6 लोगों के हत्यारे को CJM दे रहे हैं जमानत, ऐसे न्याय से सुप्रीम कोर्ट भी हैरान, रद्द की याचिका
उत्तर प्रदेश में एक शख्स ने 6 लोगों की हत्या कर दी थी. दोषी साबित होने के बाद भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उसे जमानत दे रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को राहत देने से इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि तुमने 6 लोगों की हत्या की और CJM तुम्हें जमानत दे रहे हैं. ऐसा कभी नहीं सुना था.;
Supreme court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक हैरान कर देने वाले मामले पर सुनवाई की. जिसमें 6 लोगों के हत्यारे को जमानत दी जा रही थी. कोर्ट ने इस खारिच कर दिया. यह अपील चार लोगों की ओर से की गई थी.
जानकारी के अनुसार, इस याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई. मामले में दोषियों का दोष सिद्ध होने के बाद भी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी. दोषियों को 6 लोगों के मर्डर के लिए दोषी ठहराया गया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी के साथ जमानत रद्द कर दी.
कोर्ट ने रद्द की याचिका
10 जनवरी के अपराध में गणेश दोषी साबित हुआ था. फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ के आदेश के बाद जमानत दे दी गई. निर्देशों के अनुपालन के आधार पर 11 मार्च को जमानत पर रिहा कर दिया गया. अब इस मामले पर जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई करते हुई इसे बेहद आश्चर्यजनक बताया है.
जस्टिस शर्मा ने न्यायिक व्यवस्था पर उठाए सवाल
जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा, 'आपने 6 लोगों की हत्या की है और मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आपको जमानत दे रहे हैं. ऐसा कभी नहीं सुना गया. बहुत खेद है. आप राज्य को आपकी क्षमा याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश देने के लिए एक रिट याचिका दायर कर सकते थे, लेकिन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आपको जमानत नहीं दे सकते थे.'
लंबित मामलों में मिले आवेदन को दी गई अंतरिम जमानत
इलाहाबाद HC ने सभी चीफ न्यायिक मजिस्ट्रेटों को निर्देश देते हुए सामान्य निर्देश पारित किए कि वे उन दोषियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करें, जिनकी छूट या समय से पूर्व रिहाई का आवेदन लंबित था. इसके बाद कई दोषियों को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया. हालांकि, इलाहाबाद HC की फुल बेंच (तीन जज) ने अंबरीश कुमार वर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में 25 मई, 2024 को गणेश का मामला खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि छूट देने का अधिकार केवल सरकार के पास है और खंडपीठ ऐसे निर्देश जारी नहीं कर सकती है.
दोषियों ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से दोषियों को दी गई जमानत को रद्द करने के बाद दोषियों ने इसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई.