EXCLUSIVE: एक महीना जेल में रहने वाले नेता-मंत्री की कुर्सी चली जाएगी! यह कानून सही है मगर तब जब......पूर्व जस्टिस एसएन ढींगरा

केंद्र सरकार एक नए बिल पर विचार कर रही है, जिसके तहत यदि कोई सांसद, विधायक, मंत्री या नेता पांच साल या उससे अधिक सजा वाले गंभीर अपराध में गिरफ्तार होकर एक महीने जेल में रहता है तो उसकी सदस्यता और सत्ता स्वतः समाप्त हो जाएगी. इस पर पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट जज एस. एन. ढींगरा (शिव नारायण ढींगरा) ने स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि यह बिल बेहद ज़रूरी और कारगर है। उन्होंने कहा कि कानून बुरा नहीं होता, समस्या उसके क्रियान्वयन और अदालतों की इच्छाशक्ति की कमी में है.;

( Image Source:  ANI )
By :  संजीव चौहान
Updated On : 21 Aug 2025 8:49 PM IST

Former Justice SN Dhingra Exclusive Interview Parliament new bill on conviction: “पांच साल या उससे ऊपर की सजा के गंभीर अपराध में गिरफ्तार होने पर यदि नेता-मंत्री, विधायक-सांसद एक महीने जेल में बंद रहेगा तो उसकी कुर्सी-सत्ता छिन जाएगी. इस बिल का जिक्र आते ही राजनीतिक गलियारों में कोहराम मच गया है. आखिर क्यों? इसी सवाल के जवाब के लिए स्टेट मिरर हिंदी के एडिटर क्राइम इनवेस्टीगेशन ने एक्सक्लूसिव बात की, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा यानी शिव नारायन ढींगरा से.

जस्टिस ढींगरा ने कहा, “देश का कानून कोई भी बुरा नही हैं. कमी तो इस कानून पर अमल न करवाने वालों में है. अब जो यह नये कानून का बिल भारत सरकार लाने का विचार बना रही है कि, पांच साल से अधिक की सजा वाले मुकदमे में एक महीने जेल में बंद रहने वाले नेता-मंत्री, सांसद विधायक की कुर्सी छिन जाएगी. तो यह आने वाला बिल बहुत काम का है. जो लोग इसके विरोध में शोर-शराबा मचा रहे हैं उन्हें अपनी चिंता सता रही होगी कि, अगर वे आइंदा कभी इस कानून की हद में आ फंसे तब तो उनकी भी कुर्सी सलामत नहीं बचेगी. जितना ज्यादा इसका आने वाले बिल का विरोध हो रहा है, मेरी समझ से तो यह कानून उतना ही बेहतर-मजबूत और कारगर भी सिद्ध होना चाहिए.”

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि इस आने वाले संभावित नए बिल को आना चाहिए. इसमें कोई संदेह किसी को नहीं है. मुश्किल यह है कि किसी कानून पर हमारी अदालतें कितनी दृढ़-इच्छाशक्ति से अमल कर पाती हैं. कानून तो देश में और भी तमाम अब से पहले के भी बने हुए हैं. सवाल फिर वही कि अदालतें किस कानून को कितनी मजबूती और ईमानदारी से जमीन पर उतार सकती हैं. बात अगर कोर्ट और कानूनों की करें तो जहां नेताओं-मंत्रियों, एमएलए सांसदों को किसी मुकदमे में जमानत का जब जिक्र आता है तो, हमारे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय आधी रात को भी बैंच लगाकर या कहिए अदालत खोलकर उन्हें जमानत दे देती हैं. जमानत लेने में मुश्किल तो आम और गरीब आदमी को आती है. रहीसों और नेता-मंत्री-सांसद एमएलए को जमानत में कोई दिक्कत कहां आती है?

 

'हमारे न्यायालय तो अमीरों-राजनीतिज्ञों को जमानत देने के लिए ही बने हैं'

पूर्व न्यायाधीश धींगरा ने कहा कि जमानत लेने में आम आदमी को ही परेशानी होती है. हमारे न्यायालय तो बने ही अमीरों-राजनीतिज्ञों को जमानत देने के लिए हैं. आम आदमी के न्यायालय अलग हैं. गरीब और आम आदमी के न्यायालय हमारे यहां अलग हैं. जहां उनकी संभव है कि जमानत अगर बनती भी हो तो जमानत उन्हें न दी जाए. उन्होंने कहा कि नेताओं को जमानत देने में हमारी अदालतें कतई देर नहीं करती हैं. बस मुकदमे में जमानत देने की थोड़ी सी भी गुंजाइश नजर आनी चाहिए हमारी अदालतों को. तीस्सा सीतलवाड़ का मामला ही ले लीजिए इसके लिए. उनकी जमानत के मामले में तो शायद आर्डर की कॉपी भी नहीं जारी हुई थी. और उन्हें जमानत मिल गई. छुट्टी के दिन भी सुप्रीम कोर्ट ने दो दो बेंच बनाकर तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दे दी. इससे फिर साफ होता है कि अमीरों, नेता-मंत्री विधायक सांसद को कोर्ट से जमानत मिलने में देर नहीं लगती है. देर तो संतरियों और आम आदमी को जमानत लेने में लगती है.

