक्षक रक्त और उसके घटकों के परिवहन के लिए एक क्रांतिकारी विकल्प साबित हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार इमरजेंसी मेडिकल सेवा के दौरान ड्रोन सुरक्षित और कुशलतापूर्वक प्रथम-प्रतिक्रिया वाहन के रूप में काम कर सकते हैं.


यह अध्ययन ड्रोन द्वारा नेत्र ऊतक वितरण समय में लगभग 70% की कमी लाने के कुछ महीनों बाद आया है. एक ड्रोन ने सोनीपत से झज्जर तक 38 किलोमीटर की दूरी केवल 40 मिनट में तय की. सड़क यात्रा में दो घंटे से अधिक समय लगता है.

दिल्ली में  हो रहा ड्रोन का इस्तेमाल

आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि चुनौतियों का आकलन करने और ड्रोन का उपयोग करके परिवहन किए जाने वाले रक्त की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए और अधिक वैज्ञानिक प्रमाणों की आवश्यकता है.

ड्रोन की राह में चुनौतियां भी कम नहीं

आईसीएमआर के अनुसार इस सेवा को शुरू करने की राह में कुछ चुनौतियाँ हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है. जैसे नियामक बाधाएं, मौसम की स्थिति, बैटरी जीवन, रखरखाव, सुरक्षा संबंधी चिंताएं, लागत और मौजूदा स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के साथ बेहतर एकीकरण का मामला.

आई-ड्रोन पहल पर जोर

दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों में चिकित्सा आपूर्ति की किफायती और तेज डिलीवरी प्रदान करके ड्रोन स्वास्थ्य सेवा में क्रांति ला रहे हैं. भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का लक्ष्य "आई-ड्रोन पहल" के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को "भविष्य के लिए तैयार" बनाना है.

ड्रोन के जरिए रक्त परिवहन अंगों के परिवहन की तुलना में ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि रक्त की गुणवत्ता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सख्त तापमान नियंत्रण और सावधानीपूर्वक रखरखाव की आवश्यकता होती है. जबकि अंगों के संरक्षण की ज़रूरतें अलग होती हैं और समय-समय पर जरूरत पड़ने पर उन्हें सक्रिय किया जाता है.


सफल रहा ब्लड का ट्रांसपोर्ट

आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार रक्त परिवहन के लिए ड्रोन परीक्षण काफी हद तक सफल रहा. इसने प्रदर्शित किया कि स्थापित दिशानिर्देशों का पालन करके रक्त और उसके घटकों का सुरक्षित परिवहन किया जा सकता है.

आईसीएमआर के अध्ययन में चार प्रकार के रक्त घटकों (जैसे संपूर्ण रक्त, पैक्ड लाल रक्त कोशिकाएं, ताजा जमे हुए प्लाज्मा, या प्लेटलेट्स) को विशेष तापमान-नियंत्रित बक्सों वाले ड्रोन का उपयोग करके सुरक्षित रूप से परिवहन किया गया. ड्रोन वितरण वैन के उपयोग की तुलना में बहुत तेज़ था। ड्रोन से रक्त पहुंचाने में सिर्फि 15 मिनट लगे, जबकि वैन से इतनी ही दूरी तय करने में एक घंटे से ज्यादा समय लगा.

विशेष ड्रोन, हेलीकॉप्टर की तरह उड़ान भर सकता है और 40 किलोमीटर तक उड़ सकता है. इसका इस्तेमाल 4 से 6 रक्त बैग और लगभग 4 किलो वजन वाले ठंडे जेल पैक ले जाने के लिए किया जा सकता है. परिवहन के दौरान रक्त को कोई नुकसान नहीं हुआ. उड़ान के दौरान और बाद में तापमान सुरक्षित सीमा के भीतर रहा.

आईसीएमआर के अध्ययन में कहा गया है कि रक्त के कुछ घटकों में कुछ छोटे-मोटे बदलाव देखे गए, लेकिन ये बदलाव ड्रोन और वैन दोनों के परिवहन के साथ हुए और कुल मिलाकर रक्त की गुणवत्ता सुरक्षित रही. आपात स्थिति में उष्णकटिबंधीय देशों में ड्रोन एक संभावित विकल्प है.

जर्नल ऑफ ट्रांसपोर्ट एंड पब्लिक हेल्थ में 2025 के एक अध्ययन में कहा गया है कि ड्रोन तकनीक की वर्तमान उच्च लागत, शहरी भीड़भाड़ और सीमित ग्रामीण ब्लड बैंक बुनियादी ढांचा मापनीयता में बाधा डालते हैं. इससे पार पाने में मेडिकल ड्रोन सेवा शुरू करने से डिलीवरी की चुनौतियां कम हो सकती हैं. अध्ययन से पता चलता है कि ड्रोन सिर्फ निगरानी, हमले या शादी की फोटोग्राफी के साधन नहीं हैं. अब वे जान बचाने में भी मददगार साबित हो रहे हैं.

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