प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्री खा लिए जेल की हवा तो चली जाएगी कुर्सी! मोदी सरकार आज पेश करेगी ये Bill, डिटेल में पढ़ें
केंद्रीय सरकार बुधवार को लोकसभा में एक प्रस्तावित विधेयक पेश करने जा रही है, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी या निरोध के मामले में हटाने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना है.विधेयक में संविधान के अनुच्छेद 75, 164, 239AA और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन का प्रावधान है। इसके तहत 30 लगातार दिनों तक हिरासत में रहे मंत्री या मुख्यमंत्री को पद से हटाया जाएगा.;
केंद्रीय सरकार बुधवार को लोकसभा में एक प्रस्तावित विधेयक पेश करने जा रही है, जिसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेशों, जिनमें जम्मू-कश्मीर शामिल है, उन्होंने मंत्रियों को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी या निरोध के मामले में हटाने के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना है. वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की.
विधेयक संविधान के अनुच्छेद 75, 164, और 239AA में संशोधन करने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के सेक्शन 54 में बदलाव करने का प्रावधान करता है.इसके तहत यदि कोई मंत्री, चाहे वह प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का कोई भी मंत्री हो, पांच वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध में 30 लगातार दिनों तक गिरफ्तार और निरुद्ध रहता है, तो उसे पद से हटाया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर में विशेष प्रावधान
प्रस्तावित संशोधन में सेक्शन 54 में नया क्लॉज (4A) शामिल किया गया है. इसके अनुसार, यदि किसी मंत्री को उनके कार्यकाल के दौरान 30 लगातार दिनों तक हिरासत में रखा गया, तो मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा 31वें दिन उसे पद से हटाया जाएगा.अगर मुख्यमंत्री सलाह नहीं देते, तो मंत्री अगले दिन से अपने पद से स्वतः मुक्त हो जाएंगे.
केंद्र शासित प्रदेशों में भी इसी तंत्र को लागू किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री या मंत्री की 30 दिन की निरंतर हिरासत के बाद उन्हें पद से हटाने का प्रावधान है. द्रीय मंत्रिमंडल या राज्यों में भी इसी तंत्र के तहत यदि कोई मंत्री या प्रधानमंत्री 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहे, तो 31वें दिन उन्हें स्वचालित रूप से पद से हटाया जाएगा.
विधेयक के उद्देश्य और कारणों में संविधानिक नैतिकता की सुरक्षा और जनता के विश्वास को बनाए रखना बताया गया है.इसमें कहा गया है कि चुने हुए नेता जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतीक होते हैं, लेकिन वर्तमान में संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री या मंत्री को हटाया जा सके.
संविधानिक नैतिकता और जनता का भरोसा
विधेयक में स्पष्ट कहा गया है कि 'म्मीद की जाती है कि पद पर रहने वाले मंत्रियों का चरित्र और आचरण किसी भी प्रकार के संदेह से परे होना चाहिए। कोई मंत्री, जो गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा हो और हिरासत में हो, संवैधानिक नैतिकता और सुशासन के सिद्धांतों को बाधित या रोक सकता है और अंततः जनता द्वारा उसमें रखे गए संवैधानिक भरोसे को कम कर सकता है.
यानी, किसी मंत्री का चरित्र और आचरण संदेह से परे होना चाहिए.गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और निरुद्ध मंत्री संसदीय नैतिकता और सुशासन के सिद्धांतों को बाधित कर सकता है और जनता द्वारा दी गई संवैधानिक भरोसे को कम कर सकता है.