नौनिहालों की मृत्यु दर ने खोली MP की पोल, केरल बना बच्चों की जान बचाने में मिसाल

भारत में शिशु मृत्यु दर को लेकर जारी हालिया रिपोर्ट में मध्य प्रदेश (MP) का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है. राज्य शिशु मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर के मामले में सबसे पीछे नजर आ रहा है. जबकि केरल ने एक बार फिर बच्चों की जान बचाने में देशभर में शीर्ष स्थान हासिल किया. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आंकड़े खासतौर पर चौंकाने वाले हैं.;

( Image Source:  Sora AI )
Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 24 Sept 2025 2:59 PM IST

भारत में हर साल लाखों बच्चे जन्म के बाद पहले साल में ही अपनी जान गंवा देते हैं. केंद्र और राज्य सरकारें तमाम योजनाओं के बावजूद शिशु मृत्यु दर को कम करने में संघर्ष करती दिख रही हैं. ताजा रिपोर्ट बताती है कि जहां केरल ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और जागरूकता से शिशुओं की जान बचाने में कामयाबी हासिल की है, वहीं मध्य प्रदेश अब भी फिसड्डी साबित हो रहा है. जबकि मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का बजट केरल से दोगुना से भी अधिक है. यह छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से भी अधिक है.

4 साल के बच्चों की सबसे कम मृत्यु केरल में

शून्य से 4 साल तक के बच्चों की मृत्यु के मामले में मध्य प्रदेश देश में उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है. जबकि 4 साल तक के बच्चों की मृत्यु के मामले में छत्तीसगढ़, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की स्थिति मध्य प्रदेश से बेहतर है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम स्टेटिकल रिपोर्ट 2023 के अनुसार केरल में 4 साल तक के उम्र के बच्चों की मृत्यु सबसे कम दर्ज की गई. यहां 4 साल तक की उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रतिशत 1.3 रही है. वहीं 4 साल तक की उम्र के नौनिहालों की जान बचाने के मामले में केरल के बाद हिमाचल प्रदेश और पंजाब का नंबर आता है. दोनों राज्यों में डेथ रेट 2.3 प्रतिशत है. जबकि कर्नाटक में 3.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 3.8 प्रतिशत और पंजाब में 3.9 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु 4 साल की उम्र से पहले हो जाती है.

शहरी बनाम ग्रामीण

शहरी क्षेत्र में 0 से 4 साल आयु के बच्चों की कुल मौतों के मामलों में भले ही मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में 4 साल तक के बच्चों के मृत्यु मामले में 10.5 प्रतिशत के साथ एमपी देश में पहले स्थान पर है. जबकि उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर है. यहां शहरी क्षेत्रों में 10.1 प्रतिशत 4 साल तक के बच्चों की मृत्यु होती है. तीसरे नंबर पर राजस्थान है, यहां का डेथ रेट 9.4 प्रतिशत है. बिहार में 9.4 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 7.4 प्रतिशत बच्चे 4 साल तक का जीवन भी पूरा नहीं कर पाते हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में 4 साल की उम्र तक के बच्चों की मृत्यु के मामले में भी मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर है. उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों का डेथ रेट 16.1 प्रतिशत, जबकि मध्य प्रदेश का 15.5 प्रतिशत है. राजस्थान तीसरे और चौथे स्थान पर झारखंड है. वहीं ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सबसे कम डेथ रेट के मामले में केरल देश में प्रथम स्थान पर है.

सरकार से लोगों को निराशा लगी हाथ

एमपी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में मातृ-शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए कई नवाचार किए जा रहे हैं. इसके लिए शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित डाक्टरों की संख्या बढ़ाई जा रही है. समय पर रेफरल और एंबुलेंस सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है. इसके लिए ब्लॉक स्तर पर समर्पित मातृ-शिशु केंद्रों की स्थापना की जा रही है. पोषण, टीकाकरण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य की सतत निगरानी की जा रही है.

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