आम आदमी को दीवाली से पहले ही मिला गिफ्ट! अब केवल 5 और 18% GST, मिडिल क्लास होगा first क्लास, पढ़ें सस्ता क्या महंगा क्या

जीएसटी काउंसिल की बैठक में आम जनता को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा मिला है. कई सामान सस्ते हो जाएंगे तो वहीं पान मसाला और शराब जैसे प्रोडक्ट्स पर महंगाई का झटका लगा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अब 2500 रुपये तक के जूते और कपड़ों पर केवल 5% जीएसटी लगेगा. वहीं, कई घरेलू सामान और इंश्योरेंस पॉलिसियों पर भी टैक्स घटाया गया है. दूसरी ओर, पान मसाला, तंबाकू और शराब जैसी वस्तुएं महंगी होंगी. सरकार का कहना है कि इन फैसलों से मिडिल क्लास परिवारों को राहत मिलेगी और फेस्टिव सीजन में खरीदारी आसान होगी.;

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By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 4 Sept 2025 12:22 AM IST

भारत ने 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू कर आर्थिक सुधारों का सबसे बड़ा कदम उठाया था. तब से लेकर अब तक यह व्यवस्था देश की कर प्रणाली को सरल बनाने और अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने में मील का पत्थर साबित हुई है. आठ साल पूरे होने के मौके पर केंद्र सरकार अब जीएसटी दरों में बड़े बदलाव यानी रेट रेशनलाइजेशन की तैयारी कर रही है, जिससे न सिर्फ कारोबारियों बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार रात जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स) को लेकर अहम ऐलान किया. उन्होंने बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में दो दरों वाली नई व्यवस्था पर सहमति बन चुकी है. वित्त मंत्री के अनुसार, अब तक लागू 12% और 28% वाले स्लैब को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. उनकी जगह दो नई दरें तय की गई हैं – 5% और 18%. यह नई जीएसटी व्यवस्था 22 सितंबर से पूरे देश में लागू हो जाएगी.

सरकार का दावा है कि जीएसटी ने 'वन नेशन, वन टैक्स' के सपने को साकार कर दिया है. अब तक करदाताओं का आधार दोगुने से भी ज्यादा बढ़ चुका है और कर संग्रह (रेवेन्यू कलेक्शन) रिकॉर्ड स्तर पर है. अगले चरण में सरकार जीएसटी को और अधिक सरल, पारदर्शी और जनहितैषी बनाने के एजेंडे पर काम कर रही है.

जीएसटी से पहले का दौर: वैट की जटिलताएं

जीएसटी लागू होने से पहले वैट (VAT) व्यवस्था में कई खामियां थीं.

  • राज्यों के अलग-अलग टैक्स रेट और एंट्री टैक्स जैसे अतिरिक्त करों से व्यापार में बाधा आती थी.
  • टैक्स रिटर्न, ऑडिट और पेनल्टी हर राज्य में अलग-अलग थे, जिससे अनुपालन मुश्किल था.
  • डबल टैक्सेशन (खासकर सर्विस टैक्स के साथ) से उपभोक्ता पर बोझ बढ़ता था.
  • बार-बार दर बदलने और वर्गीकरण के विवाद से कारोबारियों पर अतिरिक्त दबाव था.
  • इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए 2017 में जीएसटी लागू किया गया.

आठ साल की उपलब्धियां

  • टैक्स बेस का विस्तार- 2017 में 66.5 लाख पंजीकृत करदाता थे, जो 2025 में बढ़कर 1.51 करोड़ हो गए.
  • रिकॉर्ड राजस्व- 2024-25 में सकल जीएसटी संग्रह ₹22.08 लाख करोड़ रहा, जो चार साल में दोगुना है.
  • आर्थिक विश्वास- औसतन मासिक कलेक्शन अब ₹2,04,500 करोड़ है, जबकि 2017-18 में यह सिर्फ ₹82,000 करोड़ था.
  • सर्वे रिपोर्ट- Deloitte के सर्वे के अनुसार 85% कारोबारी और MSME जीएसटी से संतुष्ट हैं.

सरकार का नया एजेंडा- अगले चरण की तैयारी

सरकार का फोकस जीएसटी को और आसान बनाने और उपभोक्ताओं को राहत देने पर है. इसके लिए तीन बड़े स्तंभ (pillars) तय किए गए हैं.

1. स्ट्रक्चरल सुधार

इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर सुधार- इनपुट और आउटपुट टैक्स रेट को समान किया जाएगा ताकि MSME की कार्यशील पूंजी न फंसे.

क्लासिफिकेशन विवाद खत्म- समान वस्तुओं और सेवाओं को एक ही टैक्स स्लैब में रखा जाएगा.

स्थिरता और भरोसाृ निवेश को बढ़ावा देने के लिए टैक्स प्रणाली को और स्थिर व पूर्वानुमेय बनाया जाएगा.

2. रेट रेशनलाइजेशन

मौजूदा 4 दरों को घटाकर सिर्फ 2 मुख्य दरें (5% और 18%) रखने का प्रस्ताव है.

जरूरी सामान (खाद्य, दवाइयां) सस्ते होंगे और लक्ज़री आइटम्स पर संतुलित टैक्स रहेगा.

मुआवजा उपकर (compensation cess) जल्द खत्म होने जा रहा है.

3. ईज़ ऑफ लिविंग सुधार

छोटे कारोबारियों और स्टार्टअप्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और सरल होगी.

रिफंड सिस्टम तेज़ होगा, खासकर निर्यातकों और MSME के लिए.

सेक्टोरल असर- किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा?

  • कृषि- सस्ती मशीनरी और बायो-पेस्टिसाइड्स से किसानों को मदद.
  • टेक्सटाइल्स- मैन-मेड फाइबर पर टैक्स सुधार से निर्यात बढ़ेगा.
  • हेल्थ- दवाओं और मेडिकल डिवाइसेस पर टैक्स घटने से स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती होंगी.
  • ऑटोमोबाइल्स- छोटे वाहन और टू-व्हीलर अब सस्ते होंगे.
  • नवीकरणीय ऊर्जा- सोलर उपकरणों पर कम दरें, COP जलवायु लक्ष्यों को मदद.
  • बीमा- टैक्स घटने से "मिशन इंश्योरेंस फॉर ऑल 2047" को गति.
  • एननेक्सचर A: नई दरें (22 सितंबर 2025 से लागू)
  • खाद्य पदार्थ- पनीर, दूध, पराठा, रोटी – अब 0% टैक्स.
  • दैनिक उपयोग की चीजें: साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट – 18% से घटकर 5%.
  • हेल्थ- कैंसर और रेयर-डिज़ीज़ की दवाइयां – 0%.
  • शिक्षा: कॉपियां, पेंसिल, इरेज़र – 0%.
  • ऑटोमोबाइल्स: टू-व्हीलर और छोटे कार – 28% से घटकर 18%.
  • सीमेंट और टीवी: 28% से घटकर 18%.

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