"दुरुपयोग तो हर कानून का हो सकता है"

स्टेट मिरर हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत में पूर्व जस्टिस शिव नारायन ढींगरा ने कहा, "दुरुपयोग तो हर कानून का हो सकता है. किसी कानून का दुरुपयोग होगा यह सोचकर कानून न बनाना तो सही नही है. तब तो देश में कोई कानून होना ही नहीं चाहिए. कानून का सदुपयोग और उसका दुरुपयोग तो इसका इस्तेमाल करने वाले पर निर्भर करता है कि वह कैसे कानून का इस्तेमाल करना चाहता है. मसलन रसोई घर में रखे चाकू से सब्जी भी काटी जा सकती है. और उसी चाकू से किसी को चोट भी पहुंचाई जा सकती है. है चाकू ही उसका इस्तेमाल अपने अपने हिसाब से अलग है. यही बात कानून के जायज और नाजायज इस्तेमाल पर भी लागू होती है." पूर्व जस्टिस ने कहा, अदालत और कानून ही क्यों, आज तो पत्रकारिता का भी दुरुपयोग होता है. तो क्या सब अखबार और चैनल बंद कर दिए जाएं. ऐसा तो नहीं हो सकता है न.

 

“कानून का सदुपयोग और दुरुपयोग करना न्यायालय के हाथ में होता है”

1990 के दशक में भारत के उस वक्त के ऊर्जा मंत्री कल्पनाथ राय को दाउद इब्राहिम के गुर्गों को दिल्ली में शरण देने के आरोप में, गिरफ्तार करवा कर तिहाड़ जेल भेजने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एस एन ढींगरा ने आगे कहा, “नए बिल को लाए जाने के बाद उसका दुरुपयोग करना सरकार के हाथ में नहीं होगा. कानून का सदुपयोग और दुरुपयोग करना न्यायालय के हाथ में होता है. इसलिए यह कहना गलत है कि इस नए बिल के आने पर नेता-मंत्री उसका बेजा इस्तेमाल अपने विपक्षी या विरोधियों को सबक सिखाने के लिए कर सकते हैं.”

“अपराधी आज राजनीतिज्ञ बन जाते हैं और वे खूब राजनीति का फायदा उठाते हैं”

पूर्व ऊर्जा मंत्री कल्पनाथ राय को जमानत देने से साफ इनकार करने के दौरान भारत की संसद की तुलना ‘मछली-बाजार; बाजार से कर देने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शिव नारायन ढींगरा ने विशेष बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, “मेरे ख्याल से भारतीय राजनीति का अपराधीकरण बहुत पहले हो चुका है. अपराधी आज राजनीतिज्ञ बन जाते हैं और वे खूब राजनीति का फायदा उठाते हैं. अब यह पांच साल या उससे ज्यादा सजा वाले मुकदमे में एक महीने जेल में रहने वाले नेता, सांसद, एमएलए, मंत्री की कुर्सी छीन लिए जाने का जो बिल लाए जाने की बात चली है. इसमें बुरा कुछ भी नही है. इस बिल के पास होने से बनने वाले कानून के बाद, उनके ऊपर कानूनी सख्ती हो सकेगी जो लोग आपराधिक मामलों में लिप्त होने बाद भी सत्ता-सरकार में अपनी घुसपैठ बरकरार रखने में कामयाब रहते हैं. जो कि समाज में भी गलत संदेश भेजते हैं.”

लोकसभा के 543 सांसदों में से 251 सांसद हैं दागी

पाठकों की जानकारी के लिए यहां जिक्र करना जरूरी है कि मौजूदा लोकसभा में सदस्यों की 543 संख्या हैं. इनमें से 251 यानी 46 प्रतिशत सांसद दागी हैं. इन 251 में भी 27 ऐसे सांसद इस वक्त संसद में मौजूद हैं जिनके खिलाफ निचली अदालतों में आरोप तक किए जा चुके हैं. यही हाल कांग्रेस का संसद में हैं जिसके अगर 49 प्रतिशत सांसद दागी हैं तो वहीं सत्तासीन पार्टी भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी के मौजूदा सांसदों 39 प्रतिशत सांसद दागदार हैं.

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