हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र... क्या करारी हार के बाद कांग्रेस के एजेंडे में होगा बदलाव?
महाराष्ट्र में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा. उसे 20 सीटें भी नहीं मिल पाईं. इससे पहले हरियाणा में भी उसे हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस अपने एजेंडे में बदलाव करेगी या नहीं...;
Congress Performance in Maharashtra: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. उसे महज 16 सीटों पर ही जीत मिल सकी. इससे पहले, हरियाणा में भी उसे अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, करीब छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में उसने शानदार प्रदर्शन किया था. उसे 13 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि बीजेपी महज 9 सीट ही जीत पाई.
महाराष्ट्र के नतीजों से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. वह फिर से उसी स्थिति में पहुंच गई है, जिसमें वह करीब एक दशक पहले थी. इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 132, शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है.
'कहीं खुशी कहीं गम है'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने हार के बावजूद कहा कि हमारे लिए कहीं खुशी और कहीं गम है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के एजेंडा में कोई परिवर्तन नहीं आने वाला है. सामाजिक, आर्थिक, मोडानी, जातिगत जनगणना और संविधान की सुरक्षा जैसे सभी मुद्दे हम उठाते रहेंगे.
'हमारे मुद्दे आज भी अहमियत रखते हैं'
रमेश ने कहा कि हमारा हौसला कमजोर नहीं हुआ है. हम लड़ते रहेंगे और जनता के मुद्दे उठाते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में हमारे जो मुद्दे थे, वो आज भी अहमियत रखते हैं. हमारे नेताओं ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया था. जातिगत जनगणना, आर्थिक समानता, सामाजिक ध्रुवीकरण, संविधान की सुरक्षा, 50% आरक्षण की सीमा, मोडानी घोटाला.. इन मुद्दों को महाराष्ट्र की जनता ने ठुकराया नहीं है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम इस नतीजे पर जांच करेंगे, इसका विश्लेषण होगा, जो कि स्वाभाविक है. महाराष्ट्र में जिसकी जीत हुई है, उन्हें अनुमान नहीं था कि ऐसा नतीजा आएगा। हम यह मानकर चल रहे थे कि हमें जनादेश मिलेगा.
'सरकार के खिलाफ थी जनता'
रमेश ने कहा कि महाराष्ट्र में जनता सरकार के खिलाफ थी और उनके खिलाफ एक माहौल था. नतीजे भले ही विपरीत हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम पीछे हटेंगे. हम, हमारी पार्टी और कार्यकर्ता महाराष्ट्र में काम करते रहेंगे।
कांग्रेस की हार से उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल जरूर गिरा होगा. आलाकमान को कार्यकर्ताओं को समझाना होगा कि बीजेपी के खिलाफ पार्टी की लड़ाई अभी भी जारी है. कांग्रेस ने हार के पीछे ईवीएम को दोषी ठहराया है, लेकिन कई लोगों का मानना है कि बेवजह इन मुद्दों को नहीं उछाला जाना चाहिए.
बमुश्किल जीत पाए नाना पटोले
कांग्रेस के लिए यह चुनाव कितना मुश्किल भर रहा, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले बमुश्किल हार से बच पाए हैं. उन्होंने साकोली सीट से बीजेपी के अविनाश ब्रह्मणकर को 208 वोटों के मामूली अंतर से हराया. कांग्रेस को महाराष्ट्र में 2019 में 44, 2014 में 42, 2009 में 82 और 2004 में 69 सीटें मिलीं.
राज्यसभा पहुंचने का रास्ता हुआ मुश्किल
महाविकास आघाड़ी में शामिल एनसीपी (एससीपी) के अध्यक्ष शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत और प्रियंका चतुर्वेदी अब दोबारा राज्यसभा नहीं जा सकतीं क्योंकि दोनों पार्टियों के पास पर्याप्त विधायक नहीं हैं. पवार और प्रियंका का कार्यकाल 3 अप्रैल 2026 को खत्म होगा, जबकि राउत का कार्यकाल 22 जुलाई 2028 को खत्म होगा.