'नाजायज संबंध बनाने की हवस रखने की पूजा है छठ', इस पोस्ट से सोशल में मचा बवाल! यूजर्स बोले- हिंदू होकर...
छठ महापर्व देशभर में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. यह पर्व सूर्य उपासना और मातृ शक्ति की भक्ति का प्रतीक माना जाता है. लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ट्वीट ने धार्मिक भावनाओं को आहत कर दिया है. ट्विटर (अब X) पर एक यूजर ने छठ पूजा को लेकर ऐसा विवादित बयान दिया है, जिसे लेकर लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है.;
छठ महापर्व देशभर में बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है. यह पर्व सूर्य उपासना और मातृ शक्ति की भक्ति का प्रतीक माना जाता है. लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर एक ट्वीट ने धार्मिक भावनाओं को आहत कर दिया है. ट्विटर (अब X) पर एक यूजर ने छठ पूजा को लेकर ऐसा विवादित बयान दिया है, जिसे लेकर लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है.
यूजर की पहचान Prof. Dr. Arun Prakash Mishra के रूप में हुई है, जिनकी प्रोफाइल में लिखा है कि वे भारतीय संस्कृति एवं भारतीय अध्ययन, हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य के प्रोफेसर हैं. साथ ही उनकी प्रोफाइल में यह भी लिखा है -धर्म और पाखंड, सेना और हथियार उद्योग का विरोध करें.”
विवादित ट्वीट ने भड़काया जनाक्रोश
22 अक्टूबर को किए गए अपने ट्वीट में प्रो. मिश्रा ने लिखा -“नाजायज सम्बन्ध बनाने की हवस रखने की पूजा है छठ, कुंती ने सूर्य का आह्वान अपनी हवस मिटाने के लिए किया और लोकलाज के डर से कर्ण को नदी में बहा दिया. छठ पूजा उसी की नकल है.” इस आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मच गया. हजारों यूजर्स ने ट्वीट को धर्म का अपमान बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है. कई लोगों ने इसे हिंदू आस्था पर सीधा हमला करार दिया और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है.
Chandan Sharma नाम के यूजर्स ने लिखा कि, हिंदुओं...यह अकाउंट बैन होना चाहिए इस भ$वे ने मुझे ब्लॉक कर रखा हैं. विदेश में रहकर सनातन धर्म को अपमानित करता है. @MIB_India, @AshwiniVaishnaw. सर कृपया इस अकाउंट को भारत में बैन कीजिए, हमारे छठ महापर्व को अपमानित कर रहा है. छठ मैया का अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान. Limpid Man नाम के यूजर ने Grok से पूछा कि, महाभारत में कुंती ने जिस तिथि को सूर्य का आह्वान किया था वह आज के समय में किस महीने में पड़ता है? जिसका जवाब मिला, महाभारत में कुंती द्वारा सूर्य के आह्वान की exact तिथि का स्पष्ट उल्लेख नहीं है. कुछ पारंपरिक स्रोतों के अनुसार, यह पौष या माघ मास के शुक्ल पक्ष में हुआ था, जो आज के कैलेंडर में दिसंबर-जनवरी या जनवरी-फरवरी के आसपास पड़ता है. हालांकि, यह व्याख्याओं पर निर्भर करता है.
नोट- स्टेट मिरर हिंदी इन किसी दावे की पुष्टी नहीं करता है सोशल मीडिया में रहे ट्वीट के मुताबिक है.