दार्जिलिंग में रातभर की बारिश ने ली 17 लोगों की जान, कई लोग मलबे में दबे, सिक्किम से टूटा संपर्क; देखें तबाही के Videos
उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग जिले में रातभर हुई भारी बारिश ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया. मिरिक और सुखिया पोखरी इलाके में भूस्खलन से अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग मलबे में दबे हैं. पहाड़ी सड़कों पर मलबा और बाढ़ का पानी भर जाने से सिक्किम, कलिम्पोंग और सिलीगुड़ी का संपर्क टूट गया है. प्रशासन, एनडीआरएफ और सेना राहत-बचाव कार्य में जुटी है, लेकिन लगातार बारिश बाधा बन रही है. गोरखालैंड प्रशासन ने टाइगर हिल और रॉक गार्डन जैसे पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया है. दार्जिलिंग में फंसे सैकड़ों पर्यटकों को सुरक्षित निकालने की कोशिश जारी है.;
उत्तर बंगाल के पहाड़ी इलाकों में मूसलाधार बारिश ने भारी तबाही मचाई है. दार्जिलिंग जिले के मिरिक और सुखिया पोखरी में सोमवार रात हुए भीषण भूस्खलन में कम से कम 17 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. कई लोग अभी भी मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है. प्रशासन का कहना है कि बचाव अभियान जारी है और मृतकों की संख्या बढ़ सकती है.
लगातार बारिश से दार्जिलिंग और सिक्किम के बीच की प्रमुख सड़कें पूरी तरह अवरुद्ध हो गई हैं. एनएच-10 और एनएच-717ए पर कई जगह मिट्टी और पत्थर गिरने से यातायात ठप है. दार्जिलिंग-सिलीगुड़ी मार्ग भी बंद पड़ा है, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है. कोरोनेशन ब्रिज और तीस्ता बाजार क्षेत्र में बाढ़ के कारण वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है.
रातभर बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
रविवार रात से लगातार हो रही बारिश ने दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी और कूचबिहार जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. कई इलाकों में जलभराव के साथ-साथ बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है. प्रशासन ने लोगों को घरों में रहने और नदी किनारे न जाने की चेतावनी दी है.
बचाव अभियान जारी, SDRF-NDRF तैनात
दार्जिलिंग जिला पुलिस, एसडीआरएफ और स्थानीय स्वयंसेवक राहत-बचाव कार्यों में जुटे हैं. मिरिक और सुखिया पोखरी के कई घर पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गए हैं. अब तक 17 शव निकाले जा चुके हैं, जबकि दर्जनों लोग लापता बताए जा रहे हैं. हेलीकॉप्टर से भी राहत सामग्री पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
IMD ने जारी किया अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सिक्किम और उत्तर बंगाल के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. विभाग ने चेतावनी दी है कि 7 अक्टूबर तक क्षेत्र में भारी से बहुत भारी बारिश जारी रह सकती है. तेज हवाओं के साथ बिजली गिरने और अचानक बाढ़ (Flash Flood) की संभावना भी जताई गई है.
पर्यटन पर पड़ा भारी असर
बारिश और भूस्खलन के कारण गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन (GTA) ने दार्जिलिंग के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों टाइगर हिल, रॉक गार्डन और बतासिया लूप को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है. दार्जिलिंग की प्रसिद्ध टॉय ट्रेन सेवा भी निलंबित कर दी गई है. दुर्गा पूजा के बाद बड़ी संख्या में पहुंचे पर्यटक अब होटलों में फंसे हुए हैं.
इंटरनेट और बिजली सप्लाई बंद
लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण कई इलाकों में मोबाइल नेटवर्क और बिजली सप्लाई बंद हो गई है. सड़कें टूटने से खाद्य सामग्री और दवाओं की सप्लाई भी बाधित है. प्रशासन ने प्रभावित गांवों में अस्थायी राहत शिविर बनाए हैं और आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने का प्रयास जारी है.
क्या बोले दार्जिलिंग के सांसद?
दार्जिलिंग के सांसद राजू बिस्ता ने ट्वीट कर बताया कि भारी बारिश से इलाके में बुनियादी ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार से तत्काल राहत कार्य तेज करने और भोजन, पानी, दवाओं और आश्रयों की व्यवस्था की मांग की है.
विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के भूस्खलन जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्यों का परिणाम हैं. दार्जिलिंग और सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्रों में अंधाधुंध सड़क चौड़ीकरण, पेड़ों की कटाई और अतिक्रमण ने भूमि की स्थिरता को कमजोर कर दिया है.
दार्जिलिंग की आंखों में पानी, पहाड़ों में मातम
17 लोगों की मौत के साथ ही पूरा दार्जिलिंग शोक में डूबा है. मिरिक के कई परिवारों ने अपने परिजन खो दिए हैं. राहत शिविरों में बच्चों और बुजुर्गों को प्राथमिक उपचार और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. लोगों की अपील है कि सरकार तुरंत पुनर्वास योजना लाए और पहाड़ी इलाकों में निर्माण पर सख्त नियंत्रण लगाए.
प्रशासन की चुनौती और लोगों की पुकार
जिला प्रशासन के लिए यह राहत अभियान किसी बड़ी परीक्षा से कम नहीं है. संचार बंद, सड़कें टूटी और मौसम लगातार बिगड़ता जा रहा है. हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री गिराई जा रही है, लेकिन कई गांव अब भी संपर्क से बाहर हैं. लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्थायी पुनर्वास और पहाड़ी सुरक्षा योजना पर तुरंत काम शुरू हो, ताकि हर साल दोहराई जाने वाली इस त्रासदी को रोका जा सके.