‘शहादत मिशन’ और आत्मघाती हमला जायज़... दिल्ली ब्लास्ट के आरोपी डॉ. उमर मोहम्मद का Video आया सामने
दिल्ली रेड फ़ोर्ट ब्लास्ट के एक हफ्ते बाद बमबाज़ डॉ. उमर मोहम्मद का खुद रिकॉर्ड किया गया वीडियो सामने आया है. इसमें वह आत्मघाती हमले को ‘शहादत ऑपरेशन’ बताकर सही ठहराता है. वीडियो उसकी गहरी कट्टरपंथी सोच, ब्लास्ट की प्लानिंग और मौत के प्रति उसके नजरिये को उजागर करता है. यह फुटेज साफ दिखाती है कि हमला सोची-समझी साजिश का हिस्सा था.;
दिल्ली के लाल क़िले के पास हुए धमाके ने देश को सिर्फ दहला ही नहीं दिया, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे सुराग भी सौंपे, जो आतंकवाद के बदलते स्वरूप की तरफ इशारा करते हैं. इसी बीच वो वीडियो सामने आया है जिसने इस मामले को और भयावह बना दिया है. एक ऐसा वीडियो, जिसमें आरोपी डॉक्टर उमर मोहम्मद उर्फ उमर-उल-नबी खुद अपनी सोच, अपनी कट्टर विचारधारा और ‘शहादत मिशन’ जैसे खतरनाक सिद्धांतों पर खुलकर बात करता दिखाई देता है.
यह फुटेज सिर्फ एक हमलावर का बयान नहीं, बल्कि उस मानसिक ढांचे की झलक है जिसने एक पढ़े-लिखे, दिखने में शांत युवक को मौत के रास्ते पर धकेल दिया. हमले के एक सप्ताह बाद मिले इस वीडियो ने यह भी साफ कर दिया कि धमाका अचानक नहीं हुआ. यह एक सोची-समझी, योजनाबद्ध वारदात थी, जिसे अंजाम देने से पहले उमर अपने कार्य को वैचारिक और धार्मिक तर्कों से सही ठहराने की कोशिश करता दिखता है.
‘शहादत मिशन’ पर उमर की खतरनाक व्याख्या
वीडियो में उमर सबसे पहले आत्मघाती हमले को ‘गलत समझा गया कांसेप्ट’ बताते हुए उसकी पैरवी करता है. वह इसे “मार्टरडम ऑपरेशन” यानी शहादत आधारित मिशन कहता है. उमर का दावा है कि यह इस्लाम में “जाना-पहचाना सिद्धांत” है और इसकी आलोचना “गलत तर्कों” पर आधारित है. उसकी बातें बताती हैं कि उसने इन विचारों को काफी समय तक आत्मसात किया था.
मौत पहले से तय होती है
वीडियो में उमर यह कहकर अपने कृत्य को जायज़ ठहराता है कि इंसान को यह नहीं मालूम होता कि मौत कब और कहां आएगी—इसलिए उसे उससे डरना नहीं चाहिए. “डोंट फीयर डेथ,” वह कहता है. यह वाक्य उसके अंदर चल रहे वैचारिक उथल-पुथल की गवाही देता है और यह भी बताता है कि वह खुद को इस मिशन का सैनिक मान चुका था.
पढ़ा-लिखा युवक पूरी तरह कट्टर
वीडियो में उमर धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलता है, तर्क देता है और बेहद सधे हुए तरीके से अपने कदम को धार्मिक रंग देने की कोशिश करता है. उसका संतुलित demeanour सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ा संकेत है—कि वह अचानक उग्र नहीं हुआ था, बल्कि लंबे समय से संगठित कट्टरपंथ में डूबा हुआ था.
दिल्ली ब्लास्ट प्लान्ड था, Accident नहीं
इस वीडियो के सामने आने के बाद उन सभी कयासों पर विराम लग गया है, जिनमें कहा जा रहा था कि कार में रखा विस्फोटक गलती से फट गया होगा. उमर के बयान और उसके आत्मघाती हमले वाले तर्क साफ कर देते हैं कि यह हमला संयोग नहीं, बल्कि बेहद सोच-समझकर की गई आतंकी साजिश थी.
ऑपरेशन का पूरा नैरेटिव उजागर
जांच टीमों के मुताबिक यह वीडियो सिर्फ उमर की मानसिकता नहीं दिखाता, बल्कि यह भी बताता है कि वह किस तरह की विचारधाराओं, चैनलों और नेटवर्क्स के संपर्क में था. उसकी भाषा, तर्क और आत्मविश्वास बताते हैं कि उसे किसी संगठित गिरोह ने तैयार किया था-यह कोई अकेला, अचानक भटके युवक का मामला नहीं है.
दिल्ली धमाके की जांच अब किस दिशा में?
इस वीडियो ने NIA और दिल्ली पुलिस की जांच को नई दिशा दे दी है. अब ध्यान उमर के नेटवर्क, फंडिंग सोर्सेज, डिजिटल ट्रेल और उन लोगों पर है जिन्होंने उसे इस रास्ते पर धकेला. एजेंसियों का मानना है कि यह वीडियो ‘रेडिकलाइजेशन प्रोसेस’ का सबसे मजबूत सबूत है, जो इस हमले की असल मंशा और तैयारी की परतें खोलता है.