शराब और लग्जरी कार पर लगेगा ज्यादा टैक्स, कैंसर दवाओं में मिलेगी राहत, नए स्लैब में देखें आपके काम की चीजें कितनी सस्ती
जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक में कारोबारियों और आम जनता को बड़ी राहत देने वाले फैसले लिए गए. एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए रजिस्ट्रेशन की अवधि 30 दिन से घटाकर सिर्फ 3 दिन कर दी गई है. निर्यातकों के लिए ऑटोमेटेड रिफंड सिस्टम भी लागू किया जाएगा. सरकार ने मौजूदा 4 टैक्स स्लैब को घटाकर 2 करने की दिशा में कदम बढ़ाया है. कई रोज़मर्रा की चीजें जैसे पनीर, मक्खन, दवाइयाँ, बीमा, होटल बुकिंग और कपड़े सस्ते होंगे, जबकि लग्जरी गाड़ियां और तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में बुधवार को जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक हुई, जिसमें कारोबारियों और आम उपभोक्ताओं के लिए कई अहम निर्णय लिए गए. बैठक में यह तय किया गया कि एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन का समय 30 दिन से घटाकर केवल 3 दिन कर दिया जाएगा. साथ ही, निर्यातकों को ऑटोमेटेड जीएसटी रिफंड की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही संकेत दिए थे कि व्यापारियों और उपभोक्ताओं को 'दिवाली गिफ्ट' के रूप में टैक्स दरों में राहत मिलेगी. बैठक में चार मौजूदा टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को सरल बनाकर दो या तीन स्लैब में बदलने पर मंथन हुआ.
टैक्स स्लैब्स में बड़ा बदलाव
सरकार की योजना है कि 28% टैक्स वाले अधिकांश सामानों को 18% स्लैब में लाया जाए. वहीं 18% और 12% वाले कई सामानों को घटाकर 5% पर लाने का प्रस्ताव है. इस सुधार से आम आदमी की जेब पर बोझ कम होगा और खपत में तेजी आएगी. हालांकि, सरकार को अनुमान है कि इससे करीब 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा.
किन-किन सेक्टर्स को होगा फायदा?
इस टैक्स सुधार का सीधा लाभ आठ प्रमुख सेक्टर्स को मिलेगा-
- ऑटोमोबाइल सेक्टर: छोटे कार, बाइक और ऑटो पार्ट्स पर टैक्स 28% से घटकर 18% हो सकता है.
- हॉस्पिटैलिटी और एंटरटेनमेंट: होटल में ठहरना और मूवी टिकट 12% से घटकर 5% हो सकते हैं.
- हेल्थकेयर: कैंसर दवाओं को जीएसटी से मुक्त करने और अन्य दवाओं को 5% पर लाने का प्रस्ताव. स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर भी टैक्स छूट मिल सकती है.
- डेयरी और फूड प्रोडक्ट्स: पनीर, ब्रेड, जूस, मक्खन, चीज, पास्ता और आइसक्रीम जैसे सामान 12% से घटकर 5% या शून्य कर पर आ सकते हैं.
- कृषि व उर्वरक: सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया जैसे इनपुट्स को 18% से घटाकर 5% किया जा सकता है.
- वस्त्र उद्योग: सिंथेटिक यार्न, कालीन और हैंडीक्राफ्ट 12% से घटकर 5% पर आ सकते हैं.
- ग्रीन एनर्जी: सोलर कुकर्स 12% से घटकर 5% पर.
- स्टेशनरी और टॉयलेट्रीज़- रबर, नक्शे, चार्ट, कॉपी, टूथपेस्ट, शैंपू और तेल को कम टैक्स स्लैब में लाने का प्रस्ताव है.
- लग्जरी और 'सिन गुड्स' पर नया टैक्स
तंबाकू, पान मसाला, शराब और लग्जरी कार जैसे उत्पादों पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी. इनके लिए 40% का नया सिन टैक्स प्रस्तावित है. वहीं महंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और कोयले पर भी टैक्स बढ़ सकता है.
मध्यम वर्ग और रोजगार पर असर
सरकार का दावा है कि इस सुधार से मध्यम वर्ग को सबसे अधिक फायदा होगा. रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान और 'अस्पिरेशनल गुड्स' सस्ते होंगे. इससे खपत और उत्पादन दोनों बढ़ेंगे. ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे श्रम-प्रधान उद्योगों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं. गैर-भाजपा शासित राज्य, जैसे तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल, इस प्रस्ताव का विरोध कर सकते हैं. उनका कहना है कि अनुमानित 50,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान केंद्र सरकार को पूरा करना होगा.





